
नई दिल्ली। सामाजिक कार्यकर्ता और नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर को बड़ा झटका लगा है। सोमवार (1 जुलाई) को दिल्ली की साकेत कोर्ट ने उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना की ओर से दायर मानहानि मामले में मेधा पाटकर को पांच महीने की साधारण जेल की सजा सुनाई है। कोर्ट ने मेधा पाटकर पर 10 लाख का जुर्माना भी लगाया है। इसके साथ ही जुर्माने की राशि वीके सक्सेना को देने का निर्देश दिया।
30 दिनों तक निलंबित रहेगी
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि मेधा पाटकर की उम्र, स्वास्थ्य और अवधि को देखते हुए ज्यादा सजा नहीं दी जा रही है और उनकी सजा 30 दिनों तक निलंबित रहेगी। पाटकर ने अदालत के समक्ष जमानत याचिका भी दायर की है।
उपराज्यपाल ने क्या आरोप लगाया ?
साल 2001 में दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर के खिलाफ मानहानि की याचिका दाखिल की थी। उन्होंने अपनी याचिका में कहा कि पाटकर द्वारा उनके खिलाफ झूठे आरोप, व्यंग्यपूर्ण अभिव्यक्ति और गलत लांछन लगाए गए। जिसके बाद दिल्ली की साकेत कोर्ट में इस मामले की सुनवाई हुई और मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट राघव शर्मा ने पाटकर को मानहानि का दोषी पाया।
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