भोपाल

भोपाल के हमीदिया अस्पताल में होगी कूल्हे और घुटने की रोबोटिक सर्जरी, यह सुविधा देने वाला मप्र का पहला सरकारी अस्पताल

प्रवीण श्रीवास्तव, भोपाल
मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के हमीदिया अस्पताल में जल्द ही घुटने और कूल्हे (नी एंड हिप रिप्लेसमेंट) की रोबोटिक सर्जरी शुरू होगी। 2 सितंबर को यहां पहला रोबोटिक नी रिप्लेसमेंट किया जाएगा। अब तक प्रदेश के निजी अस्पतालों में नी और हिप की सर्जरी होती है। प्रदेश के किसी सरकारी अस्पताल में यह सुविधा पहली बार शुरू होने जा रही है। रिप्लेसमेंट के लिए जरूरी रोबोटिक सेटअप सोमवार को हमीदिया पहुंचा।

क्या है रोबोटिक नी रिप्लेसमेंट

दरअसल, रोबोटिक सर्जरी में ऐसा नहीं होगा कि कोई रोबोट सर्जरी करेगा। यह एक कंप्यूटराइज्ड डिवाइस है, जो डॉक्टर के असिस्टेंस के रूप में काम करेगी। इसमें ऑपरेशन के दौरान डॉक्टर रोबोटिक सेटअप का रिमोट हाथ में पहनते हैं। इसमें लगे कैमरे और सेंसर रोबोट घुटने के सारे मूवमेंट और स्थिति को नोट कर उसकी थ्रीडी इमेज तैयार करते हैं। थ्रीडी इमेज के हिसाब से रोबोट ऑपरेशन का सटीक प्लान तैयार करता है। वह डॉक्टर को बताता है कि हड्डी कितनी खराब है, कितनी और किस जगह से काटनी है।

रिप्लेसमेंट के तीन दिन बाद अस्पताल से मिलेगी छुट्टी

अब तक यह सारे आकलन डॉक्टर अपने विवेक और अनुभव के आधार पर करते थे। अब डॉक्टर के पास सटीक आकलन और प्लान होगा। इससे ऑपरेशन ज्यादा आसान होगा। यही नहीं, रोबोटिक सर्जरी में इंप्लांट की उम्र 10 साल तक बढ़ जाती है और ऑपरेशन फेल होने का खतरा न के बराबर होता है। यह सर्जरी इतनी सटीक होती है कि रिप्लेसमेंट के तीन दिन बाद ही मरीज को डिस्चार्ज कर दिया जाता है।

सरकारी अस्पतालों को मिलेंगे 1,000 से ज्यादा नए मेडिकल ऑफिसर

मप्र के सरकारी अस्पतालों में जल्द ही 1,172 मेडिकल ऑफिसर और विशेषज्ञ जॉइनिंग देंगे। मेडिकल कॉलेजों से यूजी-पीजी करने वाले डॉक्टर एक वर्ष तक सरकारी अस्पतालों में अनिवार्य सेवाएं देंगे। ये सभी 2017 बैच के हैं। इनमें करीब 700 डाक्टर निजी मेडिकल कॉलेजों से निकले हैं। बॉन्ड की राशि जमाकर भी इस सेवा को छोड़ा नहीं जा सकता। अब तक छात्र अनिवार्य सेवा की जगह बॉन्ड की राशि जमा कर सरकारी अस्पतालों में काम करने से बच जाते थे। 2019 से एमडी और एमएस में भी निजी कॉलेजों के डाक्टरों पर अनिवार्य सेवा का बॉन्ड लगाया गया था। नए डॉक्टरों में से 5 डॉक्टर काटजू अस्पताल को मिलेंगे। इन डॉक्टरों की जॉइनिंग के बाद काटजू अस्पताल शुरू होने की उम्मीद है।

डॉक्टरों की कमी दूर करने के प्रयास किए जा रहे हैं। एमपीपीएससी के माध्यम से डॉक्टरों की भर्ती की जा रही है। हर साल अस्पतालों को बॉन्डेड डॉक्टर मिलेंगे।
– डॉ. प्रभुराम चौधरी, स्वास्थ्य मंत्री, मप्र

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