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फिल्मों में दिखाया पारंपरिक बीज, बिना कीटनाशक खेती का महत्व

रवींद्र भवन में ग्रीन हब सेंट्रल इंडिया फेस्टिवल का आयोजन

जैविक खेती, पारंपरिक बीज , वॉटरशेड प्रबंधन और मानव-वन्यजीव विषय पर आधारित फिल्में शनिवार को रवींद्र भवन में दिखाई गई। ग्रीन हब सेंट्रल इंडिया फेस्टिवल 2023 के तहत यह कार्यक्रम आयोजित किया गया। दो दिवसीय इस कार्यक्रम की शुरूआत सुबह 9.30 बजे हेमली कुमारी और सविता कुमारी के द्वारा प्रस्तुत किए गए फोक ड्रमर्स के साथ हुई। इसके बाद खेती किसानी, जैविक खेती, खाद आदि विषयों को लेकर काम कर रहे युवाओं द्वारा बनाई गई फिल्मों को प्रदर्शित किया गया। फिल्म में यह दशार्या गया कि किसान कम लागत में कैसे बेहतर खेती कर सकता है। फिल्म में पारंपरिक बीज का महत्व बताया गया। बगैर कीटनाशक कृषि कैसे की जाती है। हमें अपनी नदियों को किस तरह गंदा कर रहे है। खास बात यह है कि 10 मिनट की इन फिल्मों में समस्या और उसके समाधान को भी फिल्माया है।

फेलोशिप में आठ राज्य के यूथ लेते हैं हिस्सा

कार्यक्रम की आयोजक पूजा आयंगर ने बताया कि ग्रीन हब एक फेलोशिप है, जो कि महाशक्ति सेवा संस्थान और दृष्टि फूड फाउंडेशन के साथ मिलकर काम करती है। हर साल 10 महीने के प्रोजेक्ट में 25 यूथ लिए जाते हैं। उनको फिल्म मेकिंग के जरिए जैव विविधता, सस्टेनेबल प्रैक्टिस, जैविक खेती इन सब चीजों के लिए उनके इंटरेस्ट को प्रोत्साहित करते हैं, उनको अलग-अलग एनजीओ के साथ इंटर्नशिप कराते हैं। इसके बाद वे उन विषयों पर फिल्में बनाते हैं।

इन राज्यों के युवाओं ने बनाईं कई विषयों पर फिल्में

2021 में शुरू किया गया ग्रीन हब सेंट्रल इंडिया ने राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और झारखंड के युवाओं के साथ शुरुआत की थी। अब इस फेलोशिप में महाराष्ट्र, ओडिशा और पश्चिम बंगाल के युवाओं को शामिल किया गया है। इन युवाओं ने फिल्में बनाई हैं। जिसमें जमीनी स्तर और सामुदायिक स्तर के संरक्षण, जैविक खेती, पारंपरिक बीज बैंकों के निर्माण आदि ऐसे विषयों पर कहानियों को सामने लाया है।

फिल्म का नाम ‘बीज बैंक’ है। इसमें हमने दर्शाया है कि परंपरागत बीजों से खेती करनी चाहिए। इससे लागत कम लगती है। कम पानी में यह आसानी से पनप जाते हैं। फिल्म को मप्र सीधी जिले के मेड़रा गांव में बनाया गया। -सुनील कुमावत, जयपुर, राजस्थान

फिल्म का नाम ‘गैर कीटनाशक कृषि’ है। फिल्म में किसानों को बिना कीटनाशक के कृषि करने के बारे में बताया गया है। इस प्रक्रिया से किसान किस तरह लाभ पा रहे है यह फिल्म में दिखाया गया है। -गजेंद्र सारथी, रायगढ़, छत्तीसगढ़

‘सुंदर नदी जूझता जीवन’ फिल्म बनाई। फिल्म में रांची जिले के पास जोन्हा वॉटरफॉल है। इधर टूरिस्ट आते हैं। पिकनिक मनाते हैं। उनके जाने के बाद वहां फैले कचरे और गंदगी को लेकर फिल्म बनाई है। -सुरजीत सिंह, जिला पन्ना, मध्यप्रदेश

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