
इंदौर शहर में करोड़ों रुपये के स्टांप ड्यूटी घोटाले का खुलासा हुआ है। आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (ईओडब्ल्यू) ने सोमवार को पंजीयन विभाग के दो अधिकारियों और तीन रियल एस्टेट कारोबारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। आरोप है कि इन लोगों ने सरकारी राजस्व को भारी नुकसान पहुंचाने के लिए मिलकर जमीन की रजिस्ट्री में हेराफेरी की। कुख्यात भूमाफिया विवेक मोहन चुघ ने साथियों के साथ मिलकर मांगलिया स्थित डीएलएफ गार्डन सिटी कालोनी की जमीन की रजिस्ट्री गांव की जमीन बताकर कर दी और शासन को 13.32 करोड़ रुपए का चूना लगा दिया। मामले में अब ईओडब्ल्यू ने विवेक समेत पांच लोगों पर एफआईआर दर्ज की है।
रजिस्ट्रार कार्यालय के अफसरों से सांठगांठ-
इन सभी भू माफियाओं ने रजिस्ट्रार कार्यालय के अफसरों से सांठगांठ कर इंदौर के पास मांगलिया की डीएलएफ गार्डन सिटी की जमीन की रजिस्ट्री गांव की जमीन बताकर गाइड लाइन से कम दर में करवा ली। जमीन के खरीददारों ने जिला पंजीयक व उप पंजीयक से सांठगांठ कर शासन को उपरोक्त राशि की आर्थिक हानि पहुंचाई। इओडब्ल्यू एसपी रामेश्वरसिंह यादव ने बताया आरोपियों के नाम हैं- मेसर्स एक्सक्लूसिव रियल्टी के विवेक चुघ पिता मोहनलाल चुघ, मेसर्स सेवनहाट्र्स बिल्डकॉन एलएलपी के हितेंद्र मेहता, अजय कुमार जैन पिता महेन्द्र कुमार जैन, पंजीयक कार्यालय जिला इंदौर के उप पंजीयक संजय सिंह एवं अमरेश नायडू, वरिष्ठ जिला पंजीयक जिला इंदौर अमरेश नायडू। इनमें आरोपी विवेक चुघ पिता मोहललाल चुघ, हितेन्द्र मेहता व अजय कुमार जैन ने पंजीयन कार्यालय इंदौर के वरिष्ठ जिला पंजीयक अमरेश नायडू व उप पंजीयक संजय सिंह से सांठगांठ कर डीएलएफ गार्डन सिटी मांगलिया सडक़ की गाईड लाईन दर 50, 800 रुपए की दर से रजिस्ट्री नहीं करते हुए डीएलएफ गार्डनसिटी के स्वीकृत संशोधित नक्शे में काटछांट कर अंश भाग ही अपलोड किया तथा डीएलएफ गार्डनसिटी का नाम हटाकर मांगलिया सडक़ गांव की गाईड लाईन दर राशि 14,200 रुपए प्रति वर्ग मीटर की दर से रजिस्ट्रियां कराई। इससे शासन को 13,32,95,106 रुपए नुकसान हुआ।
कैसे हुआ घोटाला
जांच में सामने आया कि डीएलएफ गार्डन सिटी नामक प्रोजेक्ट का नाम रिवाइज्ड लेआउट प्लान से हटा दिया गया और अधूरी जानकारी वाला दस्तावेज सिस्टम में अपलोड किया गया। इसके बाद जमीन की रजिस्ट्री मांगलिया गांव की सामान्य गाइडलाइन दर 14,200 रुपये प्रति वर्ग मीटर पर करवाई गई, जबकि वास्तविक दर 50,800 रुपये प्रति वर्ग मीटर थी। इस अंतर के चलते सरकार को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ।
बायपास क्षेत्रों पर भी नजर
ईओडब्ल्यू अब शहर के बायपास इलाकों में विकसित की जा रही अन्य कॉलोनियों की रजिस्ट्री की भी जांच करेगी। शुरुआती संकेत मिल रहे हैं कि ऐसे कई प्रोजेक्ट्स में भी गाइडलाइन दरों में गड़बड़ी कर स्टांप ड्यूटी बचाई गई है। अधिकारियों की मिलीभगत से सरकार को बड़े पैमाने पर वित्तीय नुकसान हुआ है।
छह माह पहले कराई रजिस्ट्री-
इओडब्ल्यू इंदौर के उप पुलिस अधीक्षक व जांच अधिकारी पवन सिंघल के मुताबिक उक्त जमीन की रजिस्ट्री छह माह पहले कराई गईं थी। बाद में रजिस्ट्री घोटाला कांड की शिकायत मिली। जांच में प्रथम दृष्टया शिकायत सही पाए जाने पर आरोपियों के विरूद्ध भ्रष्टाचार अधिनियम की धारा 318(4), 61(2), 338, 336(3), एवं 340 भारतीय न्याय संहिता 2023 व धारा 7 (सी) के तहत एफआईआर दर्ज की गईं। आगे विवेचना जारी है।