
पटना। बिहार में आज (9 जुलाई) विपक्षी महागठबंधन द्वारा बुलाए गए ‘बिहार बंद’ का व्यापक असर दिखा। मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) के विरोध में कांग्रेस, आरजेडी, वाम दलों और पप्पू यादव की जन अधिकार पार्टी समेत कई विपक्षी दलों ने एकजुट होकर चक्का जाम और सड़कों पर प्रदर्शन किया। इस विरोध की अगुवाई तेजस्वी यादव ने की, जबकि कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी इसमें शामिल हुए।
क्यों बुलाया गया बिहार बंद?
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले चल रहे वोटर वेरिफिकेशन अभियान को लेकर विपक्ष का आरोप है कि यह प्रक्रिया गरीबों, दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों और प्रवासी मजदूरों को वोटर लिस्ट से बाहर करने की साजिश है। नेताओं का कहना है कि दस्तावेजों की जटिल मांग ने आम लोगों को असुविधा में डाल दिया है। तेजस्वी यादव ने इसे “वोटबंदी” करार देते हुए अभियान को तुरंत रोकने की मांग की है।
राहुल गांधी ने तेजस्वी के साथ किया मार्च
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और सांसद राहुल गांधी दिल्ली से पटना पहुंचे और विपक्ष के विरोध मार्च में शामिल हुए। वे तेजस्वी यादव के साथ इनकम टैक्स गोलंबर से लेकर मुख्य निर्वाचन कार्यालय तक पैदल मार्च करते दिखे। दोनों नेताओं ने इस अभियान को संविधान विरोधी और लोकतंत्र के लिए खतरा बताया।
बिहार के कई जिलों में चक्का जाम और आगजनी
राज्य के कई जिलों में महागठबंधन समर्थकों ने सड़कों और रेलवे ट्रैक पर प्रदर्शन किया। जगह-जगह चक्का जाम, टायर जलाकर विरोध और रेल रोको आंदोलन हुआ।
पटना: मनेर में NH-30 पर प्रदर्शनकारियों ने टायर जलाए और सड़क जाम की।
हाजीपुर: गांधी सेतु पर जाम, गर्दनिया चौक पर आगजनी, लोगों को पैदल सफर करना पड़ा।
आरा: RJD कार्यकर्ताओं ने आरा-मोहनिया रोड पर आगजनी की।
जहानाबाद: कोर्ट रेलवे स्टेशन पर पटना-गया पैसेंजर को रोका गया।
दरभंगा: नमो भारत ट्रेन को रोका गया, प्रदर्शनकारियों ने सरकार विरोधी नारे लगाए।
बिहिया (भोजपुर): पूर्व विधायक भाई दिनेश ने समर्थकों के साथ श्रमजीवी और विभूति एक्सप्रेस को रोका।
निजी स्कूल और बाजार भी बंद
बिहार बंद का असर शिक्षा पर भी पड़ा। प्रदेश के अधिकांश निजी स्कूल बंद रहे। बिहार पब्लिक स्कूल एंड चिल्ड्रेन वेलफेयर एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. डीके सिंह ने स्कूलों को एहतियातन बंद रखने की बात कही। कई बाजारों और सड़कों पर भी सन्नाटा रहा।
चुनाव आयोग बोला- वैध वोटर का नाम नहीं कटेगा
चुनाव आयोग ने आरोपों को नकारते हुए कहा है कि SIR पूरी तरह कानूनी प्रक्रिया है और इसका मकसद केवल फर्जी और गलत तरीके से शामिल हुए नामों को हटाना है। आयोग के मुताबिक 2003 में भी यह प्रक्रिया अपनाई गई थी और इस बार भी पर्याप्त समय, संसाधन और एजेंट लगे हैं।
मुख्य तर्क:
- करीब डेढ़ लाख एजेंट लगे हैं, सभी दलों के लोग शामिल हैं।
- एक BLA रोज 50 तक आवेदन जमा कर सकता है।
- अब तक 46.95% यानी 3.70 करोड़ से ज्यादा फॉर्म जमा हो चुके हैं।
विपक्ष के सवाल
विपक्ष ने चुनाव आयोग से कई तीखे सवाल पूछे हैं:
- जब 22 सालों में 5 चुनाव हो चुके हैं, तो क्या वे सभी गलत थे?
- अचानक जून के अंत में वेरिफिकेशन की घोषणा क्यों हुई?
- गरीबों के पास दस्तावेज नहीं, तो क्या उन्हें वोट से वंचित किया जाएगा?
- बिहार में बाढ़ और प्रवासी मुद्दों को कैसे संबोधित करेगा आयोग?
- क्या चुनाव की घोषणा के बाद नाम कटे वोटर कोर्ट जा सकेंगे?
- क्या 2 करोड़ से ज्यादा लोग वोट से बाहर हो सकते हैं?
क्या है SIR?
SIR यानी Special Intensive Revision एक प्रक्रिया है जिसमें वोटर लिस्ट को शुद्ध और अद्यतन किया जाता है। बिहार में यह अभियान 27 जून से 25 जुलाई तक चलेगा। इसका उद्देश्य वोटर लिस्ट को साफ करना है, लेकिन विपक्ष को आशंका है कि यह प्रक्रिया सत्तारूढ़ पार्टी के इशारे पर चलाई जा रही है।
सुप्रीम कोर्ट में 10 जुलाई को सुनवाई
इस पूरे मुद्दे पर गैर सरकारी संस्था ADR ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। 10 जुलाई को इस पर सुनवाई होनी है। याचिका में SIR प्रक्रिया को तत्काल रोकने की मांग की गई है।
ये भी पढ़ें- खाने में प्याज मिलने पर कांवड़ियों ने मचाया उत्पात, बाबा बालकनाथ ढाबे में की तोड़फोड़, VIDEO वायरल