
भोपाल | पिता सिर्फ एक रिश्ता नहीं, वो नींव हैं जिस पर सपनों की इमारत खड़ी होती है। पिता सिर्फ सुरक्षा की ढाल नहीं, आत्मविश्वास की मशाल भी होते हैं, जो हर बच्चे की राह रोशन करते हैं। फादर्स डे के मौके पर शहर के तीन युवाओं ने हमारे साथ अपनी कहानियां साझा कीं, जिनकी कामयाबी के पीछे उनके पिताओं का अटूट समर्थन, मार्गदर्शन और विश्वास छिपा है। मिस एमपी यूनिवर्स बनीं जाह्नवी मल्होत्रा के मॉडलिंग के सपने को पहले विरोध मिला, लेकिन जब पिता ने उनकी काबिलियत पहचानी, तो सबसे बड़ा सपोर्ट बन गए। इसके अलावा प्रणव ने पिता से डांस और नकुल ने नौसेना की ट्रेनिंग बचपन से लेकर उसी फील्ड में अपना कॅरियर बनाकर सफलता हासिल कर रहे हैं।
पिता से सीखी स्पीच क्वालिटी
हाल ही में मैंने मिस एमपी यूनिवर्स का टाइटल जीता है। जब मैंने घर पर बताया कि मैं मॉडलिंग करना चाहती हूं तो पापा एसके मल्होत्रा ने इसका विरोध किया। उनको लगता था कि यह फील्ड स्टेबल नहीं है। मेरे माता और पिता दोनों प्रोफेसर हैं। मैंने भी एमए इन इंग्लिश किया हुआ है तो पैरेंट्स चाहते थे कि मैं भी टीचिंग फील्ड में ही जाऊं। 2017 में मैंने माॉडलिंग शुरू की। शुरुआत में लोकल ब्यूटी पेजेंट कॉम्पिटिशन में हिस्सा लिया। जब मैंने उन कॉम्पिटिशन में अच्छा परफॉर्म किया और टाइटल जीते तो पापा को भी लगा कि मैं इसमें अच्छा कर सकती हूं। इसके बाद उन्होंने भी मुझे सपोर्ट किया। मैंने अपने पापा से कई चीजें सीखीं हैं, जिनमें स्पीच देना सबसे महत्वपूर्ण है। ब्यूटी पेजेंट कॉम्पिटिशन में सिर्फ आपकी ब्यूटी ही नहीं देखी जाती, बल्कि आपका जनरल नॉलेज, स्पीच क्वालिटी और स्टेज पर आपकी परफॉर्मेंस जैसी क्वालिटीज भी देखी जाती है, जो मैंने अपने पापा से सीखी। अब आगे मेरा गोल मिस यूनिवर्स इंडिया बनना है, क्योंकि एमपी से अभी तक किसी ने भी मिस यूनिवर्स इंडिया का टाइटल नहीं जीता है। जाह्नवी मल्होत्रा, मिस एमपी यूनिवर्स
पापा ने बचपन से सिखाई भरतनाट्यम की बारीकियां
भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय ने हाल ही में मुझे भरतनाट्यम में यूथ स्कॉलरशिप प्रदान की है और इसमें मेरे पिता प्रदीप कृष्णन की अहम भूमिका रही। वे कलांजलि संस्था चलाते हैं तो शुरुआत में मैंने उन्हीं से भरतनाट्यम सीखा। बाद में पापा ने मुझे उनके गुरु के पास भरतनाट्यम की बारीकियां सीखने के लिए केरल भेज दिया, जहां करीब 7 साल से भरतनाट्यम सीख रहा हूं। शुरू से पापा ने ही मेरे लिए सब कुछ किया है। प्रणव प्रदीप, आर्टिस्ट
हमेशा अनुशासन और देशभक्ति का मतलब समझाया
मैं भारतीय नौसेना में मिडशिपमैन हूं। मेरे पापा मनीष सक्सेना ने ही मुझे आरआईएमसी में शामिल होने के लिए ट्रेनिंग दी और 11 साल की उम्र में आरआईएमसी, देहरादून में मेरा सिलेक्शन हुआ, यहीं से मेरे सैन्य सफर की शुरुआत हुई। पापा ने मुझे हमेशा अनुशासन और देशभक्ति का मतलब समझाया। हाल ही में 108वें भारतीय नौसेना अकादमी पाठ्यक्रम के समापन पर पासिंग आउट परेड में राष्ट्रपति स्वर्ण पदक जीता। नकुल सक्सेना, मिडशिपमैन