जबलपुर. पश्चिम मध्य रेल में तीनों मंडलों में ऑटोमेटिक कोच वॉशिंग प्लांट शुरू हो चुके हैं। इनमें से जबलपुर मंडल में भी यह प्लांट अभी ही चालू हुआ है, मगर इसमें रेलवे ने बजाय खुद का पैसा खर्च करने के बीओओ यानि बिल्ड ऑन एंड ऑपरेट के तहत तैयार करवाया है। इसकी खास बात यह है कि यहां पर रेलवे को केवल कोच वॉश करवाने का शुल्क132 रुपए प्रति कोच के हिसाब से देना है। वहीं इसमें महज 60 लीटर पानी में कोच धुल जाएगा और इसका भी 80 फीसदी पानी रीयूज में लिया जाएगा।
होगी पानी की बचत
कोटा और भोपाल में रेलवे ने अपने पैसे लगाकर प्लांट तैयार करवाया है। तीनों मंडलों में प्रारंभ किए गए इन ऑटोमेटिक कोच वॉशिंग प्लांट में पानी की भारी बचत होती है। प्लांट में उपयोग किए गए पानी को रीसाइकिल कर पुन: रीयूज में लिया जा सकता है। तीनों प्लांट के चालू होने से जहां कोच नियमित रूप से साफ-सुथरे रहते हैं, वहीं रेलवे को आर्थिक लाभ भी पहुंच रहा है।
फैक्ट फाइल
-7 मिनट में धुलता है 1 कोच।
-132 रुपए प्रति कोच धुलाई की लगात।
-149 रुपए प्रति कोच पहले पड़ती थी लागत।
-2.1 करोड़ की लागत से नोएडा की कंपनी ने लगाया है प्लांट।
-24 कोच होते हैं एक रैक में।
-15 ट्रेनों की होती है धुलाई।
प्रतिदिन धुलाई का करना होगा भुगतान
नोएडा की इन्वेंट्स प्रा. लि. कंपनी ने इस प्लांट को लगाया है जिसके साथ रेलवे का 10 वर्षों तक का अनुबंध है। इस अवधि में ये कंपनी ही प्लांट का संचालन व मेंटेनेंस करेगी। इसके बदले रेलवे प्रति कोच132 रुपए का भुगतान करेगा। एक ट्रेन के रैक में 24 कोच होते हैं जिसका कुल धुलाई चार्ज 3668 रुपए रेलवे भुगतान करेगा। प्रतिदिन मंडल की 15 ट्रेनों की सफाई होगी जिसके बदले रेलवे को प्रतिदिन का 55 हजार रुपए देना होगा।
क्या अंतर होगा बाकी दो जोन में?
कोटा और भोपाल में रेलवे ने अपना पैसा खर्च कर ऑटोमेटिक कोच वॉशिंग प्लांट लगाए हैं। जहां उसे अपने संसाधनों से इसका मेंटेनेंस व संचालन करना होता है। जिसमें दोनों मंडलों को जबलपुर की तुलना में अधिक खर्च वहन करना होता है।
पमरे ने जबलपुर मंडल में बिनाअपना एक भी रुपया लगाए ऑटोमेटिक कोच वॉशिंग प्लांट शुरू कर लिया है। इससे न सिर्फ रेलवे को आर्थिक बचत होगी अपितु पानी का भी बेहद कम इस्तेमाल होगा। बिजली में भी बचत होगी।
राहुल जयपुरियार, सीपीआरओ, पमरे जोन,जबलपुर।