
दमिश्क। सीरिया की राजधानी दमिश्क में रविवार रात को एक गंभीर आत्मघाती हमला हुआ, जिसने न सिर्फ शहर को, बल्कि पूरे अंतरराष्ट्रीय समुदाय को हिला दिया। यह हमला उस वक्त हुआ जब ग्रीक ऑर्थोडॉक्स सेंट एलियास चर्च में 150 से ज्यादा लोग प्रार्थना कर रहे थे।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, एक आतंकी चर्च में घुसा, पहले फायरिंग की और फिर खुद को विस्फोट से उड़ा लिया। हमला इतना भयानक था कि चर्च की बेंचें चकनाचूर हो गईं और हर तरफ चीख-पुकार मच गई। इस हमले की जिम्मेदारी आतंकवादी संगठन ISIS से जुड़े गुट ने ली है।
घटनास्थल पर मचा हड़कंप
सरकारी बयान में इसे राष्ट्रीय एकता पर हमला बताया गया। सीरियाई गृह मंत्रालय ने पुष्टि की कि हमलावर ISIS से जुड़ा था। हमले के बाद पूरे चर्च क्षेत्र को घेर लिया गया है और सुरक्षाबल जांच में जुटे हैं।
सीरिया के सूचना मंत्री हमजा अल-मुस्तफा ने कहा, “यह हमला केवल निर्दोष लोगों पर नहीं, बल्कि हमारी राष्ट्रीय एकता और धार्मिक भाईचारे पर भी है। सरकार आतंकियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगी।”
राजनीतिक बदलाव और आतंक की वापसी
बशर अल-असद की सत्ता जाने के बाद नई सरकार के सामने बड़ी चुनौती है। हमला उस वक्त हुआ है जब इस्लामिक नेतृत्व वाली नई सरकार ने सत्ता संभाली है। जानकारों का मानना है कि, बशर अल-असद के समर्थक सैनिकों द्वारा छोड़े गए हथियारों का फायदा उठाकर ISIS फिर से संगठित हो रहा है।
ईरान-अमेरिका में भी बढ़ा तनाव
अमेरिका ने ईरान के 3 परमाणु ठिकानों पर बम गिराए। बंकर बस्टर बमों का इस्तेमाल किया गया, ईरान ने जवाबी कार्रवाई की चेतावनी दी है। रविवार को अमेरिका ने ईरान के फोर्डो परमाणु केंद्र सहित तीन प्रमुख ठिकानों पर बमबारी की। इन हमलों में 30,000 पाउंड के बंकर बस्टर बम इस्तेमाल किए गए। इस कार्रवाई से पूरे पश्चिम एशिया में संघर्ष गहरा गया है।
ईरान ने दी चेतावनी – “अब बख्शा नहीं जाएगा”
ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने ट्वीट कर कहा, “जायोनिस्ट दुश्मन ने भयावह अपराध किया है। उसे इसकी सजा जरूर मिलेगी।”
ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेश्कियान ने हमले को “1979 के बाद की सबसे गंभीर पश्चिमी सैन्य कार्रवाई” बताया और जवाब देने की बात कही।
UN ने जताई चिंता
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने दोनों घटनाओं की कड़ी निंदा की है। अमेरिका-ईरान तनाव और दमिश्क हमले को लेकर आपात बैठक बुलाई गई है। रूस, चीन, पाकिस्तान और तुर्की जैसे देशों ने हमलों की आलोचना की है, जबकि पश्चिमी देश अमेरिका के समर्थन में खड़े हैं।