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नौंवी की स्टूडेंट्स ने बनाया कचरे से कोयले और लकड़ी का नया इको फ्रेंडली विकल्प “स्वीट-ब्रेकेट”; प्रदूषण, राख और महंगाई से मिलेगी निजात

शिवानी गुप्ता, भोपाल। ये खबर प्रदूषण से परेशान होने वाले कारोबारियों और गृहिणियों के लिए बेहद खास है। अब भी प्रदेश के कई प्लांट्स, रेस्टोरेंट्स, ढाबा और घरों में कोयला और लकड़ी जलाकर ही खाना पकाया जाता है। इससे न केवल भारी भरकम प्रदूषण होता है, बल्कि इसके दाम और निकलने वाली राख भी एक परेशानी का सबब बनती है। इस समस्या का समाधान भोपाल की दो स्कूली बच्चियों ने निकाल लिया है। भोपाल के कार्मेल कॉन्वेंट सीनियर सेकेंडरी स्कूल की नौंवी क्लास में पढ़ने वाली शब्दा तिवारी ने अपनी दोस्त सौम्या गुप्ता के साथ मिलकर इसका निदान “स्वीट ब्रेकेट” का निर्माण कर खोज निकाला।

कोयला और लकड़ी से बेहतर है “ब्रेकेट”, ऐसे किया तैयार

शब्दा बताती हैं कि इसे बनाने के ख्याल उन्हें लगभग एक साल पहले आया था। फिलहाल, अगर कोयला या लकड़ी जलाते हैं तो कोयले से 75 प्रतिशत कार्बन उत्सर्जन होता है। ऐसे में उन्होंने इसका विकल्प बनाने के लिए एग्रीकल्चर वेस्ट को यूज करने का आइडिया आया। गन्ने का रस निकलने के बाद बचे उसके वेस्ट (बगास) के अलावा नारियल का वेस्ट, धान और गेहूं का भूसा, लकड़ी का बुरादा, अखरोट और मूंगफली के छिलके को मिलाकर और पीसकर पहले पावडर बना लिया। इस पावडर में न्यूज पेपर और कॉटन मे पानी मिक्स करके बनाया हुआ पल्प बना लिया। इसके बाद साबूदाना और कॉर्न स्टार्च में गरम पानी मिलाकर इन सभी सामग्रियों को आपस में गूंथकर इसे अलग-अलग शेप्स दे दिए। इन शेप्स को तेज धूप में सुखाने के बाद ब्रेकेट तैयार हुए। चूंकि ये ब्रेकेट गन्ने के वेस्ट से बने हैं लिहाजा इन्हें नाम दिया गया “स्टीव-ब्रेकेट”।

अलग-अलग शेप्स के बनाए जा सकते हैं ब्रेकेट।

“स्वीट ब्रेकेट” के ये हैं फायदे

चॉकलेट ब्राउन कलर के इन स्वीट ब्रेकेट को जब जलाकर टेस्ट किया गया तो सामने आया कि यह कोल ब्रेकेट और वुड ब्रेकेट का बेस्ट ऑल्टरनेट बन सकता है। कोयले और लकड़ी के बजाय यह स्वीट ब्रेकेट इको फ्रेंडली, सस्टेनेबल, बायो डिग्रेडेबल है और इसे जलाने के बाद न तो राख बचता है और न ही हार्मफुल गैसेज निकलती हैं। इस प्रोजेक्ट को फिलहाल दशहरा मैदान में चल रहे विज्ञान मेले में डिस्पले किया गया है।

केवल साबूदाना और स्टार्च खरीदा, बाकी सब फ्री

शब्दा के मुताबिक, इस स्वीट ब्रेकेट को बनाने के लिए बाजार से केवल साबूदाना और कॉर्न स्टार्ट ही खरीदना पड़ा। बाकी सभी वेस्ट उन्हें फ्री में मिला। अपनी प्रोजेक्ट पार्टनर और दोस्त सौम्या गुप्ता के साथ शब्दा को अब उम्मीद है कि उनका ये प्रोजेक्ट इस साइंस फेयर में अवॉर्ड जीतेगा और उन्हे इसे बड़े लेवल पर ले जाने के लिए सरकार से फंडिंग भी मिलेगी। शब्दा और सौम्या के अनुसार अगर उनका तैयार किया “स्वीट ब्रेकेट” का बड़े पैमान पर डोमेस्टिक और इंडस्ट्रियल यूज किय़ा जाएगा तो पेड़ काटने और कोयले की खुदाई से होने वाले पर्यावरण के नुकसान को भी कंट्रोल किया जा सकता है।

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