
MP Jagannath Rath Yatra 2025 : भगवान जगन्नाथ की भव्य रथयात्रा शुक्रवार को मध्य प्रदेश के विभिन्न शहरों में श्रद्धा और उल्लास के साथ निकाली गई। उज्जैन, इंदौर और ग्वालियर में रथयात्रा देखने के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। रथों को फूलों से सजाया गया और श्रद्धालुओं ने रस्सियों से खींचकर भगवान को नगर भ्रमण पर निकाला। महिलाओं ने पारंपरिक परिधानों में नृत्य कर रथयात्रा का स्वागत किया।
उज्जैन : इस्कॉन मंदिर से निकली रथयात्रा
उज्जैन में इस्कॉन मंदिर से शुरू हुई रथयात्रा में भगवान जगन्नाथ, बलराम और सुभद्रा को क्रमश: नंदी घोष, तालध्वज और दर्पदलन रथों पर विराजमान किया गया। रथों की ऊंचाई 21 से 25 फीट तक रही। यात्रा मंडी चौराहा से प्रारंभ होकर कालिदास अकादमी स्थित गुंडिचा मंदिर तक पहुंची, जहां सीएम डॉ. मोहन यादव द्वारा आरती कर यात्रा का समापन किया जाएगा।
- रथ के आगे सोने की झाड़ू से सफाई की गई।
- ड्रोन से पुष्पवर्षा कर भगवान का स्वागत किया गया।
- अहीर, गोंड और कोरकू जनजातियों के नृत्य आकर्षण का केंद्र रहे।
- श्रद्धालुओं ने सैकड़ों की संख्या में रथ खींचा और आरती उतारी।
- सीएम मोहन यादव ने कहा कि रथयात्रा केवल धार्मिक परंपरा नहीं बल्कि सामाजिक समरसता और आस्था का भी प्रतीक है।

7 दिन तक गुंडिचा मंदिर में होगा भगवान का विश्राम
- 27 जून से 5 जुलाई तक उज्जैन में इस्कॉन मंदिर का सांस्कृतिक पर्व मनाया जा रहा है।
- रोजाना आरती, कथा, कीर्तन, प्रसाद वितरण और सांस्कृतिक प्रस्तुतियां होंगी।
- मैथली ठाकुर सहित राष्ट्रीय कलाकारों की प्रस्तुति होगी।
- 5 जुलाई को वापसी रथ यात्रा निकाली जाएगी।
इंदौर : पावनसिद्ध धाम से शुरू हुई रथयात्रा
- इंदौर में छत्रीबाग स्थित श्रीलक्ष्मी वेंकटेश देवस्थान से भगवान वेंकटेश की रथयात्रा निकली।
- यात्रा सिलावटपुरा, नृसिंह बाजार, सीतलामाता बाजार, बड़ा सराफा, बजाज खाना होते हुए वापस मंदिर पहुंची।
- रथ को फूलों से सजाया गया और जगह-जगह भक्तों ने आरती कर स्वागत किया।
- देशभर से श्रद्धालु इंदौर पहुंचे और भगवान के दर्शन किए।
- महिलाएं पीली साड़ी पहनकर नृत्य करती नजर आईं।
ग्वालियर : कुलैथ गांव में 178 साल पुरानी परंपरा का निर्वाह
- ग्वालियर के कुलैथ गांव में भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा मंदिर से नगर भ्रमण पर निकली।
- रथ की ऊंचाई 12 फीट, चौड़ाई 3 फीट और लंबाई 5 फीट रही।
- भक्तों ने रस्सियों से खींचकर रथ को गांव की गलियों में निकाला।
- 178 वर्ष पुरानी प्रतिमाएं आज भी श्रद्धा का केंद्र बनी हुई हैं।
श्रद्धा और परंपरा का संगम
इन रथयात्राओं ने न सिर्फ धार्मिक आस्था को जीवंत किया बल्कि सामाजिक समरसता, लोक संस्कृति और पारंपरिक मूल्यों को भी पुनर्स्थापित किया।