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प्रदेश में चुनाव की सतही लहर नहीं, अप्रत्याशित परिणाम की संभावनाए

वोटर के मन की बात : पार्टियों ने नहीं बताए विजन डॉक्यूमेंट, सिर्फ किए वादे

भोपाल। शिवाजी नगर भोपाल के निवासी मुकेश नरवरिया व्यवसायी हैं। वे कहते हैं कि उन्होंने अभी तक तय नहीं किया कि वे अपने विधानसभा क्षेत्र के लिए किस प्रत्याशी को चुने, क्योंकि भाजपा और कांग्रेस अबतक यह स्पष्ट नहीं कर पाई है कि उसका विजन डाक्यूमेंट्स क्या है। दल के नेता प्रोमिस डाक्यूमेंट्स (घोषणाओं) पर बात कर रहे हैं। वहीं राजधानी के छह नंबर स्टॉप पर मिट्टी के बर्तन बेच रही सुशीला कुम्हार का कहना है कि भाजपा सरकार ने लाड़ली बहना योजना लाकर हमें सहारा दिया है। सतना के ओमप्रकाश कुशवाहा के अनुसार सरकार यह बताए कि खाली खजाना के लिए पैसा कहां से लाएंगे। छतरपुर की छात्रा करुणा मिश्रा के अनुसार चुनाव को लेकर सतही लहर नहीं है। मतदाताओं का मूड भांपने के लिए अलग-अलग क्षेत्रों से जानकारी जुटाई गई।

दीपावली के बाद बोवनी के कारण कम वोटिंग की आशंका

माना जा रहा है कि इस बार दीपावली के चार दिन बाद मतदान होने और किसानों के बोवनी में व्यस्त रहने से मतदान प्रतिशत पर असर पड़ सकता है । सबसे ज्यादा चिंता महिला मतदाताओं को लेकर है।

फिलहाल ये है मतदाताओं का रुख

  • दोनों दलों के प्रति भावनात्मक ज्वार नहीं दिख रहा।
  • कांग्रेस सरकार में ऋण माफी नहीं दिखी, जबकि लाड़ली बहना योजना जमीन पर उतरी है।
  • दोनों पार्टियों में युवा प्रत्याशियों की कमी देखने में आई है।
  • नया नेतृत्व नहीं दिख रहा। दोनों ही दलों में बगावत के स्वर हैं।
  • भाजपा जैसी कॉडर आधारित पार्टी में सामान्य नहीं दिख रहा।
  • राज्य में दोनों पार्टियों ने इफरात बांटने की बात कही है, जिससे जनता भ्रम में है।

इन प्रमुख बातों को नहीं किया जा सकता इगनोर

  • विभिन्न इलाकों में जुटाई गई जानकारी से यह बात भी सामने आई है कि लोगों को स्थानीय मुद्दे ज्यादा घर कर रहे हैं। लोग इस बात से भी नाराज हैं कि जिस विधायक को वे नापसंद करते थे उसे फिर टिकट दे दिया।
  • भाजपा के लिए लाड़ली बहना योजना अपना इंपेक्ट डालेगी, यह वोटों के अंतर को कम कर सकती है।
  • बहुजन समाज पार्टी, समाजवादी पार्टी , आम आदमी पार्टी जैसे दल बदल सकते हैं समीकरण।

पार्टी और प्रत्याशी नहीं वोटरों के चाहने पर होगा

  • चुनाव में जो मतदाता चाहेंगे वह होगा। नेताओं ओर पार्टियों के चाहने का असर नहीं।
  • दोनों ही दल कितना भी दावे करें लेकिन अंदर से सभी सशंकित हैं।
  • दोनों दलों के बड़े नेताओं के लिए राजनैतिक कॅरियर का ढलान साबित हो सकता है।

बराबर की टक्कर

इंदौर सट्टा बाजार का अनुमान है कि इस बार कांग्रेस की बढ़त दिख रही है। वहीं कई सर्वे में भाजपा और कांग्रेस में टक्कर बताई जा रही है।

वोटर चुप है तो समझो सरकार संकट में

प्रदेश में डबल इंजन की सरकार होने की बात कही जा रही है। लेकिन, भाजपा सरकार केंद्र का लाभ नहीं ले पायी। सरकार का खजाना खाली है, लाड़ली बहना योजना और बुजर्गों को तीर्थ कराने से कुछ नहीं होना। सच तो यह है कि जब वोटर चुप होता है तो इसका अर्थ है कि सरकार संकट में है। क्षेत्रवार देंखे तो इस बार कांग्रेस चंबल-ग्वालियर में बेहतर प्रदर्शन करेगी। सिंधिया का असर नहीं दिख रहा। राजेश बादल, वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक

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