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ईरान ने बहादुरी से लड़ी जंग… नाटो समिट में बोले अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप, कहा- ऑयल बेचने से नहीं रोकूंगा

तेहरान/तेल अवीव। नीदरलैंड्स के हेग में हुए नाटो समिट के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक चौंकाने वाला बयान दिया। उन्होंने कहा कि ईरान ने हालिया युद्ध में बहादुरी दिखाई है और उसे अपने देश के पुनर्निर्माण के लिए तेल बेचने की जरूरत है। ट्रंप ने साफ कहा, “अगर चीन ईरान से तेल खरीदना चाहता है, तो अमेरिका को कोई दिक्कत नहीं है।”

इस बयान के बाद अंतरराष्ट्रीय मंच पर हलचल मच गई। हालांकि व्हाइट हाउस ने तुरंत स्पष्ट किया कि यह ईरान पर लगे अमेरिकी प्रतिबंधों में ढील का संकेत नहीं है।

ट्रंप का दावा – अमेरिकी हमलों से रुकी जंग

ट्रंप ने यह भी दावा किया कि अमेरिका की ओर से ईरान के परमाणु ठिकानों पर किए गए हमलों के बाद 12 दिनों तक चले ईरान-इजराइल युद्ध का अंत हुआ। उन्होंने इस हमले की तुलना हिरोशिमा-नागासाकी बमबारी से करते हुए कहा कि इसने युद्ध को खत्म कर दिया।

ट्रंप के अनुसार, “ईरान ने महसूस कर लिया है कि अगर वो फिर से न्यूक्लियर कार्यक्रम शुरू करेगा तो अमेरिका फिर हमला करेगा।”

मोसाद का दावा – ईरान के न्यूक्लियर प्रोग्राम को गंभीर नुकसान

CIA निदेशक जॉन रैटक्लिफ और इजराइली खुफिया एजेंसी मोसाद ने संयुक्त रूप से दावा किया कि ईरान के न्यूक्लियर प्रोग्राम को भारी नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा कि ईरान को दोबारा इन साइट्स को तैयार करने में कई साल लग सकते हैं।

इजराइली सेना (IDF) के चीफ एयाल जमीर ने कहा, “हमने अपने सारे टारगेट पूरे किए। ईरान के न्यूक्लियर प्रोग्राम को गहरी चोट पहुंचाई गई है।”

IAEA और अमेरिकी मीडिया ने ट्रंप के दावे पर उठाए सवाल

हालांकि, इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी (IAEA) और अमेरिकी मीडिया हाउसेस ने ट्रंप के दावों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

IAEA चीफ राफेल ग्रॉसी ने कहा कि ईरान का प्रोग्राम सिर्फ कुछ महीनों के लिए पीछे गया है। वहीं, मीडिया रिपोर्ट्स में अमेरिकी डिफेंस डिपार्टमेंट की गुप्त रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा गया है कि ईरान ने हमले से पहले ही यूरेनियम को सुरक्षित स्थान पर पहुंचा दिया था।

रिपोर्ट के मुताबिक, केवल दो न्यूक्लियर फैसिलिटी के एंट्रेंस सील हुए हैं, लेकिन अंदर की संरचना को कोई गंभीर नुकसान नहीं पहुंचा है।

ट्रंप पर नोबेल पुरस्कार पाने का आरोप?

ट्रंप के विरोधियों का कहना है कि यह हमला नोबेल शांति पुरस्कार के लिए किया गया “प्रचार अभियान” था। कई विश्लेषकों का मानना है कि ट्रंप इस वर्ष नोबेल पीस प्राइज हासिल करने की कोशिश में हैं। यही कारण है कि उन्होंने सीजफायर का ऐलान तेजी से किया।

नेतन्याहू का खुलासा – फरवरी में ही बताया था हमले का प्लान

इजराइली प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने खुद कहा है कि उन्होंने फरवरी में व्हाइट हाउस यात्रा के दौरान ट्रंप को ईरान पर हमले की योजना साझा की थी। हालांकि, नेतन्याहू ने वॉशिंगटन पोस्ट की उस रिपोर्ट को खारिज किया जिसमें कहा गया था कि इजराइल ने अमेरिका पर हमले के लिए दबाव डाला।

ईरान बोला – न्यूक्लियर प्रोग्राम बंद नहीं करेंगे

ईरानी विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने कहा कि ईरान अपने न्यूक्लियर प्रोग्राम को जारी रखेगा। उन्होंने इसे “संप्रभु अधिकार” करार दिया और कहा कि उनके वैज्ञानिकों ने इसके लिए बलिदान दिए हैं।

ईरान की संसद ने IAEA से सूचना साझा न करने का प्रस्ताव पारित किया और 400 किलो संवर्धित यूरेनियम को गुप्त स्थान पर भेज दिया गया है।

ईरान ने इजराइल पर दागीं 550 मिसाइलें और 1000 ड्रोन

12 दिन के युद्ध के दौरान ईरान ने इजराइल पर करीब 550 मिसाइलें और 1000 ड्रोन दागे। इजराइल की एम्बुलेंस सेवा के अनुसार, 28 नागरिक मारे गए और 3000 से अधिक घायल हुए। हालांकि, इजराइल ने दावा किया कि उसने ज्यादातर मिसाइलों को इंटरसेप्ट कर लिया था।

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