
जबलपुर। मध्य प्रदेश के जबलपुर से एक बेहद भावुक कर देने वाली खबर सामने आई है। गरीबों के मसीहा और पद्मश्री से सम्मानित डॉ. एमसी डावर का शुक्रवार सुबह निधन हो गया। वे 79 वर्ष के थे और पिछले कुछ समय से बीमार चल रहे थे। उन्होंने अपने निवास स्थान, मदनमहल क्षेत्र में सुबह 4 बजे अंतिम सांस ली।
डॉ. डावर का जीवन समाज सेवा और मानवता के लिए समर्पित रहा। वे उन गिने-चुने डॉक्टरों में से थे, जिन्होंने कभी पैसे के पीछे भागने की जगह गरीबों के इलाज को अपना धर्म बना लिया। उन्होंने जीवनभर मरीजों से मात्र 20 रुपए फीस लेकर इलाज किया।
पाकिस्तान में हुआ था जन्म
डॉ. डावर का जन्म 16 जनवरी 1946 को पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में हुआ था। विभाजन के बाद उनका परिवार भारत आ गया और जबलपुर में बस गया। मात्र 2 साल की उम्र में पिता का साया उठ गया, और उनका बचपन गरीबी में बीता। पढ़ाई सरकारी स्कूल में हुई और फिर जालंधर से मेडिकल की पढ़ाई शुरू की।
बाद में उन्होंने नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज, जबलपुर से एमबीबीएस किया और 1971 में भारत-पाक युद्ध के समय सेना में भी एक साल तक सेवा दी।

2 रुपए से शुरू किया इलाज
डॉ. डावर ने 1972 में जबलपुर में प्रैक्टिस शुरू की थी। शुरुआत में वे केवल 2 रुपए फीस लेते थे। धीरे-धीरे उन्होंने फीस को 3, फिर 5 और अंत में 20 रुपए तक बढ़ाया, लेकिन कभी उस सिद्धांत से पीछे नहीं हटे कि इलाज सबके लिए सुलभ होना चाहिए। उनका कहना था- “इलाज करना व्यवसाय नहीं, इंसानियत की सेवा है।”
हर मरीज को देते थे समय
जबलपुर के गोरखपुर क्षेत्र में स्थित उनके क्लिनिक पर रोजाना सैकड़ों मरीज आते थे। वे खुद मरीजों की जांच करते, दवा लिखते और कभी ज़रूरत पड़ी तो आर्थिक मदद भी कर देते। भीड़ इतनी होती थी कि उनके घर के बाहर रोज लाइन लगती थी। बारिश हो या धूप, क्लिनिक में पानी भर जाए या बिजली चली जाए, डॉ. डावर कभी मरीजों का इलाज करने से पीछे नहीं हटे।
पद्मश्री से किया गया सम्मानित
उनकी सेवा भावना को देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें 2023 में पद्मश्री सम्मान से नवाजा। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें यह सम्मान दिया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी जब जबलपुर आए थे, तो उन्होंने विशेष रूप से डॉ. डावर से भेंट की थी। हाल ही में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी उनके घर पहुंचे थे और उनके सेवा कार्यों की सराहना की थी।
अंतिम विदाई में उमड़ा जनसैलाब
उनके निधन की खबर फैलते ही सैकड़ों लोग उनके अंतिम दर्शन के लिए उनके निवास पर पहुंचे। हर किसी की आंखें नम थीं। अंतिम संस्कार गुप्तेश्वर मुक्तिधाम में पूरे सम्मान के साथ किया गया। समाज के हर वर्ग से जुड़े लोगों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी।
चिकित्सा जगत में अपूरणीय क्षति
मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. नवनीत सक्सेना ने कहा- “डॉ. डावर सभी डॉक्टरों के लिए प्रेरणा थे। उन्होंने दिखाया कि डॉक्टरी एक सेवा है, न कि व्यापार। आने वाली पीढ़ियों को उनसे सीख लेनी चाहिए।” सीएमएचओ डॉ. संजय मिश्रा ने कहा कि उनका जाना केवल चिकित्सा जगत नहीं, समाज के हर वर्ग के लिए बड़ी क्षति है।
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