
बेंगलुरु के एम. चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर आरसीबी की विजय जुलूस के दौरान हुई भगदड़ के मामले में कर्नाटक हाई कोर्ट ने कर्नाटक स्टेट क्रिकेट एसोसिएशन (KSCA) को अंतरिम राहत दी है। अदालत ने पुलिस को निर्देश दिया है कि KSCA के खिलाफ दर्ज FIR के आधार पर कोई दंडात्मक कार्रवाई न की जाए।
हालांकि, कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि KSCA की मैनेजमेंट कमेटी जांच में पूरी तरह सहयोग करेगी और बिना इजाजत कोर्ट के अधिकार क्षेत्र से बाहर नहीं जाएगी।
अदालत में क्या दलीलें रखी गईं?
KSCA की ओर से पेश वकीलों ने अदालत में कहा कि पुलिस ने पहले ही अप्राकृतिक मृत्यु रिपोर्ट (UDR) दर्ज करके जांच शुरू कर दी थी, फिर FIR दर्ज करना गैरकानूनी है। सरकार खुद इस घटना को एक अप्रत्याशित दुर्घटना बता चुकी है, फिर केएससीए को दोषी कैसे ठहराया जा सकता है?
स्टेडियम का प्रबंधन और गेट की व्यवस्था RCB की इवेंट कंपनी RCSPL के जिम्मे थी, न कि KSCA के। KSCA ने यह भी तर्क दिया कि अगर पुलिस अधिकारियों को सस्पेंड किया गया है, तो यह पुलिस की जिम्मेदारी की विफलता को दर्शाता है, ऐसे में KSCA को परेशान करना उचित नहीं है।
कोर्ट का स्पष्ट निर्देश
हाई कोर्ट ने अंतरिम आदेश देते हुए कहा- 16 जून को दोबारा सुनवाई होगी। तब तक R2, R3 और R4 नामित KSCA अधिकारियों के खिलाफ कोई त्वरित कार्रवाई न की जाए। अगर उन्हें गिरफ्तार किया गया, तो यह उनके संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन होगा। अटॉर्नी जनरल ने यह तर्क दिया कि अंतरिम आदेश जांच को प्रभावित नहीं करेगा, लेकिन इस पर आगे बहस की जाएगी।
16 जून को केस की अगली सुनवाई
कोर्ट ने केस को 16 जून के लिए सूचीबद्ध कर दिया है। तब तक KSCA के खिलाफ कोई गिरफ्तारी या कानूनी कदम नहीं उठाया जा सकेगा। अदालत इस मामले में निष्पक्ष जांच और सभी पक्षों को सुनने की दिशा में काम कर रही है।