
वाराणसी। भारत के गृहमंत्री अमित शाह 24 जून से दो दिवसीय दौरे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी पहुंचेंगे। इस दौरान वह 25वीं सेंट्रल जोनल काउंसिल की बैठक की अध्यक्षता करेंगे, जिसमें उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री और 120 वरिष्ठ अधिकारी हिस्सा लेंगे। बैठक में सीमावर्ती घुसपैठ, सुरक्षा, विकास, पर्यावरण, बिजली-पानी जैसे ज्वलंत मुद्दों पर गहन चर्चा की जाएगी।
एयरपोर्ट पर होगा भव्य स्वागत
सोमवार शाम 5 बजे गृहमंत्री अमित शाह वाराणसी एयरपोर्ट पर पहुंचेंगे, जहां उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी, मध्यप्रदेश के सीएम डॉ. मोहन यादव और छत्तीसगढ़ के सीएम विष्णु देव साय उनका स्वागत करेंगे। सभी नेता पहले काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन करेंगे, फिर कालभैरव मंदिर पहुंचकर पूजन करेंगे। इसके बाद सभी मुख्यमंत्री होटल ताज में रात्रि विश्राम करेंगे। अधिकारियों के ठहरने की व्यवस्था कैंटोनमेंट क्षेत्र के होटल रमाडा में की गई है।
तीन घंटे की होगी बैठक
मंगलवार 24 जून को सुबह 11 बजे से होटल ताज के दरबार हॉल में बैठक की शुरुआत होगी। बैठक की अध्यक्षता गृहमंत्री अमित शाह करेंगे, जबकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ क्षेत्रीय उपाध्यक्ष की भूमिका निभाएंगे। दोपहर 2 बजे तक चलने वाली बैठक के बाद प्रतिनिधिमंडल होटल लॉन में लंच करेगा।
लंच के बाद सभी प्रतिनिधि नमो घाट से क्रूज द्वारा अस्सी घाट तक गंगा की सैर करेंगे और फिर दशाश्वमेध घाट पर भव्य गंगा आरती में शामिल होंगे।
सुरक्षा से लेकर पर्यटन तक कई मुद्दों पर चर्चा
सेंट्रल जोनल काउंसिल की इस बैठक में इन मुद्दों पर चर्चा होगी:
- बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठ, भारत-नेपाल सीमावर्ती क्षेत्रों की सुरक्षा
- महिला सुरक्षा, पॉक्सो एक्ट, साइबर अपराध और आतंकवाद
- बिजली, पानी, सड़क और परिवहन से जुड़े अंतरराज्यीय मसले
- वन एवं पर्यावरण, खनन और खेती-बाड़ी से संबंधित नीतियां
- हिमालयी नदियों को जोड़ने की योजना, जल प्रबंधन
- धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने और रोजगार सृजन के उपाय
काशी की कला और विरासत को मिलेगा राष्ट्रीय मंच
इस उच्च स्तरीय बैठक के साथ-साथ काशी के GI टैग उत्पादों की प्रदर्शनी भी आयोजित की जाएगी। इसमें काशी के 10 विशेष हस्तशिल्प और कारीगर उत्पादों को प्रदर्शित किया जाएगा, जैसे बनारसी साड़ी, लकड़ी की लकीर का काम, मीनाकारी, और अन्य पारंपरिक हस्तकला उत्पाद। इस प्रदर्शनी का उद्देश्य इन उत्पादों को राष्ट्रीय पहचान दिलाना और स्थानीय कारीगरों को प्रोत्साहन देना है।
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