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भाजपा, कांग्रेस को यूपी की सीमा से लगी 14 सीटों पर तीसरे मोर्चे से खतरा

पिछले चुनाव में दोनों पार्टियों के 15 से 50% तक वोट काटे थे थर्ड फ्रंट ने

अशोक गौतम- भोपाल। भाजपा और कांग्रेस को उत्तर प्रदेश से लगीं 14 विधानसभा सीटों पर तीसरे मोर्चे से खतरा है। पिछले चुनाव का रिकॉर्ड देखा जाए तो इन सीटों पर दोनों पार्टियों के 15 से 50 फीसदी तक वोट तीसरे मोर्चे ने काटे थे। इसके चलते दोनों पार्टियों का गणित गड़बड़ा गया था । इस बार भी दोनों पार्टियों से असंतुष्ट नेता तीसरे मोर्चे का दामन थाम रहे हैं, जिससे वे बड़े वोट कटुआ साबित हो सकेंगे। टिकट नहीं मिलने को लेकर दोनों ही पार्टियों में चंबल, ग्वालियर, विंध्य और बुंदेलखंड में अंदरूनी विद्रोह है। इन क्षेत्रों में तीसरे मोर्चे के साथ सपा और बसपा चुनाव में भारी पड़ती है।

अभी तक दोनों पार्टियों के ये नेता तीसरे मोर्चे में जा चुके

चाचौड़ा से भाजपा की ममता मीणा ने आप जॉइन किया। सागर सांसद रहे लक्ष्मीनारायण यादव के पुत्र सुधीर यादव भाजपा छोड़ आप में आए। कांग्रेस के पूर्व विधायक यादवेन्द्र सिंह ने बसपा में आए। बंडा से भाजपा नेता रंजोर सिंह बुंदेला बीएसपी में आए।

19 विधानसभा सीटों पर हाथी ने चली थी चाल

प्रदेश के 19 सीटों पर बीएसपी भाजपा और कांग्रेस के कई विधायकों को बड़ी टक्कर दी थी। इन सीटों पर हाथी को 46 फीसदी तक वोट मिले थे। पथरिया में बसपा से तो राम बाई सिंह ने जीत हासिल की थी। भिंड में बीएसपी को 46 फीसदी और भाजपा को 20 फीसदी वोट मिले थे। पोहरी में बीएसपी को 32 फीसदी, कांग्रेस को 37 और भाजपा को 22 फीसदी वोट मिले थे। सबलगढ़ विधानसभा में भाजपा और बीएसपी को (29-29 फीसदी) वोट मिले थे। जौरा में भाजपा (23 फीसदी) से ज्यादा (25 फीसदी) वोट बीएसपी को मिले थे।

वोट कटवा से बदले समीकरण

आधा दर्जन से अधिक विधानसभा क्षेत्रों में पार्टी से नाराज नेताओं ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतरकर अपनों को ही नुकसान पहुंचाया। टिकट नहीं मिलने को लेकर यह नेता नाराज थे, ये दोनों ही पार्टी के वोट कटवा साबित हुए। इसी के चलते चुनाव परिणाम आने के बाद कांग्रेस और भाजपा समीकरण पूरी तरह से बदल गए। इन प्रत्याशियों का चुनाव में इतना प्रभाव रहा कि इन्होंने 26 फीसदी तक वोट काटे थे। वारासिवनी में निर्दलीय उम्मीदवार प्रदीप जायसवाल ने 40 फीसदी वोट लेकर जीत हासिल की थी, जबकि भाजपा को 37 और कांग्रेस सात फीसदी वोट में ही सिमट गई थी। जबलपुर नाथ में भाजपा, कांग्रेस में एक वोट से जीत हार हुई थी, निर्दलीय उम्मीदवार को 26 फीसदी वोट मिले थे।

2023: जानिए अब क्या है भाजपा-कांग्रेस की तैयारी

बुंदेलखंड और ग्वालियर-चंबल की यूपी सीमा से लगी सीटों पर भाजपा और कांग्रेस सक्रिय है। भाजपा के टारगेट पर वे सीटें हैं, जहां कांग्रेस लगातार पांच से छह चुनावों से जीत रही है। इनमें लहार और पिछोर जैसी सीटें शामिल हैं। वहीं कांग्रेस की ओर से पूर्व सीएम कमलनाथ व दिग्विजय सिंह भी सीटों पर पहुंच चुके हैं।

2018 का विस चुनाव: इन सीटों पर किया था नुकसान

  • जतारा : तीसरे मोर्चे ने 35 फीसदी वोट काटे थे, जिसके चलते कांग्रेस को बहुत कम वोट मिले थे। इसी सीट से 45 फीसदी वोट लेकर भाजपा ने जीत हासिल की थी।
  • गुढ़ : तीसरे मोर्चा को 25 फीसदी वोट मिले थे और 28 फीसदी वोट लेकर भाजपा जीती थी।
  • अमरवाड़ा : 35 फीसदी वोट लेकर कांग्रेस के कमलेश प्रताप सिंह जीते थे, जबकि इस सीट में तीसरे मोर्चे को 30 और भाजपा को 26 फीसदी वोट मिले थे।
  • पृथ्वीपुर: यहां से कांग्रेस प्रत्याशी बृजेन्द्र सिंह राठौर 35 फीसदी वोट लेकर जीते थे, जबकि तीसरे मोर्चे को 31 फीसदी वोट मिले और बीएसपी को 20 फीसदी वोट मिले थे। यहां भाजपा को सात फीसदी वोट मिले थे।
  • बिजावर: 49 वोट लेकर सपा के राजेश शुक्ला ने जीत हासिल की थी, भाजपा दूसरे नम्बर पर रही थी।

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