
नई दिल्ली। भारत के पूर्व मुख न्यायाधीश (CJI) डी.वाई. चंद्रचूड़ एक बार फिर चर्चा में हैं। इस बार कारण है उनका दिल्ली स्थित सरकारी बंगले में निर्धारित समयसीमा से अधिक समय तक रहना। सुप्रीम कोर्ट प्रशासन ने इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए केंद्र सरकार को पत्र लिखकर आग्रह किया है कि वह जल्द से जल्द 5, कृष्ण मेनन मार्ग स्थित बंगले को खाली कराए, ताकि उसे न्यायालय के हाउसिंग पूल में वापस जोड़ा जा सके।
यह मामला केवल आवास का नहीं है, बल्कि सुप्रीम कोर्ट के चार वर्तमान न्यायाधीशों के आवासीय संकट से भी जुड़ा है। शीर्ष अदालत में कुल 34 स्वीकृत पदों में से फिलहाल 33 न्यायाधीश कार्यरत हैं, जिनमें से चार को अब तक कोई स्थायी आवास नहीं मिला है।
जजों के लिए बढ़ती आवासीय परेशानी
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट के तीन न्यायाधीश फिलहाल ट्रांजिट अपार्टमेंट्स में रह रहे हैं जबकि एक राज्य अतिथिगृह में निवास कर रहे हैं। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट प्रशासन ने केंद्र से आग्रह किया है कि पूर्व CJI चंद्रचूड़ द्वारा अधिक समय तक कब्जे में रखे गए बंगले को बिना देरी खाली कराया जाए। इस संबंध में प्रशासन ने 1 जुलाई को आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय को पत्र लिखा जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया कि यह बंगला 31 मई 2025 तक की अनुमति के साथ पूर्व CJI के कब्जे में था, जो अब समाप्त हो चुकी है।
पूर्व CJI चंद्रचूड़ ने बताई निजी वजह
बंगले को समय पर खाली न कर पाने को लेकर पूर्व प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ ने अपनी सफाई दी है। उन्होंने कहा कि यह स्थिति कुछ व्यक्तिगत कारणों से उत्पन्न हुई, जिसकी जानकारी उन्होंने सुप्रीम कोर्ट प्रशासन को समय रहते दे दी थी।
उनका कहना है कि उनकी बेटियों को कुछ विशेष सुविधाओं की आवश्यकता है, जिसके कारण उन्हें उपयुक्त वैकल्पिक निवास ढूंढ़ने में समय लग रहा है। चंद्रचूड़ ने बताया कि वे फरवरी 2025 से लगातार बेहतर आवास की तलाश में रहे हैं और कई सर्विस अपार्टमेंट्स तथा होटलों का दौरा भी किया, लेकिन कोई विकल्प अनुकूल नहीं लगा।
पूर्व न्यायमूर्ति संजीव खन्ना को भेजा था पत्र
पूर्व CJI चंद्रचूड़ ने 28 अप्रैल को तब के कार्यवाहक CJI रहे संजीव खन्ना को पत्र लिखकर निवेदन किया था कि उन्हें 30 जून तक वर्तमान बंगले में रहने की अनुमति दी जाए। उन्होंने यह भी बताया कि इस पत्र का उन्हें कोई उत्तर नहीं मिला।
हालांकि, आधिकारिक पत्राचार के अनुसार, न्यायमूर्ति खन्ना ने इस निवेदन को स्वीकार कर लिया था और पूर्व CJI को 30 अप्रैल 2025 तक बंगले में रहने की अनुमति दे दी गई थी। इस अवधि के दौरान पूर्व मुख्य न्यायाधीश को हर महीने 5430 रुपए की लाइसेंस फीस चुकानी थी।
नियमों के अनुसार अब बंगले में रहना अनुचित
पूर्व CJI चंद्रचूड़ ने 10 नवंबर 2024 को पद से अवकाश लिया था। भारत सरकार के नियमानुसार, किसी भी प्रधान न्यायाधीश को अपने कार्यकाल के दौरान टाइप VIII (Type-8) श्रेणी का बंगला मिलता है। लेकिन रिटायरमेंट के बाद उन्हें छह महीने की अवधि के लिए टाइप VII (Type-7) श्रेणी का बंगला आवंटित किया जाता है, जिसमें वे बिना किराया दिए रह सकते हैं।
मगर चंद्रचूड़ को रिटायर हुए आठ महीने से अधिक हो चुके हैं और वे अब भी टाइप VIII बंगले में ही रह रहे हैं। यह स्थिति नियमों के अनुरूप नहीं है और ऐसे समय में जब चार वर्तमान जजों को स्थायी आवास नहीं मिला है, यह सवाल और भी गंभीर हो जाता है।
बंगला न मिलने के पीछे क्या है वजह
चौंकाने वाली बात यह है कि चंद्रचूड़ के रिटायरमेंट के बाद उनके दोनों उत्तराधिकारी पूर्व CJI संजीव खन्ना और वर्तमान CJI बी.आर. गवई ने 5, कृष्ण मेनन मार्ग का बंगला नहीं लिया। उन्होंने अपने पुराने बंगलों में ही रहना पसंद किया, जिससे चंद्रचूड़ को उनका आधिकारिक आवास बरकरार रखने की सहूलियत मिलती रही।
हालांकि अब स्थिति बदल गई है और सुप्रीम कोर्ट प्रशासन इस बंगले को अपनी हाउसिंग पूल में वापस लाना चाहता है, जिससे जजों को उपलब्ध कराए जाने वाले घरों की संख्या में बढ़ोतरी हो सके।