
नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अब अपने संगठनात्मक भविष्य की दिशा तय करने की दहलीज पर खड़ी है। लोकसभा चुनाव 2024 के बाद अब पार्टी जल्द ही अपने नए राष्ट्रीय अध्यक्ष की घोषणा कर सकती है। मौजूदा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा का कार्यकाल पहले ही जून 2024 तक बढ़ाया जा चुका था, लेकिन अब संगठनात्मक चुनाव की प्रक्रिया तेज होने के बाद नए नेतृत्व की नियुक्ति की राह साफ होती दिख रही है।
भाजपा ने 26 राज्यों में अपने प्रदेश अध्यक्षों की नियुक्ति कर ली है, जो पार्टी संविधान के अनुसार राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के लिए जरूरी शर्त है। इस बीच पार्टी के भीतर छह प्रमुख नामों को लेकर चर्चाएं तेज हैं, जो अध्यक्ष पद की दौड़ में सबसे आगे माने जा रहे हैं।
क्या है राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव की शर्त
भाजपा का संविधान स्पष्ट करता है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव से पहले पार्टी को देशभर के कम-से-कम आधे मंडलों, जिलों और राज्यों में संगठनात्मक चुनाव पूरे करने होते हैं। इसी के तहत भाजपा ने हाल ही में देश के विभिन्न राज्यों में अपने प्रदेश अध्यक्षों की नियुक्ति की है। 2 जुलाई को पार्टी ने संगठनात्मक चुनाव के दूसरे चरण में 7 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों में नए अध्यक्ष नियुक्त किए। इसके पहले भी कई बड़े राज्यों जैसे मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और उत्तराखंड में यह प्रक्रिया पूरी की जा चुकी है।
अब पार्टी एक केंद्रीय चुनाव समिति गठित करने की तैयारी में है, जो अध्यक्ष चुनाव की पूरी प्रक्रिया नामांकन, जांच और यदि आवश्यक हुआ तो मतदान की निगरानी करेगी।
कौन-कौन है राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए मुख्य दावेदार
- शिवराज सिंह चौहान- मौजूदा केंद्रीय मंत्री और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को भाजपा के भीतर एक जमीन से जुड़े नेता के रूप में देखा जाता है। वे लंबे समय तक प्रदेश की राजनीति में सक्रिय रहने के साथ-साथ पार्टी के वैचारिक मूल से भी जुड़े रहे हैं। उनका जनसंघ काल से रिश्ता, उनके सहज स्वभाव और सर्वमान्य नेतृत्व शैली को देखते हुए उन्हें राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए एक मजबूत दावेदार माना जा रहा है। साथ ही वे हिंदी बेल्ट की मजबूत पकड़ और पार्टी कार्यकर्ताओं में लोकप्रियता का भी प्रतिनिधित्व करते हैं।
- मनोहर लाल खट्टर- हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर का संघ परिवार से गहरा रिश्ता और प्रशासनिक अनुभव उन्हें अध्यक्ष पद के लिए मजबूत बनाता है। वे भाजपा के उस चेहरे का प्रतिनिधित्व करते हैं जो अनुशासन, संगठन और विकास के बीच संतुलन स्थापित कर सकता है। साथ ही खट्टर को हिंदी पट्टी के बाहर के समीकरणों को साधने वाला चेहरा भी माना जा रहा है, जो पार्टी के विस्तार के लिहाज से रणनीतिक रूप से अहम हो सकता है।
- भूपेंद्र यादव- केंद्रीय श्रम मंत्री भूपेंद्र यादव भाजपा संगठन के एक पुराने और बेहद सक्रिय चेहरे हैं। वे चुनाव प्रबंधन में सिद्धहस्त माने जाते हैं और कई राज्यों में भाजपा की रणनीतिक सफलताओं में उनका योगदान रहा है। सामाजिक और जातीय संतुलन को साधने में उनकी कुशलता और राजस्थान से होने के नाते पश्चिम भारत में उनका प्रभाव उन्हें अध्यक्ष पद के लिए एक व्यावहारिक विकल्प बनाता है।
- धर्मेंद्र प्रधान- केंद्रीय शिक्षा मंत्री और ओडिशा से आने वाले धर्मेंद्र प्रधान पूर्वी भारत में भाजपा के विस्तार के मुख्य सूत्रधार माने जाते हैं। वे संगठन और सरकार दोनों में संतुलित और दक्ष भूमिका निभाते रहे हैं। प्रधान की लोकप्रियता और कुशल वक्तृत्व कला, साथ ही क्षेत्रीय संतुलन के लिहाज से उनकी भूमिका, उन्हें अध्यक्ष पद के लिए एक रणनीतिक दावेदार बनाती है।
- सुनील बंसल- भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव सुनील बंसल का नाम भी प्रमुख दावेदारों में शुमार है। उन्हें पार्टी के जमीनी स्तर के संगठन को मजबूत करने वाला रणनीतिकार माना जाता है। उत्तर प्रदेश में भाजपा की सांगठनिक सफलता में उनका प्रमुख योगदान रहा है। बंसल युवा नेतृत्व को प्रतिनिधित्व देने की दिशा में एक नया संदेश भी दे सकते हैं।
- विनोद तावड़े- महाराष्ट्र से आने वाले विनोद तावड़े भाजपा के भीतर शिक्षा और संगठन दोनों क्षेत्रों में सक्रिय भूमिका निभाते रहे हैं। उनके अनुभव और कार्यशैली से संगठन को एक स्थिर और परिपक्व नेतृत्व मिल सकता है। क्षेत्रीय संतुलन के लिहाज से भी महाराष्ट्र का प्रतिनिधित्व केंद्र में होने से पार्टी को लाभ मिल सकता है।
भाजपा का नया राष्ट्रीय अध्यक्ष केवल संगठनात्मक भूमिका ही नहीं निभाएगा, बल्कि वह 2029 के आम चुनावों की रणनीति की नींव भी रखेगा। इसलिए पार्टी इस बार केवल वरिष्ठता या लोकप्रियता के आधार पर नहीं, बल्कि दीर्घकालिक रणनीतिक दृष्टिकोण से नेतृत्व का चयन करने की तैयारी में है।