
भोपाल। मध्यप्रदेश में कांग्रेस पार्टी अपने संगठन को फिर से मजबूत करने की दिशा में बड़ा कदम उठाने जा रही है। पिछले विधानसभा और लोकसभा चुनावों में करारी शिकस्त झेल चुकी कांग्रेस अब जिलास्तर पर अपने संगठन में बदलाव की योजना बना रही है। पार्टी हाईकमान के निर्देश अनुसार मप्र में 50% से अधिक जिलाध्यक्षों को बदला जाएगा। जिन जिलाध्यक्षों के नेतृत्व में कांग्रेस का प्रदर्शन कमजोर रहा है उन्हें हटाया जाएगा।
संगठन को मजबूत बनाने की योजना
मप्र कांग्रेस का उद्देश्य 2028 के विधानसभा चुनावों से पहले संगठन को मजबूती देना है। पार्टी के सूत्रों के अनुसार ऐसे जिलाध्यक्ष जो लंबे समय से पद पर हैं और जिनके क्षेत्र में पार्टी की स्थिति कमजोर रही है, उन्हें हटाया जाएगा। प्रदेश अध्यक्ष इस बदलाव की लिस्ट को फाइनल कर चुके हैं और इसे 8-9 अप्रैल को अहमदाबाद में होने वाले राष्ट्रीय अधिवेशन के बाद सार्वजनिक किया जा सकता है।
कई जिलों में लंबे समय से अध्यक्ष नहीं बने
कांग्रेस के कई जिलों में जिलाध्यक्ष लंबे समय से एक ही पद पर बने हुए हैं। पार्टी सूत्रों के अनुसार कई जिलों में वरिष्ठ नेता कमलनाथ के कार्यकाल में जिलाध्यक्ष नियुक्त किए गए थे और अब पार्टी अध्यक्ष पटवारी अपनी नई टीम बनाने की तैयारी कर रहे हैं। ग्वालियर शहर अध्यक्ष देवेंद्र शर्मा, उज्जैन ग्रामीण अध्यक्ष कमल पटेल और शहडोल जिलाध्यक्ष सुभाष गुप्ता 2018 से पद पर हैं। इसी तरह, सतना शहर अध्यक्ष मकसूद अहमद लगभग 12 साल से पद पर हैं, जबकि ग्रामीण अध्यक्ष दिलीप मिश्रा 10 साल से कार्यरत हैं। नीमच के अध्यक्ष अनिल चौरसिया 7 साल से और खंडवा, रायसेन जैसे जिलों में कई सालों से जिलाध्यक्ष की नियुक्ति नहीं हुई है।
राहुल गांधी से हुई चर्चा
3 अप्रैल को राहुल गांधी के साथ कांग्रेस जिलाध्यक्षों की एक महत्वपूर्ण बैठक हुई थी, जिसमें नेताओं ने नियुक्तियों और टिकट की प्रक्रिया में अधिकार दिए जाने की मांग की थी। राहुल गांधी ने इस प्रस्ताव पर सहमति जताते हुए कहा कि पार्टी में पार्षद से लेकर लोकसभा तक के टिकटों की प्रक्रिया में जिलाध्यक्षों की भागीदारी बढ़ाई जाएगी। इसके साथ ही पार्टी संगठन को मजबूत बनाने की जिम्मेदारी भी उन्हें सौंपनी होगी।
अहमदाबाद में राष्ट्रीय अधिवेशन
कांग्रेस पार्टी के पीसीसी मीडिया विभाग के चेयरमैन मुकेश नायक ने कहा कि अहमदाबाद में होने वाला राष्ट्रीय अधिवेशन कांग्रेस की मप्र इकाई के संगठन को मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण होगा। इस अधिवेशन के बाद पार्टी प्रदेश में और अधिक प्रभावी भूमिका में दिखाई देगी और सरकार के सामने नए चुनौतीपूर्ण तरीके से खड़ी होगी।
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