
कोलकाता। बांग्लादेश सरकार ने बढ़ी घरेलू मांग का हवाला देते हुए भारत में हिलसा मछली निर्यात पर रोक लगा दी है। दुर्गा पूजा के दौरान कोलकाता के बाजारों में यह खास मछली उपलब्ध नहीं होगी। बांग्लादेश ने दुर्गा पूजा से एक महीने पहले यह फैसला लिया है। बंगालवासियों के लिए दुर्गा पूजा जितना बड़ा त्योहार है, उनके बीच इस पर्व की जितनी महत्ता है, उसी तरह उनका स्वादिष्ट भोजन भी दुनिया भर में उतना ही मशहूर है। इसी में हिलसा मछली भी शामिल है। जो पूरे बंगाल में पूरे चाव से खाई जाती है।
बांग्लादेश ने निर्यात रोकने का फैसला लिया
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने कोलकाता स्थित मछली आयातक संघ के अनुरोध को मानने से मना कर दिया है। इसमें दुर्गा पूजा के लिए हिलसा मछली निर्यात को जारी रखने की मांग की गई थी। बांग्लादेश के मछली और पशु संसाधन मंत्रालय की सलाहकार फरिदा अख्तर ने बढ़ती घरेलू मांग का हवाला देते हुए इस साल निर्यात की इजाजत नहीं दी है।
‘हिलसा डिप्लोमेसी’ पर लगी रोक
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के शासनकाल में 2019 से ‘हिलसा डिप्लोमेसी’ के तहत दुर्गा पूजा के समय लगभग 1,000 टन हिलसा मछली (इलिश) भारत भेजी जाती थी। लेकिन इस बार, सरकार के बदलाव और बढ़ती घरेलू मांग के चलते निर्यात पर रोक लगा दी गई है। यह पिछले 4 साल से बंगाल के लोगों का प्रिय डिश था।
कोलकाता में मछली के शौकीनों की परेशानी बढ़ी
संघ के सचिव सैयद अनवर मकसूद ने कहा कि इस बार हिलसा मछली मिलने की संभावना बेहद कम है। इसके साथ ही, अगले महीने से 22 दिनों का हिलसा मछली पकड़ने पर प्रतिबंध भी लग जाएगा, जिससे मछली को अंडे देने का मौका मिल सके। पिछले साल 1,300 टन हिसला मछली का निर्यात हुआ था, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हो पाएगा।
बाजार में अन्य मछलियां भी उपलब्ध, लेकिन स्वाद में कमी
दुर्गा पूजा में हिलसा मछली की मांग बहुत बढ़ जाती है। बांग्लादेश से हिलसा के आधिकारिक निर्यात पर रोक के बाद कुछ मछली त्रिपुरा के रास्ते तस्करी कर लाई जा रही है और बहुत महंगे दामों पर बेची जा रही हैं। इसके अलावा, बाजार में म्यांमार और गुजरात की भी हिलसा मछली उपलब्ध हैं लेकिन बांग्लादेश की हिलसा के मुकाबले उनका स्वाद उतना बेहतर नहीं माना जाता। बता दें कि दुनिया की 70 प्रतिशत हिलसा मछली का उत्पादन बांग्लादेश अकेले करता है।