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90+ उम्र में भी युवाओं जैसे सक्रिय, दे रहे जीवन जीने के मंत्र

बेमिसाल : इस उम्र में ये जुनून, अपने अनुभवों से किताबों के जरिए नई पीढ़ी के लिए रच रहे हैं साहित्य

राजीव सोनी-भोपाल। राजधानी के कुछ सीनियर सिटीजन्स के लिए 90+ की उम्र नंबर से ज्यादा कुछ भी नहीं। दिमाग से वे आज भी यंग और सामाजिक रूप से सक्रिय हैं। अपने जीवन भर के अनुभव और विशेषज्ञता को किताबों की शक्ल में नई पीढ़ी के लिए लिखने में जुटे हैं। इन शब्द शिल्पियों की उम्र उनके साहित्य सृजन पर हॉवी नहीं हो पाई।

पूर्व प्रशासक ने उर्दू में लिखी नई किताब

देवीशरण (95) : नगर निगम भोपाल के कमिश्नर और बीडीए के सीईओ रहे देवी शरण रोटरी सहित कई संस्थाओं में नए-पुराने मित्रों के साथ व्यस्त रहते हैं। तुम डाल-डाल, हम पांत-पांत (हिंदी) और याराने मेहरबां (उर्दू) पुस्तकें चर्चित हो चुकी हैं। अखबारों में उनके लेख और व्यंग्य खूब चर्चित रह चुके हैं। उर्दू पुस्तक का नया एडिशन अभी छप कर आया है।

वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफी के लिए आज भी बेकरार

जेपी कौशल (91) : जनसंपर्क के रिटायर एडिशन डायरेक्टर, राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री से लेकर फिल्म, साहित्य, समेत अन्य दिग्गजों को अपने कैमरे में कैद कर चुके हैं। कार खुद चलाते हैं। वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफी करने लांग ड्राइव पर निकल पड़ते हैं। हाल ही में अपने अनुभवों और लेखों को संकलित कर ‘समय की धरोहर’ पुस्तक की शक्ल दी है।

हेल्दी डाइट, मॉर्निंग वॉक से कायम है एनर्जी लेवल

रमेश चंद्र बादल (91) : पूर्व शिक्षक, मोटिवेशनल स्पीकर, पारिवारिक, सामाजिक, आध्यात्मिक विषयों पर लेखन के साथ नई पीढ़ी को सफलता के मंत्र दे रहे हैं। हेल्दी डाइट के साथ मॉर्निंग वॉक, योग और एक्सरसाइज दिनचर्या है। एनर्जी लेवल इतना कि पूछो मत। उनकी ताजा पुस्तक ‘सपने देखो सफलता पाओ’ के लोकार्पण की तैयारी है।

14 किताबें लिख चुके, एक और का लोकर्पण जल्द

घनश्याम सक्सेना (92) : अंग्रेजी साहित्य के विद्यार्थी रहे सक्सेना 65 साल से लगातार हर दिन साहित्य सृजन में जुटे हैं। आज भी उनका जोश-उत्साह देखने के काबिल है। 16 अगस्त को उनके उपन्यास ‘कुछ तुलसीदल कुछ गंगाजल…’ का लोकार्पण होना है। अब तक 14 किताबें विभिन्न विषयों पर लिख चुके हैं। केंद्र व राज्य से कई बार पुरस्कृत हैं।

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