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World Earth Day 2025 : मानव सभ्यता के विकास के लिए मल्टी-प्लेनेटरी होना जरूरी- साकेत सिंह कौरव

World Earth Day पर रीजनल साइंस सेंटर (भोपाल) के इंचार्ज साकेत सिंह कौरव से पीपुल्स अपडेट की खास बातचीत

वासिफ खान/भोपाल। वर्ल्ड अर्थ डे के मौके पर विज्ञान और पर्यावरण संरक्षण को लेकर रीजनल साइंस सेंटर, भोपाल के इंचार्ज साकेत सिंह कौरव ने पीपुल्स अपडेट से खास बातचीत की। उन्होंने पर्यावरण और विज्ञान के कई अहम पहलुओं पर रोशनी डाली गई। उन्होंने विज्ञान और वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देने के लिए धरती के सामने मौजूद चुनौतियों और मल्टी-प्लेनेटरी सभ्यता की आवश्यकता जैसे मुद्दों पर बात किया।

मल्टी-प्लेनेटरी होना मानव सभ्यता की आवश्यकता

साकेत सिंह कौरव का मानना है कि मानव सभ्यता को दीर्घकालीन बनाए रखने के लिए केवल पृथ्वी पर टिके रहना पर्याप्त नहीं है। उन्होंने कहा, “आज जिस तरह से पृथ्वी जलवायु परिवर्तन, ग्लोबल वॉर्मिंग, पॉल्युशन और अन्य संकटों से जूझ रही है, ऐसे में मल्टी-प्लेनेटरी होना, यानी अन्य ग्रहों पर भी जीवन की संभावनाओं की खोज भविष्य की जरूरत है।”

उन्होंने कहा कि यह सोच केवल कल्पना नहीं, बल्कि वैज्ञानिक आवश्यकता बन चुकी है।

कैसे काम करता है रीजनल साइंस सेंटर

रीजनल साइंस सेंटर भोपाल, भारत सरकार के नेशनल काउंसिल ऑफ साइंस म्यूजियम के अंतर्गत संचालित होता है। देशभर में इसकी कुल 26 शाखाएं हैं। इनका उद्देश्य लोगों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण और वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देना है। साकेत सिंह ने बताया, “यह केंद्र विज्ञान की जटिल अवधारणाओं को रोचक ढंग से आम लोगों तक पहुँचाने का माध्यम है। स्कूल, कॉलेज के बच्चे, युवा और हर उम्र के लोग यहां आकर विज्ञान को व्यावहारिक रूप में समझ सकते हैं।”

अर्थ डे के अवसर पर भोपाल साइंस सेंटर में रंगोली और पोस्टर मेकिंग जैसे प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया। साथ ही भारत सरकार के पॉल्युशन कंट्रोल बोर्ड के सहयोग से इक्विपमेंट डिस्प्ले भी किया गया, जिसमें विभिन्न वैज्ञानिक उपकरणों और प्रदूषण मापने वाली तकनीकों को प्रदर्शित किया गया। इन गतिविधियों का उद्देश्य आम लोगों को पर्यावरणीय मुद्दों से रूबरू कराना और उनके समाधान के लिए जागरूक करना था।

साइंस सेंटर बना समाज में जागरूकता का उत्प्रेरक

साकेत सिंह ने बताया कि यह केंद्र केवल एक म्यूजियम नहीं है, बल्कि यह समाज में साइंटिफिक टेंपरामेंट यानी वैज्ञानिक दृष्टिकोण पैदा करने वाला उत्प्रेरक है। समय-समय पर यहां वैज्ञानिक प्रदर्शनी, विज्ञान से जुड़े वर्कशॉप्स, रोबोटिक्स कैम्प, इनोवेशन प्रोग्राम्स आदि आयोजित किए जाते हैं, जिससे युवाओं और विद्यार्थियों को व्यावहारिक ज्ञान के साथ-साथ वैज्ञानिक सोच को विकसित करने का अवसर मिलता है।

धरती पर बढ़ती चुनौतियों को लेकर भी की गई चर्चा

वर्तमान समय में पृथ्वी कई गंभीर समस्याओं से जूझ रही है, ग्लोबल वॉर्मिंग, ग्लेशियरों का पिघलना, जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण जैसी समस्याएं इसका उदाहरण हैं। इस पर साकेत सिंह ने कहा, “हम साइंस सेंटर के माध्यम से आम जन को जागरूक करते हैं कि उनकी दैनिक गतिविधियाँ, जैसे प्लास्टिक का प्रयोग, फॉसिल फ्यूल पर निर्भरता, और कचरे का अनुचित प्रबंधन, किस प्रकार धरती को नुकसान पहुंचा रही हैं।” इसके साथ ही उन्होंने बताया कि आम लोगों को यह भी सिखाया जाता है कि कैसे वे छोटे प्रयासों से पर्यावरण की रक्षा कर सकते हैं।

ग्रीन एनर्जी है भविष्य का रास्ता

साकेत सिंह का मानना है कि ग्रीन एनर्जी यानी हरित ऊर्जा ही प्रदूषण को कम करने का सबसे प्रभावी तरीका है। उन्होंने कहा, “आज जब धरती ग्लोबल वॉर्मिंग जैसी भयावह स्थिति से गुजर रही है, ऐसे में सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा और बायोगैस जैसे विकल्पों को अपनाना न केवल पर्यावरण के लिए लाभकारी है, बल्कि आर्थिक दृष्टिकोण से भी फायदेमंद है।”

साकेत सिंह ने मौजूदा सरकार के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि आज देश में साइंटिफिक टेंपरामेंट को लेकर जागरूकता बढ़ी है। नीति आयोग, विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय और शिक्षा मंत्रालय के प्रयासों से विज्ञान को जन-जन तक पहुँचाने का काम तेजी से हो रहा है।

हर आयु वर्ग के लिए विज्ञान का समाधान

रीजनल साइंस सेंटर भोपाल में बच्चे, किशोर, युवा, माता-पिता और यहां तक कि वरिष्ठ नागरिक भी नियमित रूप से आते हैं। साकेत सिंह के अनुसार, “लोग यहां अपने प्रश्नों के उत्तर पाते हैं, जिज्ञासाओं का समाधान होता है और वे विज्ञान के प्रति और अधिक उत्साहित होते हैं।

पूरा इंटरव्यू देखने के लिए नीचे दी गई यूट्यूब लिंक पर क्लिक करें…

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