
वॉशिंगटन डीसी। मध्य-पूर्व में इजराइल और ईरान के बीच जारी युद्ध के हालातों के बीच अमेरिका में सैन्य गतिविधियां अचानक तेज हो गई हैं। पिछले कुछ दिनों में अमेरिका ने यूरोप के एयरबेस में फाइटर जेट्स और सैन्य विमान भेजने के साथ-साथ अब ‘डूम्सडे प्लेन’ को भी आसमान में उतार दिया है। यह वही विमान है जो संकट के समय राष्ट्रपति और सेना की सर्वोच्च कमान को सुरक्षा और नियंत्रण प्रदान करता है।
क्या है ‘डूम्सडे प्लेन’?
E-4B नाइटवॉच नाम का यह हाईटेक प्लेन अमेरिका का ‘चलता-फिरता कमांड सेंटर’ है। इसे ‘डूम्सडे प्लेन’ कहा जाता है क्योंकि यह परमाणु हमले तक को झेलने में सक्षम है। इसमें तीन अलग-अलग डेक होते हैं, जिनमें ब्रिफिंग रूम, स्ट्रैटेजिक कॉन्फ्रेंस रूम और कम्युनिकेशन जोन शामिल हैं। इसमें आराम के लिए 18 बंक भी होते हैं।
इस विमान की सबसे खास बात यह है कि यह बिना जमीन पर उतरे एक हफ्ते तक काम कर सकता है और हवा में ही ईंधन भर सकता है। इसे विशेष तौर पर संकट की स्थिति में राष्ट्रपति, रक्षा सचिव और सेना के शीर्ष अधिकारियों के लिए तैयार रखा जाता है।
अचानक आसमान में क्यों दिखा डूम्सडे प्लेन?
मंगलवार को इस विमान ने लुइजियाना के बार्क्सडेल एयर फोर्स बेस से उड़ान भरी और चार घंटे की उड़ान के बाद मैरीलैंड के जॉइंट बेस एंड्रयूज पर लैंड किया। इस उड़ान का कॉलसाइन ‘ORDER01’ था, जो पहले कभी उपयोग में नहीं आया था। इस नई कॉलसाइन को लेकर भी कई अटकलें लगाई जा रही हैं।
अमेरिका ने यूरोप और सऊदी अरब में बढ़ाई सैन्य तैनाती
ओपन सोर्स इंटेलिजेंस ग्रुप ‘ऑरोरा इंटेल’ के मुताबिक, अमेरिका ने रातोंरात स्कॉटलैंड के प्रेस्टविक और इटली के एवियानो एयरबेस पर फ्यूल टैंकर और C-17 विमानों की तैनाती की है। इसके अलावा, इटली से करीब दर्जनभर F-16 लड़ाकू विमान सऊदी अरब के प्रिंस सुल्तान एयरबेस पर भेजे गए हैं।
इन कदमों से साफ है कि अमेरिका किसी बड़ी सैन्य कार्रवाई की तैयारी में जुटा है, खासकर तब जब इजराइल-ईरान तनाव चरम पर है और अमेरिका ने इजराइल को हरसंभव समर्थन देने का ऐलान किया है।
ट्रंप की चेतावनी और खामेनेई का जवाब
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में ईरान से “बिना शर्त आत्मसमर्पण” की मांग की है और साफ किया है कि अमेरिका इजराइल के साथ खड़ा है। वहीं, ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला खामेनेई ने दो टूक जवाब देते हुए कहा, “हम न युद्ध में हार मानेंगे, न थोपे गए शांति प्रस्ताव में।” यह बयान दोनों देशों के बीच टकराव को और गहराता दिख रहा है।
अब तक 224 मौतें
इजराइल द्वारा पिछले हफ्ते किए गए हवाई हमलों में ईरान में 224 लोगों की मौत हो चुकी है। कहा जा रहा है कि, इन हमलों का मकसद ईरान की परमाणु गतिविधियों को रोकना था। इन हालातों में अमेरिका की सैन्य हलचल और ‘डूम्सडे प्लेन’ की उड़ान यह संकेत दे रही है कि अमेरिका किसी निर्णायक कदम की तैयारी कर सकता है।
इतिहास में भी संकट के समय दिखा है यह विमान
साल 2001 में 9/11 के आतंकी हमलों के समय तत्कालीन राष्ट्रपति जॉर्ज बुश को इसी तरह के विमान में सुरक्षित रखा गया था। 1995 में आए तूफान ओपल के दौरान भी FEMA टीम को इसी विमान से स्थानांतरित किया गया था। यानी अमेरिका जब भी संकट में होता है, यह विमान एक संकेत बन जाता है कि मामला गंभीर है।
क्या अमेरिका करेगा ईरान पर हमला?
फिलहाल यह साफ नहीं है कि ‘डूम्सडे प्लेन’ की उड़ान किसी अभ्यास का हिस्सा थी या किसी संभावित युद्ध की तैयारी। लेकिन मौजूदा हालात, ईरान-इजराइल का टकराव, ट्रंप की आक्रामक भाषा और सैन्य गतिविधियों में तेजी यह साफ कर रही है कि दुनिया एक बड़े मोड़ की ओर बढ़ रही है और अमेरिका पूरी तरह से तैयार है।
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