
भोपाल। मध्यप्रदेश के निगम-मंडलों में राजनीतिक नियुक्तियों को लेकर भाजपा नेताओं ने भोपाल से लेकर दिल्ली तक लॉबिंग तेज कर दी है। देश के पांच राज्यों में राज्यपालों की नियुक्ति के बाद दावेदारों की उम्मीदें जग गई है। प्रदेश के कई दावेदार प्रभारी सहित केंद्रीय नेताओं के सामने अपनी बात रख चुके हैं। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने करीब 11 महीने पहले एक साथ 46 निगम-मंडलों और प्राधिकरण के अध्यक्ष-उपाध्यक्षों की नियुक्ति निरस्त कर दी थी।
इनमें कुछ दर्जा मंत्री ऐसे भी हैं जिन्हें पूरा कार्यकाल नहीं मिल पाया था। पार्टी सूत्रों कहना है कि लोकसभा चुनाव के दौरान एवं उसके पहले जिन वरिष्ठ नेताओं ने भाजपा जॉइन की थी उनमें से कई लोगों को सत्ता-संगठन के नेता पद देने के लिए आश्वस्त कर चुके हैं। इनके अलावा भाजपा के कई पुराने नेता भी इन पदों के लिए उम्मीद लगाए बैठे हैं।
दावेदारों को ये आश्वासन
पार्टी सूत्रों का कहना है कि लोकसभा चुनाव, सदस्यता अभियान के बाद अब संगठन चुनाव चल रहे हैं। इसलिए दावेदारों को कहा जा रहा है कि नए साल के शुरूआती दौर में प्रदेश अध्यक्ष का फैसला हो जाएगा। इसके बाद ही दर्जा मंत्रियों की सूची भी जारी होने की संभावना है क्योंकि संगठन की अनुशंसा भी सूची जारी होने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
इन्हें किया था आश्वस्त
दावेदारों में कई नेता संघ के करीबी भी हैं। इनके अलावा बुधनी में उपचुनाव के दौरान टिकट का दावा ठोकने वाले राजेंद्र सिंह राजपूत और विजयपुर में पराजित हुए रामनिवास रावत को भी एडजस्ट किए जाने का भरोसा दिलाया गया है। दीपक सक्सेना, गजेंद्र सिंह राजूखेड़ी और केपी यादव जैसे नेताओं को भी उपयुक्त समय का इंतजार करने को कहा गया है।
ये हैं पार्टी के पुराने दावेदार
इनके अलावा पार्टी के अन्य दावेदारों में शर्देंदु तिवारी, जीतू जिराती, मुकेश चौधरी, सुनील पांडे, कृष्णमोहन सोनी, अमिता चपरा, संजय नगाइच, धीरज पटैरिया, विनोद गोटिया, उमाकांत दीक्षित, आशुतोष तिवारी, डॉ हितेष वाजपेयी, कांतदेव सिंह, रजनीश अग्रवाल, शैलेंद्र शर्मा और यशपाल सिंह सिसोदिया सहित कई नेता उम्मीद लगाए बैठे हैं।