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आज से आषाढ़ गुप्त नवरात्रि प्रारंभ : शुभ योगों और गुरुवार व्रत के साथ मिला आध्यात्मिक साधना का अद्भुत संयोग

आषाढ़ गुप्त नवरात्रि एक विशेष साधना काल है जो साल में दो बार — आषाढ़ और माघ मास में आता है। यह नवरात्रि उतनी प्रसिद्ध नहीं होती जितनी कि शारदीय और चैत्र नवरात्रि, लेकिन आध्यात्मिक और तांत्रिक साधकों के लिए इसका महत्व अत्यधिक होता है। 26 जून (गुरुवार) से आषाढ़ गुप्त नवरात्रि का शुभ आरंभ हो चुका है। यह नवरात्रि विशेष रूप से तंत्र, मंत्र और साधना के लिए अत्यंत फलदायी मानी जाती है।

इस दौरान मां दुर्गा के 9 रूपों के साथ-साथ 10 महाविद्याओं की विशेष पूजा और साधना की जाती है। इसे गुप्त (गोपनीय) इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसमें की जाने वाली साधनाएं आम जन के लिए नहीं बल्कि गुप्त साधकों के लिए होती हैं।

कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त

  • सुबह 05:25 बजे से 06:58 बजे तक
  • दोपहर 11:56 बजे से 12:52 बजे तक

इस दिन से मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा के साथ दस महाविद्याओं की गुप्त साधना का प्रारंभ होता है।

आज का पंचांग और विशेष संयोग

  • तिथि : आषाढ़ शुक्ल प्रतिपदा
  • नक्षत्र : आर्द्रा
  • योग : ध्रुव
  • करण : बव, बालव
  • दिशाशूल : दक्षिण दिशा
  • चंद्रमा की स्थिति : मिथुन राशि में
  • गुप्त नवरात्रि की अष्टमी : 3 जुलाई 2025
  • महानवमी और पारण : 4 जुलाई 2025

गुप्त नवरात्रि के इन नौ दिनों में मंत्रों की सिद्धि और आध्यात्मिक साधना के लिए विशेष समय माना जाता है।

आज बन रहा है सर्वार्थ सिद्धि योग

गुरुवार को सुबह 08:46 बजे से सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है, जो पूरी रात तक प्रभावी रहेगा।

  • इस योग में किया गया हर कार्य सफल होता है।
  • साधना, व्रत, पूजा-पाठ, और किसी शुभ कार्य के लिए यह समय बेहद उत्तम है।

गुरुवार व्रत और भगवान विष्णु की पूजा विधि

गुरुवार को व्रत रखने और भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी व देवगुरु बृहस्पति की पूजा का विशेष महत्व होता है।

पूजन सामग्री-

  • पीले फूल, अक्षत्, हल्दी, चंदन, पंचामृत, तुलसी पत्र
  • धूप, दीप, गुड़, चने की दाल और बेसन के लड्डू का भोग

विधि-

  • भगवान विष्णु की प्रतिमा को स्नान कराकर पीले वस्त्र पहनाएं।
  • ऊपर बताए गए पूजन सामग्री से अर्पण करें।
  • विष्णु सहस्रनाम और विष्णु चालीसा का पाठ करें।
  • फिर गुरुवार व्रत कथा पढ़ें और आरती करें।
  • केले के पौधे की पूजा करें क्योंकि इसमें श्रीहरि का वास माना गया है।

गुरुवार को केले का सेवन न करें।

दान में दें- केले, हल्दी, पीले वस्त्र, धार्मिक पुस्तकें, गुड़, पीला चंदन और केसर।

यह उपाय गुरु दोष को शांत करने में सहायक होते हैं।

आज के चौघड़िया व राहुकाल

  • सूर्योदय : सुबह 05:25 बजे
  • चंद्रोदय : सुबह 05:54 बजे
  • राहुकाल : दोपहर 02:09 से 03:53 बजे तक (इस समय पूजा-पाठ टालें)

शुभ समय

  • ब्रह्म मुहूर्त – 04:05 एएम से 04:45 एएम
  • प्रातः सन्ध्या – 04:25 एएम से 05:25 एएम
  • अभिजित मुहूर्त – 11:56 एएम से 12:52 पीएम
  • विजय मुहूर्त – 02:44 पीएम से 03:39 पीएम
  • गोधूलि मुहूर्त – 07:21 पीएम से 07:42 पीएम
  • सायाह्न सन्ध्या – 07:23 पीएम से 08:23 पीएम
  • अमृत काल – 05:06 एएम, 27 जून से 06:36 एएम, 27 जून
  • निशिता मुहूर्त – 12:04 एएम, 27 जून से 12:44 एएम, 27 जून
  • सर्वार्थ सिद्धि योग – 08:46 एएम से 05:25 एएम, 27 जून

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