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मप्र में राज्यसभा के लिए लॉबिंग तेज, दो सीटों पर फिर आ सकते हैं बाहरी नेता !

अभी सीटों का गणित: 5 में से 4 भाजपा और एक कांग्रेस के पक्ष में

भोपाल। लोकसभा चुनाव के पहले अप्रैल में मध्यप्रदेश से खाली होने वाली राज्यसभा की 5 सीटों के चुनाव की अधिसूचना को लेकर भाजपा में दावेदारी और लॉबिंग का दौर शुरू हो गया है। अभी पांच में से 4 सीटें भाजपा की और एक कांग्रेस की रिक्त होना है। भाजपा की 4 में से दो सीटों पर दूसरे राज्यों के नेता केंद्रीय मंत्रीद्वय धर्मेंद्र प्रधान और डॉ एल मुरुगन काबिज हैं। इस बात की संभावना जताई जा रही है कि हाईकमान इस बार भी दूसरे राज्यों के नेताओं को मप्र से उच्च सदन में भेज सकता है।

पांच में से एक सीट कांग्रेस के खाते में आ सकती है लेकिन भाजपा सूत्रों का कहना है कि हम पांचों सीटों के लिए पूरी ताकत से चुनाव लड़ेंगे। कांग्रेस में प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी और पूर्व अध्यक्ष अरुण यादव के नामों की चर्चा है। ये दोनों ही ओबीसी से हैं। दोनों दल अप्रैल- मई में प्रस्तावित लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए उम्मीदवार का चयन करेंगे।

सब दिल्ली पर निर्भर

भाजपा में यह लाख टके का सवाल है कि संगठन की तरफ से किसका नाम तय किया जाएगा। पार्टी हाईकमान राज्यसभा के लिए किस फार्मूले पर काम करेगा इसका किसी को कोई इल्म नहीं है। मप्र संगठन के वरिष्ठ नेताओं के पास भी इसका जवाब नहीं है। सब कुछ दिल्ली पर निर्भर है, पार्टी हाईकमान ने अभी इस संबंध में अपने पत्ते उजागर नहीं किए लेकिन प्रदेश में भाजपा खेमे में कई वरिष्ठ नेता ऐसे हैं जो उम्मीद लगाए बैठे हैं कि हाईकमान उन्हें मौका देगा।

उच्च सदन के लिए इनको उम्मीद

ग्वालियर-चंबल क्षेत्र से पूर्व मंत्री जयभान सिंह पवैया और पूर्व मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा के नाम भी दावेदारों में माने जा रहे है। नरोत्तम विधानसभा चुनाव के दौरान दतिया से चुनाव हार चुके हैं। बुंदेलखंड से पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती और मध्यभारत से उमाशंकर गुप्ता ऐसे नाम हैं जो संगठन से अपने लिए जवाबदारी के इंतजार में हैं। इनके अलावा पूर्व प्रदेश भाजपा अध्यक्ष प्रभात झा के पास भी संगठन के स्तर पर कोई जवाबदारी नहीं है। उन्हें पूर्व में हाईकमान राज्यसभा में 2 बार मौका दे चुका है।

कैसे चुना जाता है राज्यसभा का सदस्य

मप्र विधानसभा में कुल 230 सदस्य हैं। पांच सीटों के लिए चुनाव होने हैं। निर्धारित फार्मूला के अनुसार 39 विधायक एक सदस्य को चुनेंगे। भाजपा के पास 163 विधायक हैं। इस हिसाब से चार सीटें उसे निर्विरोध मिल जाएंगी। कांग्रेस के पास 66 विधायक हैं। यानी उसे एक सीट मिलने की संभावना है।

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