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भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों को नहीं मिलेगा अतिरिक्त मुआवजा, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- पहले आना था, न कि तीन दशक बाद

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने भोपाल गैस कांड के पीड़ितों का मुआवजा बढ़ाने की केंद्र सरकार की क्यूरेटिव पिटीशन को खारिज कर दिया। इस याचिका में गैस पीड़ितों को यूनियन कार्बाइड से करीब 7400 करोड़ का अतिरिक्त मुआवजा दिलाने की मांग की गई थी। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस संजय किशन कौल के नेतृत्व वाली संविधान पीठ ने कहा कि, केंद्र को इस मामले में पहले आना चाहिए था न कि तीन दशक के बाद। लंबित दावों को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार RBI के पास मौजूद 50 करोड़ रुपए की राशि का इस्तेमाल करे।

कोर्ट ने क्या कहा ?

1984 के भोपाल गैस त्रासदी में पीड़ितों के लिए मुआवजे मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, केंद्र को इस मामले में पहले आना चाहिए था न कि तीन दशक के बाद। केंद्र सरकार ने क्यूरेटिव याचिका में यू नियन कार्बाइड के साथ अपने समझौते को फिर से खोलने की मांग की थी। भोपाल गैस पीड़ितों को 7400 करोड़ रुपए का अतिरिक्त मुआवजा दिलवाने के लिए केंद्र सरकार ने क्यूरेटिव याचिका दाखिल की थी।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, केंद्र सरकार भारतीय रिजर्व बैंक के पास मौजूद 50 करोड़ रुपए का उपयोग लंबित दावों को मुआवजा देने के लिए करे। समझौते को सिर्फ फ्रॉड के आधार पर रद्द किया जा सकता है, केंद्र सरकार की तरफ से समझौते में फ्रॉड को लेकर कोई दलील नहीं गई।

1984 में भोपाल में क्या हुआ था

1984 में दो दिसंबर की रात को भोपाल में मौत ने ऐसा तांडव मचाया कि आज तक उसके जख्म नहीं भर सके। भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड फैक्‍ट्री से जहरीली गैस का रिसाव हुआ था। जिससे पूरे शहर में मौत का तांडव मच गया था। मरने वालों की संख्या 16,000 से भी अधिक थी।

करीब पांच लाख जीवित बचे लोगों को जहरीली गैस के संपर्क में आने के कारण कई दिक्कतें हुईं। पीड़ितों को सांस की समस्या, आंखों में जलन या अंधापन, और अन्य विकृतियों का सामना करना पड़ा। त्रासदी का असर लोगों की अगली पीढ़ियों तक में दिखा। त्रासदी के बाद भोपाल में जिन बच्चों ने जन्म लिया उनमें से कई विकलांग पैदा हुए तो कई किसी और बीमारी के साथ।

कितनी गैस लीक हुई थी?

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से करीब 40 टन मिथाइल आइसोसाइनेट (एमआईसी) गैस लीक हुई थी। ये एक जहरीली गैस होती है। शरीर के अंदर जाते ही कुछ ही मिनट में इंसान की मौत हो जाती है।

गैस लीक की वजह?

फैक्ट्री के प्लांट नंबर सी से गैस के लीक होने की सूचना मिली थी। सरकारी रिकॉर्ड के मुताबिक, मिथाइल आइसोसाइनेट प्लांट को ठंडा करने के लिए पानी में मिला दिया गया था। इससे गैसों की मात्रा बढ़ गई और टैंक संख्या 610 पर ज्यादा दबाव पड़ा। गैस टैंक से बाहर निकलने लगी। मिथाइल आइसोसाइनेट गैस के लीक होने से करीब 5 लाख लोग प्रभावित हुए।

कौन था मुख्य आरोपी?

इस हादसे का मुख्य आरोपी वॉरेन एंडरसन था, जो इस कंपनी का CEO था। 6 दिसंबर 1984 को एंडरसन को गिरफ्तार भी किया गया, लेकिन अगले ही दिन 7 दिसंबर को उन्हें सरकारी विमान से दिल्ली भेजा गया और वहां से वो अमेरिका चले गए। इसके बाद एंडरसन कभी भारत लौटकर नहीं आए। कोर्ट ने उन्हें फरार घोषित कर दिया था। 29 सितंबर 2014 को फ्लोरिडा के वीरो बीच पर 93 साल की उम्र में एंडरसन का निधन हो गया।

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