
नई दिल्ली। दिल्ली आबकारी नीति में कथित घोटाले से जुड़े मनी लांड्रिंग के मामले में सीएम अरविंद केजरीवाल और BRS नेता के कविता की मुश्किलें कम होती नजर नहीं आ रही हैं। राउज एवेन्यू कोर्ट ने मंगलवार को दोनों नेताओं की हिरासत दो सितंबर तक बढ़ा दी। विशेष न्यायाधीश कावेरी बावेजा ने आरोपियों की न्यायिक हिरासत अवधि समाप्त होने पर उन्हें वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए अदालत के समक्ष पेश किए जाने के बाद उनकी हिरासत अवधि बढ़ा दी।
सुप्रीम कोर्ट ने पहले इस मामले में केजरीवाल को अंतरिम जमानत दे दी थी। हालांकि, आम आदमी पार्टी (आप) के नेता अब भी तिहाड़ जेल में बंद हैं, क्योंकि उन्होंने मामले में जमानत बॉण्ड नहीं भरा है। दिल्ली के मुख्यमंत्री इस कथित घोटाले के संबंध में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दर्ज भ्रष्टाचार के एक मामले में न्यायिक हिरासत में हैं।
CBI ने कविता को 11 अप्रैल को किया था गिरफ्तार
राउज एवेन्यू कोर्ट ने 22 जुलाई को के कविता के खिलाफ सीबीआई की ओर से दाखिल चार्जशीट पर संज्ञान लिया। आज उनकी न्यायिक हिरासत खत्म हो रही थी। कविता को सीबीआई ने इस मामले में 11 अप्रैल को गिरफ्तार किया था। सीबीआई ने के कविता के 7 जून को खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी।
‘साउथ ग्रुप‘ से जुड़ी होने का आरोप
दिल्ली शराब नीति घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में एक आरोपी अमित अरोड़ा ने पूछताछ के दौरान कविता का नाम लिया था। एजेंसी ने आरोप लगाया है कि ‘साउथ ग्रुप’ नाम की एक शराब लॉबी थी, ईडी ने दावा किया था कि कविता शराब कारोबारियों की लॉबी ‘साउथ ग्रुप’ से जुड़ी हुई थी। उन्होंने अन्य कारोबारियों के जरिए दिल्ली में AAP सरकार के नेताओं को 100 करोड़ रुपए का भुगतान किया।
क्या है पूरा मामला ?
दिल्ली में केजरीवाल की सरकार में डिप्टी सीएम रहे मनीष सिसोदिया ने 22 मार्च 2021 को नई शराब नीति का ऐलान किया था। 17 नवंबर 2021 को नई शराब नीति यानी एक्साइज पॉलिसी 2021-22 लागू कर दी गई। नई शराब नीति लागू करने के बाद सरकार शराब के कारोबार से बाहर आ गई और शराब की पूरी दुकानें निजी हाथों में चली गई। नई नीति लाने के पीछे सरकार का तर्क था कि इससे माफिया राज खत्म होगा और सरकार का रेवेन्यू में बढ़ेगा। नई नीति से रेवेन्यू में 1500-2000 करोड़ रुपए की बढ़ोतरी की उम्मीद जताई गई थी।
नई पॉलिसी में कहा गया था कि दिल्ली में शराब की कुल दुकानें पहले की तरह 850 ही रहेंगी। हालांकि, नई नीति शुरू से ही विवादों में रही। जब बवाल ज्यादा बढ़ गया, तब 28 जुलाई 2022 को सरकार ने नई शराब नीति रद्द कर फिर पुरानी पॉलिसी लागू कर दी। मामले में सीबीआई को जांच ट्रांसफर दी गई। मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ा एंगल आने पर इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय की एंट्री हो गई। उसके बाद से AAP के कई सीनियर नेता और उनके करीबी सहयोगी जांच एजेंसी के निशाने पर आ गए।
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