
बेन्यू। नाइजीरिया के उत्तर-मध्य स्थित बेन्यू राज्य के येलेवाटा क्षेत्र में एक भीषण हमले में कम से कम 100 लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी गई। यह हमला शुक्रवार देर रात से शनिवार सुबह के बीच हुआ। हमलावरों ने न केवल लोगों को गोलियों से भून डाला, बल्कि कई परिवारों को उनके घरों में बंद कर जिंदा जला दिया। सैकड़ों लोग घायल हैं और दर्जनों अभी भी लापता हैं। मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल ने इस घटना को मानवता पर हमला बताया है।
घरों में बंद कर जिंदा जलाया
एमनेस्टी इंटरनेशनल नाइजीरिया ने अपनी फेसबुक पोस्ट में बताया कि यह हमला योजनाबद्ध ढंग से किया गया। हमलावरों ने गांव के कई घरों को चारों ओर से घेर लिया, परिवारों को बाहर निकलने का मौका भी नहीं दिया और उनके घरों में आग लगा दी। एमनेस्टी ने कहा, “लोग इतने बुरी तरह जल चुके हैं कि उनकी पहचान तक मुश्किल हो रही है।”
राहत सुविधाएं नहीं पहुंचीं
घायलों की संख्या सैकड़ों में बताई जा रही है, लेकिन अब तक उन्हें समुचित चिकित्सा सुविधाएं नहीं मिल पाई हैं। राहत और बचाव दलों की पहुंच भी सीमित बताई जा रही है। घायलों में महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं। स्थानीय अस्पतालों में सुविधाएं न के बराबर हैं, जिससे मृतकों की संख्या बढ़ने की आशंका है।
पुलिस ने हमले की पुष्टि की
बेन्यू पुलिस ने हमले की पुष्टि की है, लेकिन अभी तक यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि हमला किसने किया और कितने लोग मारे गए हैं। स्थानीय निवासियों और चश्मदीदों ने समाचार एजेंसी AFP को बताया कि मरने वालों की संख्या 100 से अधिक है। गांव पूरी तरह तबाह हो चुका है और दर्जनों परिवार बेघर हो गए हैं।
कई सालों से चला आ रहा है यह संघर्ष
बेन्यू राज्य नाइजीरिया के मिडल बेल्ट क्षेत्र में आता है, जो जातीय और धार्मिक दृष्टि से अत्यंत संवेदनशील माना जाता है। राज्य के उत्तर में मुस्लिम बहुल आबादी है जबकि दक्षिण में ईसाई बहुलता है। यह क्षेत्र लंबे समय से चरवाहों और किसानों के बीच ज़मीन और पानी को लेकर संघर्ष का केंद्र रहा है। किसानों का आरोप है कि मुस्लिम चरवाहे जानबूझकर मवेशियों को उनकी फसलों में चराते हैं, जबकि चरवाहों का कहना है कि वे पारंपरिक चरागाह रास्तों का उपयोग कर रहे हैं, जिन्हें 1965 के कानून के तहत उन्हें अधिकार प्राप्त हैं।
एमनेस्टी इंटरनेशनल के अलावा कई मानवाधिकार संगठनों ने इस हमले की निंदा की है और नाइजीरियन सरकार से तुरंत राहत एवं सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाने की मांग की है।
एमनेस्टी ने कहा, “यह केवल जातीय या धार्मिक हिंसा नहीं, बल्कि मानवता के खिलाफ युद्ध जैसा है।”