
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) को कोच्चि टस्कर्स केरल फ्रेंचाइजी विवाद में बॉम्बे हाई कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने बोर्ड की याचिका खारिज करते हुए फ्रेंचाइजी मालिकों के पक्ष में दिए गए मध्यस्थता पुरस्कार को वैध ठहराया है। इस फैसले के तहत बीसीसीआई को कुल 538.84 करोड़ रुपए का भुगतान करना होगा।
किसे कितनी राशि मिलेगी
कोर्ट के आदेश के मुताबिक, BCCI को कोच्चि क्रिकेट प्राइवेट लिमिटेड (KCPL) को 385.50 करोड़ रुपए और रेंडेजवस स्पोर्ट्स वर्ल्ड (RSW) को 153.34 करोड़ रुपए की राशि 18% सालाना ब्याज के साथ अदा करनी होगी।
क्या है पूरा मामला
कोच्चि टस्कर्स केरल ने साल 2011 के आईपीएल सीजन में हिस्सा लिया था। लेकिन सितंबर 2011 में बीसीसीआई ने बैंक गारंटी नहीं मिलने के कारण फ्रेंचाइजी का अनुबंध समाप्त कर दिया। इसके बाद फ्रेंचाइजी मालिकों ने आर्बिट्रेशन (मध्यस्थता) का रुख किया और BCCI के खिलाफ अनुचित अनुबंध समाप्ति का आरोप लगाया।
KCPL का दावा था कि स्टेडियम की अनुपलब्धता और कुछ कानूनी प्रक्रियाओं के कारण गारंटी नहीं दी जा सकी और BCCI ने जल्दबाजी में अनुबंध तोड़ा।
2015 से कोर्ट में चल रहा था मामला
BCCI ने 2015 में बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका दायर कर मध्यस्थता फैसले को चुनौती दी थी। बोर्ड ने तर्क दिया कि ट्रिब्यूनल ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर फैसला दिया और समझौते की शर्तों का उल्लंघन किया गया।
कोर्ट ने बीसीसीआई की आपत्तियां की खारिज
न्यायमूर्ति रियाज आई चागला की बेंच ने कहा कि कोर्ट मध्यस्थता पुरस्कार की पुनर्समीक्षा नहीं कर सकती और BCCI की आपत्तियों को अस्वीकार कर दिया। कोर्ट ने माना कि अनुबंध समाप्त करना अनुचित था और फ्रेंचाइजी को उचित मुआवजा मिलना चाहिए।
कोर्ट ने यह भी कहा कि मध्यस्थता कानून की धारा 34 के तहत अदालत का अधिकार क्षेत्र सीमित है, और इस मामले में हस्तक्षेप का कोई आधार नहीं है।
एक ही सीजन खेल सकी कोच्चि टस्कर्स
कोच्चि टस्कर्स ने 2011 में आईपीएल खेला था। टीम ने 14 में से 6 मैच जीते और अंकतालिका में 8वें स्थान पर रही। इस टीम में महेला जयवर्धने, ब्रेंडन मैकुलम, ब्रैड हॉज और रविंद्र जडेजा जैसे दिग्गज खिलाड़ी शामिल थे।