ताजा खबरराष्ट्रीय

Karnataka Congress Crisis : कर्नाटक में फिर बवाल, क्या सिद्धारमैया छोड़ेंगे कुर्सी, डीके शिवकुमार बनेंगे अगले CM? हाईकमान के फैसले पर टिकी नजरें

बेंगलुरु। कर्नाटक की सत्ता को लेकर कांग्रेस में एक बार फिर सियासी उबाल आ गया है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार के बीच कुर्सी को लेकर खींचतान खुलकर सामने आ गई है। कहा जा रहा है कि दोनों नेताओं के बीच ‘ढाई-ढाई साल’ के रोटेशनल सीएम फॉर्मूले पर बनी सहमति अब सत्ता हस्तांतरण की ओर बढ़ रही है। हालांकि, पार्टी ने कभी इस समझौते को सार्वजनिक रूप से स्वीकार नहीं किया, लेकिन अंदरखाने तैयारियों ने अटकलों को बल दे दिया है।

सिद्धारमैया को ढाई साल पूरे करने में बचे हैं कुछ महीने

2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत के बाद सिद्धारमैया को सीएम और डीके शिवकुमार को डिप्टी सीएम बनाया गया था। तब अंदरखाने कहा गया कि यह सत्ता साझेदारी ढाई-ढाई साल के फॉर्मूले पर आधारित है। अब नवंबर 2025 में जब सिद्धारमैया का कार्यकाल ढाई साल पूरा करेगा, डीके शिवकुमार के खेमे ने सत्ता ट्रांसफर की मांग तेज कर दी है।

100 विधायक डीके के समर्थन में!

डीके शिवकुमार के करीबी विधायक एचए इकबाल हुसैन ने दावा किया कि करीब 100 विधायक सीएम बदलाव के पक्ष में हैं। उन्होंने कहा, “अगर अब बदलाव नहीं हुआ तो 2028 का चुनाव कांग्रेस हार जाएगी।” सूत्रों की मानें तो डीके शिवकुमार ने इन विधायकों से व्यक्तिगत रूप से संपर्क भी साधा है।

रणदीप सुरजेवाला का कर्नाटक दौरा

कांग्रेस के कर्नाटक प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला इन दिनों बेंगलुरु में डेरा डाले हुए हैं। वह विधायकों, जिला अध्यक्षों और नेताओं से अलग-अलग मिलकर सरकार के कामकाज की समीक्षा कर रहे हैं। हालांकि राजनीतिक गलियारों में इसे सत्ता हस्तांतरण की तैयारी से भी जोड़कर देखा जा रहा है। सुरजेवाला आलाकमान को रिपोर्ट सौंपेंगे, जिसके आधार पर फैसला हो सकता है।

सिद्धारमैया खेमा नहीं देना चाहता कुर्सी

सिद्धारमैया खेमा इस समय मजबूत स्थिति में है और वह चाहता है कि मुख्यमंत्री 2026 के बजट तक बने रहें। इसके लिए उनके समर्थक विधायक सरकार की स्थिरता और एकजुटता की दलील दे रहे हैं। सिद्धारमैया ने मीडिया से बातचीत में कहा कि ‘सरकार पांच साल चट्टान की तरह चलेगी’, यानी वह फिलहाल पद छोड़ने के मूड में नहीं हैं।

खड़गे ने फैसला आलाकमान पर टाला

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सीएम बदलाव की अटकलों को सिरे से खारिज तो नहीं किया, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि ‘ऐसे फैसले हाईकमान लेता है।’ इससे संकेत मिल रहे हैं कि आलाकमान ने विकल्प खुले रखे हैं। अब सभी की निगाहें राहुल गांधी पर टिकी हैं, क्योंकि अंतिम फैसला उन्हीं की सहमति से होगा।

डीके अध्यक्ष पद नहीं छोड़ रहे

डीके शिवकुमार अब भी प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बने हुए हैं, जबकि वे उपमुख्यमंत्री भी हैं। यह भी सत्ता संतुलन की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। गृह मंत्री परमेश्वर जैसे नेता भी दलित चेहरे के रूप में दावेदारी ठोक चुके हैं, लेकिन हालिया विवादों के चलते उनका दावा कमजोर पड़ा है।

छत्तीसगढ़ जैसी गलती नहीं दोहराना चाहती कांग्रेस?

टीएस सिंहदेव जैसे नेता छत्तीसगढ़ में ढाई साल इंतजार करते रह गए और भूपेश बघेल ने पांच साल तक सीएम की कुर्सी नहीं छोड़ी। कर्नाटक में पार्टी ऐसी स्थिति को टालना चाहती है, ताकि भविष्य में कोई बगावत न हो और चुनाव से पहले नेतृत्व स्पष्ट हो।

संबंधित खबरें...

Back to top button