
पहलगाम। अमरनाथ यात्रा के दौरान रविवार को जम्मू-कश्मीर के कुलगाम जिले के ताचलू क्रॉसिंग के पास एक बड़ा सड़क हादसा हो गया। बालटाल की ओर बढ़ रहे तीर्थयात्रियों के काफिले की तीन बसें आपस में टकरा गईं। हादसे में 10 से ज्यादा यात्री घायल हुए हैं। तुरंत राहत और बचाव कार्य शुरू किया गया और घायलों को प्राथमिक उपचार के लिए नजदीकी अस्पताल पहुंचाया गया। गंभीर रूप से घायल यात्रियों को अनंतनाग के सरकारी मेडिकल कॉलेज (GMC) में रेफर किया गया।
डॉक्टर बोले- सभी की हालत स्थिर
डॉक्टरों के अनुसार, घायलों को हल्की-फुल्की चोटें आई हैं और सभी की हालत स्थिर है। काइमोह अस्पताल से नौ यात्रियों को आगे के इलाज के लिए अनंतनाग भेजा गया है। स्थानीय प्रशासन और पुलिस की सक्रियता से मौके पर त्वरित मदद पहुंचाई गई, जिससे हालात पर नियंत्रण पाया जा सका।
हादसे के बावजूद श्रद्धालुओं का उत्साह कम नहीं हुआ है। अमरनाथ यात्रा के 10वें दिन रविवार को 19,020 श्रद्धालुओं ने पवित्र गुफा में हिम शिवलिंग के दर्शन किए। यात्रा की शुरुआत 3 जुलाई को हुई थी और अब तक कुल 1.83 लाख से ज्यादा भक्त दर्शन कर चुके हैं।
जम्मू से रवाना हुआ 12वां जत्था
रविवार सुबह 7,049 यात्रियों का एक और जत्था जम्मू से भगवती नगर बेस कैंप की ओर रवाना हुआ। इसमें 1,423 महिलाएं, 31 बच्चे और 136 साधु-साध्वियां शामिल हैं। पूरे रास्ते पर सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम किया गया है।
‘ऑपरेशन शिवा 2025’ के तहत सुरक्षा चाक-चौबंद
इस साल अप्रैल में पहलगाम के बैसारन में हुए आतंकी हमले के बाद सुरक्षा एजेंसियों ने ‘ऑपरेशन शिवा 2025’ के तहत सुरक्षा कड़ी कर दी है। 8,500 से अधिक जवान, ड्रोन निगरानी, इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम, बॉम्ब स्क्वॉड और काउंटर-ड्रोन तकनीक को सक्रिय किया गया है। सुरक्षा के लिए हर 50 मीटर पर एक जवान तैनात है।
पवित्र गुफा तक दो रास्ते – पहलगाम और बालटाल
पहलगाम रूट: 46-48 किमी लंबा और प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर। इसमें तीन दिन लगते हैं। रास्ते में चंदनवाड़ी, पिस्सू टॉप, शेषनाग, पंचतरणी जैसे स्थल आते हैं।
बालटाल रूट: 14 किमी का खड़ा और संकरा रास्ता, जिसमें एक या दो दिन लगते हैं। यह तेज यात्रा के लिए उपयुक्त है, लेकिन बुजुर्गों के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
यात्रा के दौरान क्या रखें साथ
- मेडिकल सर्टिफिकेट, आधार कार्ड, पासपोर्ट साइज फोटो, RFID टैग, ट्रैवल फॉर्म।
- ऊनी कपड़े, रेनकोट, पानी की बोतल, ट्रैकिंग स्टिक, जरूरी दवाएं।
- रोजाना 4-5 किमी पैदल चलने की आदत डालें।
- प्राणायाम और सांस संबंधी योग करें।
बर्फ से बना शिवलिंग
3888 मीटर की ऊंचाई पर स्थित अमरनाथ गुफा में बनने वाला हिम शिवलिंग हर साल चंद्रमा के आकार के साथ घटता-बढ़ता है। मान्यता है कि यह शिव के अमर रहस्य का प्रतीक है। इसके बगल में बनी दो अन्य बर्फ की आकृतियां माता पार्वती और गणेश जी की प्रतीक मानी जाती हैं।
1850 में मुस्लिम गड़रिया बूटा मलिक ने इस गुफा की खोज की थी। 2011 में रिकॉर्ड 6.34 लाख श्रद्धालुओं ने दर्शन किए थे। 1990 से 2017 के बीच यात्रा पर 36 आतंकी हमले हुए, जिनमें 53 तीर्थयात्रियों की जान गई।
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