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Axiom-4 मिशन की लॉन्चिंग : अब 25 जून को अंतरिक्ष की उड़ान भरेंगे शुभांशु शुक्ला, अब तक 5 बार टल चुका

नई दिल्ली। भारत के लिए एक और ऐतिहासिक दिन आने वाला है। भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला 25 जून 2025 को अंतरिक्ष की यात्रा पर रवाना हो सकते हैं। यह मिशन Axiom-4 (Ax-4) कहलाता है, जिसे NASA, SpaceX और Axiom Space मिलकर संचालित कर रहे हैं। शुभांशु, इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पर जाने वाले पहले भारतीय और अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय बन जाएंगे। इससे पहले 1984 में राकेश शर्मा ने सोवियत स्पेस मिशन के तहत अंतरिक्ष की यात्रा की थी।

लॉन्च की तारीख और समय

नासा ने मंगलवार को घोषणा की कि Axiom-4 मिशन का प्रक्षेपण 25 जून को दोपहर 12:01 बजे (भारतीय समय) पर किया जाएगा। लॉन्च फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर से SpaceX के Falcon-9 रॉकेट द्वारा होगा। अगर मिशन समय पर लॉन्च होता है, तो यह 26 जून की शाम 4:30 बजे ISS से डॉकिंग करेगा।

5 बार टल चुका है मिशन

Axiom-4 मिशन पहले 29 मई को लॉन्च होना था, लेकिन विभिन्न तकनीकी कारणों से इसे 5 बार टाला जा चुका है।

29 मई: ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट तैयार न होने के कारण टाला गया।

8 जून: मौसम खराब होने के कारण स्थगित।

10 जून: फिर से मौसम बिगड़ने से लॉन्च रुका।

11 जून: ऑक्सीजन लीक के चलते रोका गया।

22 जून: अब ISS की सुरक्षा जांच के चलते स्थगित।

इन देरी का मुख्य कारण ISS के पुराने रूसी मॉड्यूल Zvezda में लिक्विड ऑक्सीजन रिसाव और सुरक्षा जांच रही है।

कौन हैं इस मिशन के सदस्य?

Axiom-4 मिशन में चार देशों के अंतरिक्ष यात्री शामिल हैं:

  • शुभांशु शुक्ला (भारत) – मिशन पायलट
  • पेगी व्हिटसन (अमेरिका) – मिशन कमांडर
  • टिबोर कापू (हंगरी) – मिशन विशेषज्ञ
  • स्लावोज उज़्नान्स्की (पोलैंड) – मिशन विशेषज्ञ

अंतरिक्ष में 14 दिन रहेंगे, होंगे 60 वैज्ञानिक प्रयोग

Axiom-4 मिशन के दौरान अंतरिक्ष यात्री ISS पर 14 दिन बिताएंगे, जहां वे 60 साइंटिफिक एक्सपेरिमेंट करेंगे। इनमें से 7 प्रयोग भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा तैयार किए गए हैं।

इनमें प्रमुख प्रयोग शामिल हैं:

  • माइक्रोग्रैविटी में अंकुरण (sprouting) और बीजों पर प्रभाव
  • एल्गी पर रेडिएशन और जीरो ग्रैविटी का असर
  • ब्लड शुगर और इंसुलिन व्यवहार का अध्ययन

पहली बार स्पेस में ब्लड-शुगर और इंसुलिन पर रिसर्च

  • इस मिशन की एक बड़ी खासियत यह है कि इसमें पहली बार अंतरिक्ष में इंसुलिन और ब्लड-शुगर पर रिसर्च की जाएगी।
  • UAE की बुर्जील होल्डिंग्स यह अध्ययन कर रही है।
  • सभी अंतरिक्ष यात्री ग्लूकोज मॉनिटर पहनेंगे, जिससे पता चलेगा कि स्पेस में ब्लड शुगर कैसे व्यवहार करता है।
  • साथ ही इंसुलिन पेन भी ले जाए जाएंगे जो विभिन्न तापमानों में रखे होंगे, जिससे अणुओं पर असर देखा जाएगा।
  • इससे भविष्य में उन मरीजों को लाभ मिल सकता है जो डायबिटीज, लकवा या सीमित मूवमेंट से जूझ रहे हैं।

NASA क्यों नहीं भेजता डायबिटीज मरीजों को स्पेस?

NASA डायबिटीज के उन मरीजों को जो इंसुलिन लेते हैं, उन्हें स्पेस मिशन में शामिल नहीं करता। हालांकि, इंसुलिन न लेने वाले मरीजों पर रोक नहीं है, फिर भी अब तक ऐसा कोई मरीज अंतरिक्ष में नहीं गया है। Axiom-4 मिशन इस दिशा में रिसर्च का रास्ता खोल सकता है।

Axiom-4 भारत और दुनिया के लिए नई शुरुआत

Axiom-4 सिर्फ एक अंतरिक्ष मिशन नहीं, बल्कि यह भारत, पोलैंड, हंगरी और UAE के लिए अंतरिक्ष में वापसी का प्रतीक बन रहा है। भारत के लिए यह मिशन तकनीकी भागीदारी, अंतरिक्ष विज्ञान और बायो-मेडिकल रिसर्च के क्षेत्र में एक नई शुरुआत है।

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