
देवास। इंदौर-बैतूल नेशनल हाईवे पर स्थित कालीसिंध नदी की संकरी और जर्जर पुलिया एक बार फिर हादसे का कारण बनी। रविवार सुबह करीब 11 बजे कमलापुर थाना क्षेत्र के चापड़ा गांव के पास एक अर्टिगा कार पुलिया से फिसलकर सीधे नदी में जा गिरी। इस हादसे में कार सवार चार में से दो लोगों की मौत हो गई, जबकि दो अन्य को ग्रामीणों ने कांच तोड़कर बचा लिया। घायलों में से एक की हालत गंभीर बताई जा रही है।
संतुलन बिगड़ने से हुआ हादसा, पुलिया पर नहीं थी रेलिंग
बताया जा रहा है कि अर्टिगा कार तमिलनाडु के मदुरई से इंदौर की ओर जा रही थी। जैसे ही कार चापड़ा गांव के पास 100 साल पुरानी पुलिया पर पहुंची, सामने से आ रहे ट्रक को देखकर चालक ने संतुलन खो दिया और कार रेलिंग विहीन पुलिया से नीचे कालीसिंध नदी में जा गिरी। यह पुलिया केवल 11 मीटर लंबी और 12 फीट ऊंची है, लेकिन सुरक्षा के कोई पुख्ता इंतजाम नहीं हैं।
सीट बेल्ट बनी मौत की वजह, दो बाहर नहीं निकल सके
हादसे के बाद स्थानीय ग्रामीणों ने तुरंत नदी में उतरकर रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया। कार में चार लोग सवार थे, जिनमें से दो ने आगे की सीट पर सीट बेल्ट लगा रखी थी। वे बेल्ट खोल नहीं सके और डूबकर उनकी मौत हो गई। वहीं पीछे बैठे दो यात्रियों को ग्रामीणों ने कांच तोड़कर बाहर निकाला। इन दोनों को अस्पताल पहुंचाया गया, जिनमें से एक की हालत नाजुक है।
मृतक और घायल सभी मदुरई के निवासी
हादसे का शिकार हुए चारों लोग तमिलनाडु के मदुरई जिले के निवासी हैं। वे देश के विभिन्न हिस्सों में स्थित रेस्टोरेंट्स में साउथ इंडियन फूड बनाने का काम करते थे। काम के सिलसिले में वे इंदौर जा रहे थे। मृतकों की पहचान और परिवार को सूचित किया जा रहा है।
पुलिस जांच में जुटी, मृतकों के शव पोस्टमार्टम के लिए भेजे
कमलापुर थाना पुलिस मौके पर पहुंची और मामले की जांच शुरू कर दी है। मृतकों के शव पोस्टमार्टम के लिए भेजे गए हैं और परिजनों को सूचित किया जा रहा है। पुलिस का कहना है कि लापरवाही से हुए इस हादसे के हर पहलू की जांच की जा रही है।
दो महीने में चौथा हादसा, फिर भी प्रशासन बेखबर
चापड़ा गांव के पास की यह पुलिया बीते कुछ समय से दुर्घटनाओं का गढ़ बन गई है। मात्र दो महीनों में यहां यह चौथा हादसा है। स्थानीय लोगों ने कई बार जनप्रतिनिधियों और प्रशासन से इसकी मरम्मत और चौड़ीकरण की मांग की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। अब इस लापरवाही की कीमत दो और लोगों की जान से चुकानी पड़ी है।