
सोहागपुर, मढ़ई। सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के घने जंगलों में एक दुर्लभ खोज ने वैज्ञानिकों और वन्यजीव प्रेमियों का ध्यान आकर्षित किया है। मढ़ई के जंगलों में दुर्लभ तेंदुआ गेको छिपकली (Eublepharis satpuraensis) देखी गई है, जो केवल सतपुड़ा क्षेत्र में पाई जाने वाली एक विशेष प्रजाति है।
गेको प्रजातियों से अलग
मढई के एसडीओ अंकित जामोद ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि यह अनोखी छिपकली अपने तेंदुआ जैसे धब्बों, पलकदार आंखों और रात्रिचर स्वभाव के कारण अन्य गेको प्रजातियों से अलग मानी जाती है। विशेषज्ञों के अनुसार, मढ़ई के जंगलों में इसका पाया जाना इस क्षेत्र की समृद्ध जैव विविधता को दर्शाता है और इसे संरक्षित करने की आवश्यकता को रेखांकित करता है।
वन विभाग और वैज्ञानिकों की प्रतिक्रिया
वन अधिकारियों और शोधकर्ताओं का मानना है कि यह खोज मढ़ई और सोहागपुर क्षेत्र के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। इससे न केवल सतपुड़ा की जैव विविधता को पहचान मिलेगी, बल्कि वन्यजीव संरक्षण के प्रयासों को भी बल मिलेगा।
संरक्षण की जरूरत
हालांकि, बढ़ते मानव हस्तक्षेप और पर्यावरणीय बदलावों के कारण इस दुर्लभ प्रजाति का अस्तित्व खतरे में पड़ सकता है। वन्यजीव विशेषज्ञों का कहना है कि इसके संरक्षण के लिए सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में विशेष योजनाएं बनाई जानी चाहिए, ताकि यह प्रजाति सुरक्षित रह सके।
सोहागपुर के मढ़ई जंगलों में इस दुर्लभ छिपकली की उपस्थिति से वन्यजीव प्रेमियों और शोधकर्ताओं में उत्साह है। यह खोज न केवल क्षेत्रीय बल्कि वैश्विक स्तर पर सतपुड़ा की जैव विविधता को नई पहचान दिला सकती है।