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ऑपरेशन सिंदूर में तबाह हुई चाइनीज मिसाइल PL-15E; अमेरिका, जापान समेत सात देशों ने भारत से मांगा मलबा, चीन की तकनीक समझने की होड़

नई दिल्ली। भारतीय वायुसेना (IAF)  ने हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान द्वारा दागी गई चीन में बनी PL-15E मिसाइल को भारतीय एयर डिफेंस सिस्टम ने हवा में ही नाकाम कर दिया। इसके बाद अब अमेरिका, जापान, फ्रांस सहित कुल सात देशों ने भारत से इस मिसाइल के मलबे की मांग की है, ताकि वे इसकी तकनीकी का गहराई से पता लगा सकें।

पहली बार इस्तेमाल हुई PL-15E मिसाइल

ऑपरेशन सिंदूर के तहत, पाकिस्तान ने अपने JF-17 फाइटर जेट से PL-15E मिसाइल दागी थी। यह पहली बार था जब किसी सैन्य संघर्ष में इस मिसाइल का प्रयोग किया गया। हालांकि, इंडियन डिफेंस सिस्टम ने इसे हवा में ही मार गिराया और यह अपने लक्ष्य तक नहीं पहुंच सकी। PL-15E को चीन ने विकसित किया है।

पंजाब के होशियारपुर में मिला मलबा

9 मई को पंजाब के होशियारपुर जिले के एक खेत में इस मिसाइल के टुकड़े बरामद किए गए। इसके बाद 12 मई को भारतीय वायुसेना ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में पहली बार इस मिसाइल के मलबे को सार्वजनिक रूप से दिखाया। वायुसेना के अनुसार, मलबे से मिसाइल की रडार सिग्नेचर, मोटर स्ट्रक्चर, गाइडेंस सिस्टम और AESA (Active Electronically Scanned Array) रडार तकनीक की अहम जानकारी मिल सकती है।

कौन-कौन से देश दिखा रहे दिलचस्पी

  1. फाइव आइज देश (अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, न्यूजीलैंड): ये देश सामूहिक रूप से खुफिया जानकारी साझा करते हैं। PL-15E मिसाइल के मलबे की मदद से वे चीन की मिसाइल तकनीक की गहराई से जांच करना चाहते हैं, ताकि भविष्य में संभावित खतरे को समझ सकें।
  2. फ्रांस: फ्रांस के राफेल जेट में मीट्योर मिसाइल का प्रयोग होता है, जिसे PL-15E की टक्कर की मिसाइल माना जाता है। फ्रांस रडार सिग्नेचर, मोटर डिजाइन और गाइडेंस सिस्टम को लेकर विशेष रुचि रखता है ताकि वह अपनी मिसाइल प्रणाली को और बेहतर बना सके।
  3. जापान: चीन की बढ़ती सैन्य आक्रामकता के मद्देनजर जापान अपने मिसाइल डिफेंस सिस्टम को अपग्रेड करने की योजना पर काम कर रहा है। वह PL-15E के मलबे से मिलने वाली तकनीकी जानकारी को इसमें उपयोग करना चाहता है।

भारत को मिली रणनीतिक बढ़त

भारतीय वायुसेना के एयर मार्शल ए के भारती ने 12 मई को कहा कि पाकिस्तान द्वारा इस्तेमाल की गई PL-15E मिसाइल को भारत के स्वदेशी आकाश मिसाइल और रूसी S-400 एयर डिफेंस सिस्टम ने मिलकर नाकाम किया। यह भारत की वायु सुरक्षा क्षमताओं का एक बड़ा प्रमाण है। एयर मार्शल के अनुसार, “हम किसी भी हवाई खतरे का सटीक और प्रभावी जवाब देने में पूरी तरह सक्षम हैं।”

रिवर्स इंजीनियरिंग से उधेड़ा जाएगा राज

भारत के पास उपलब्ध PL-15E मिसाइल के मलबे से कई महत्वपूर्ण जानकारियां मिल सकती हैं। जिनमें रडार सिग्नेचर, मोटर स्ट्रक्चर, गाइडेंस सिस्टम और AESA रडार टेक्नोलॉजी शामिल है।

 

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