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टेंडर शर्तों का उल्लंघन कर नाले के पानी से 30 हजार पौधों की सिंचाई, जांच रिपोर्ट ठंडे बस्ते में

विजय एस. गौर भोपाल। राजधानी के भेल इलाके में चार रेंजों के तहत वन विभाग द्वारा करीब 30 हजार पौधे लगाए गए हैं। टेंडर शर्तों के अनुसार इन पौधों की सिंचाई साफ पानी से होनी है, लेकिन ठेकेदोर खुलेआम नाले के पानी से सिंचाई कर रहे हैं। पूर्व में इसका पंचनामा बनाकर रेंजरों ने शिकायत भी की थी। हालांकि महीनों बाद भी वरिष्ठ अधिकारी कार्रवाई के बजाय जांच रिपोर्ट दबाए बैठे हैं।

राजधानी परियोजना प्रशासन (सीपीए) के समापन प्रक्रिया के तहत इसके फॉरेस्ट विंग को वन विभाग को हैंडओवर किया गया है। इसके बाद एक नई इकाई पर्यावरण वानिकी बनाई गई है। इसी के तहत भेल इलाके में करीब 30 हजार पौधे लगाए गए हैं, जिनकी सिंचाई के लिए टेंडर निकाला गया था। टेंडर की कंडिका-7 में स्पष्ट प्रावधान है कि गंदे या नाले के पानी से सिंचाई नहीं की जाएगी। बावजूद एम्स वाली सड़क के बगल से बहने वाले नाले के काले बदबूदार पानी को डीजल पंपों से टैंकरों में भरकर ट्रैक्टरों के जरिए प्लांटेशन तक पहुंचाया जा रहा है और उसी से पौधों की सिंचाई की जा रही है। पूर्व में गड़बड़ी पकड़ने के बाद रेंजरों ने पंचनामा बनाकर कार्रवाई के लिए फाइल भेजी थी, लेकिन फाइल एसडीओ और डीएफओ के बीच अटक गई है।

जहरीले हो जाएंगे फल

पर्यावरणविद् डॉ. सुभाषचंद्र पांडे के अनुसार, नाले के पानी से सिंचाई से पौधों में लगने वाले फल जहरीले हो जाएंगे। इनको खाने से मनुष्यों से लेकर पक्षियों तक पर घातक असर होगा और कई तरह की बीमारियां का खतरा रहेगा।

क्या कहते हैं अधिकारी

यह बहुत ही गंभीर मामला है। एसडीओ विजय श्रीवास्तव और डीएफओ से बात कर ठेकेदार के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर कार्रवाई की जाएगी। – राजेश खरे, सीसीएफ, भोपाल

इकाई क्रमांक-1 एवं 2 में मुबारिक अली, शिवनारायण साहू का ठेका है, जो नाले के पानी से पौधों की सिंचाई करते हैं। मौके पर पंचनामा बनाकर वरिष्ठ अधिकारियों को रिपोर्ट भेजी है। – रवि अग्रवाल, रेंजर, इकाई-1-2

पूर्व में लिखित में डीएफओ ऑफिस में शिकायत की गई थी कि नाले के पानी से प्लांटेशन की सिंचाई हो रही है। अभी तक कुछ नहीं हुआ। नाले के पानी से सिंचाई से पौधे बर्बाद हो रहे हैं। – भीमा अहिरे, रेंजर, इकाई-3

वरिष्ठ अफसरो को बताया है कि नाले के पानी से सिंचाई से पौधों पर बुरा असर पड़ रहा है। टेंडर निरस्त करने की कार्यवाही वरिष्ठ स्तर से होगी। बाकी हम कर रहे हैं। – योगेश चौहान, रेंजर, इकाई-4

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