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देशभर में कांग्रेस का विरोध-प्रदर्शन, राहुल गांधी हिरासत में लिए गए; जानें क्या है मामला

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से प्रवर्तन निदेशालय (ED) के पूछताछ के विरोध में मंगलवार को कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने देशभर में विरोध-प्रदर्शन किया। कांग्रेस नेता राहुल गांधी को विजय चौक से हिरासत में लिया गया है। बता दें कि वह राष्ट्रपति से मिलकर उन्हें ज्ञापन देना चाहते थे। लेकिन, विजय चौक से आगे नहीं जाने दिया गया। जिसके बाद राहुल गांधी वहीं पर धरने पर बैठ गए थे।

खड़गे-वेणुगोपाल भी हिरासत में

राहुल गांधी के अलावा कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, केसी वेणुगोपाल, शक्ति सिंह गोहिल समेत 50 सांसदों को हिरासत में लिया गया है। कांग्रेस ने ट्वीट कर कहा है कि इन सांसदों को पुलिस कहीं अज्ञात जगहों पर ले जा रही है। कांग्रेस के ये सभी सांसद पार्लियामेंट से राष्ट्रपति भवन तक विरोध मार्च करते हुए जा रहे थे। तभी सांसदों को राष्ट्रपति भवन की तरफ जाने से रोक दिया गया।

हमें गिरफ्तार करके भी कभी चुप नहीं करा पाओगे : राहुल गांधी

विजय चौक पर विरोध प्रदर्शन करते कांग्रेस नेता राहुल गांधी को पुलिस हिरासत में लेकर किंग्सवे कैंप ले जाया गया है। इस बीच उन्होंने ट्वीट करते हुए केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। राहुल ने ट्विटर पर लिखा है कि तानाशाही देखिए, शांतिपूर्ण प्रदर्शन नहीं कर सकते, महंगाई और बेरोजगारी पर चर्चा नहीं कर सकते। पुलिस और एजेंसियों का दुरूपयोग करके, हमें गिरफ्तार करके भी, कभी चुप नहीं करा पाओगे। ‘सत्य’ ही इस तानाशाही का अंत करेगा।

सोनिया गांधी से ED की पूछताछ जारी

नेशनल हेराल्ड मामले में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिय गांधी से आज दूसरी बार ईडी द्वारा पूछताछ की जा रही है। लंच से पहले करीब तीन घंटे तक सोनिया गांधी से पूछताछ की गई। इसके बाद फिर पूछताछ का सिलसिला शुरू हुआ।

क्या है नेशनल हेराल्ड केस ?

लगभग 10 साल पुराने इस केस की जड़ें आजादी से पहले निकले एक अखबार से जुड़ी हैं। जिसे जवाहर लाल नेहरू ने निकाला था। इस केस में करोड़ों रुपये की जायदाद पर मालिकाना हक का विवाद है।

कांग्रेस नेताओं पर घाटे में चल रहे नेशनल हेराल्ड अखबार को धोखाधड़ी और पैसों की हेराफेरी के जरिए हड़पने का आरोप है।

क्या है नेशनल हेराल्ड ?

20 नवंबर 1937: देश के पहले प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू ने को एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड यानी AJL का गठन किया था। इसका उद्देश्य अलग-अलग भाषाओं में समाचार पत्रों को प्रकाशित करना था। तब AJL के अंतर्गत अंग्रेजी में नेशनल हेराल्ड, हिंदी में नवजीवन और उर्दू में कौमी आवाज समाचार पत्र प्रकाशित हुए।

  • AJL पर मालिकाना हक कभी भी प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू का नहीं रहा। इस कंपनी को 5000 स्वतंत्रता सेनानी सपोर्ट कर रहे थे और वही इसके शेयर होल्डर भी थे।
  • 90 के दशक में ये अखबार घाटे में आने लगे। साल 2008 तक AJL पर 90 करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्ज चढ़ गया। तब AJL ने फैसला किया कि अब समाचार पत्रों का प्रकाशन नहीं किया जाएगा। अखबारों का प्रकाशन बंद करने के बाद AJL प्रॉपर्टी बिजनेस में उतरी।
  • 2010 में AJL के 1057 शेयरधारक थे। घाटा होने पर इसकी होल्डिंग यंग इंडिया लिमिटेड यानी YIL को ट्रांसफर कर दी गई। यंग इंडिया लिमिटेड की स्थापना उसी वर्ष यानी 2010 में हुई थी।

यंग इंडिया लिमिटेड का हिस्सा कौन था ?

इसमें तत्कालीन कांग्रेस पार्टी के महासचिव राहुल गांधी डायरेक्टर के रूप में शामिल हुए। कंपनी में 76 प्रतिशत हिस्सेदारी राहुल गांधी और उनकी मां सोनिया गांधी के पास रखी गई। शेष 24 फीसदी कांग्रेस नेताओं मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडीस (दोनों का निधन हो चुका है) के पास थी।

क्या है विवाद ?

शेयर ट्रांसफर होते ही AJL के शेयर होल्डर्स सामने आ गए। पूर्व कानून मंत्री शांति भूषण, इलाहाबाद व मद्रास उच्च न्यायालयों के पूर्व मुख्य न्यायाधीश मार्कंडेय काटजू सहित कई शेयरधारकों ने आरोप लगाया कि जब YIL ने AJL का ‘अधिग्रहण’ किया था तब उन्हें कोई नोटिस नहीं दिया गया था। यही नहीं, शेयर ट्रांसफर करने से पहले शेयर होल्डर्स से सहमति भी नहीं ली गई। बता दें कि शांति भूषण और मार्कंडेय काटजू के पिता के नाम पर AJL में शेयर था।

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