
Pitra Dosha : जब पूर्वजों की आत्माएं तृप्त नहीं होती, तो ये पृथ्वी लोक में रहने वाले अपने वंशजों को कष्ट देती हैं। इसी को ज्योतिष शास्त्र में पितृदोष कहा गया है। इसकी वजह से घर में कलह, अशांति, धन की कमी और बीमारी लगी रहती है। यहां जानिए पितृदोष का निवारण कैसे करें…
कैसे बनता है कुंडली में पितृ दोष
- ज्योतिष घटनाओं के हिसाब से जब किसी व्यक्ति की कुंडली के लग्न भाव और पांचवें भाव में सूर्य मंगल और शनि विराजमान होते हैं, तो पितृदोष बनाते हैं।
- कुंडली के अष्टम भाव में गुरु और राहु एक साथ बैठे तो भी पितृदोष का निर्माण होता है।
- जब कुंडली में राहु केंद्र में या त्रिकोण में मौजूद होता है, तो पितृ दोष बनता है।
- जब सूर्य, चंद्रमा और लग्नेश का राहु से संबंध होता है, तो जातक की कुंडली में पितृ दोष बनता है।
- जब कोई बड़ों का अनादर करता है, विधिपूर्वक अंतिम संस्कार नहीं होता या फिर किसी की हत्या कर देता है, तो पितृ दोष लगता है।
- सूर्य चंद्रमा या राहु कुंडली के 9 वे भाव में हो जिन्हें पूर्वजों और भाग्य का भाव कहते हैं।
- केचु कंडली के 4 भाव में हो, सूर्य, चंद्रमा, राहु मंगल या केतु शनि जैसे क्रूर ग्रहों से पीड़ित हो।
- शुक्र, बुध, राहु इनमें से कोई भी दो ग्रह कुंडली के 2, 5, 9 या 12 भाव में हों।
पितृदोष के लक्षण
जब किसी व्यक्ति की कुंडली में पितृदोष होता है तो उसे अपने जीवन में कई तरह की बाधाओं का सामना करना पड़ता है। विवाह में देरी होती है। सगाई टूट सकती है। वैवाहिक जीवन में तनाव रहता है। महिलाओं को गर्भधारण में समस्याएं आती हैं। बच्चों के जन्म में समस्या, जन्म के बाद अकाल मृत्यु हो सकती है। जीवन में धन, कर्ज और नौकरी में परेशानियां आती रहती हैं। ऐसे लोगों के घर परिवार में आकस्मिक निधन या दुर्घटना हो सकती है। परिवार में विकलांग या अनचाहे बच्चे का जन्म हो सकता है। बुरी आदतों की लत लग सकती है। परिवार में गलतफहमी, संघर्ष, पेशेवर जीवन में अस्थिरता, मानसिक स्वास्थ्य खराब होना। मेहनत के बाद भी सफलता न मिलना। घर में पिता का अपमान कमजोर सूर्य चंद्रमा, पूर्वजों ने अपनी जिम्मेदारी पूरी न की हो या गलत काम किया हो तो पीढ़ी दर पीढ़ी पितृ दोष चलता है।
पितृदोष से मुक्ति के लिए उपाय
- यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में पितृदोष है, तो ऐसे व्यक्ति को अपने घर में हर अमावस्या पर श्रीमद्भागवत के गजेंद्र मोक्ष अध्याय का पाठ करना चाहिए।
- प्रत्येक चतुर्दशी, अमावस्या और पूर्णिमा के एक दिन पहले पीपल पर दूध चढ़ाना और भगवान विष्णु से प्रार्थना करना शुभ माना जाता है।
- सवा किलो चावल लाकर उसमें से 21 दिन तक रोज अपने ऊपर से एक मुट्ठी चावल 7 बार उतारकर पीपल की जड़ में डाल देना चाहिए।
- यदि कुंडली में पितृदोष बन रहा हो, तब जातक को अपने घर की दक्षिण दिशा की दीवार पर अपने स्वर्गीय परिजन का फोटो लगाकर उस पर हार चढ़ाना और रोज उनकी पूजा करके, उनसे आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए।
- पितृदोष के उपाय के लिए व्यक्ति को काले कुत्ते को उड़द के आटे से बने वड़े हर शनिवार को खिलाने से शनि, राहु, केतु तीनों ग्रहों का नकारात्मक प्रभाव कम होता है।
- हर साल पितृपक्ष की अमावस्या पर या जिस तिथि को पूर्वज की मृत्यु हुई है, उस तिथि पर पितृदोष शांति विधिवत कराना भी पितृदोष को कम कर सकता है। गया, वाराणसी, हरिद्वार जैसे पवित्र स्थानों में भी शांति करा सकते हैं।