
प्रीति जैन- तनाव जीवन का हिस्सा बन चुका है, बच्चों से लेकर बड़े तक सभी अपने जीवन में हर दिन कुछ न कुछ तनाव का सामना करते हैं, लेकिन स्ट्रेस अवेयरनेस के जरिए इससे निकलने के तरीके सीखे जा सकते हैं। इसे लेकर अब लोग जागरूक भी हो रहे हैं और उन तरीकों की तलाश करने लगे हैं, जिससे तनाव रिलीज हो सके। इस काम में कई एक्सपर्ट्स की एंट्री हो चुकी है, जो कि अलग-अलग तरह के सॉल्यूशन इस बारे में देते हैं। कोई योग रिट्रीट के जरिए जंगल या झीलों के किनारे ले जाकर प्रकृति के बीच कुछ दिन बिताने का मौका दे रहा है तो कोई बच्चों को गार्डनिंग के जरिए सुकून पहुंचने की कोशिश। वहीं, रेखांकन, स्क्रिबलिंग, टेक्सचर आर्ट जैसे क्रिएटिव वर्क भी लोग सीख रहे हैं। ग्रुप पिलाटे, किक बॉक्सिंग जैसी एक्सरसाइज के जरिए भी लोग तनाव प्रबंधन कर रहे हैं।
स्ट्रेस और मेंटल हेल्थ का आपस में गहरा संबंध
स्ट्रेस और मेंटल हेल्थ का आपस में गहरा संबंध है। यदि समय रहते स्ट्रेस के कारणों व उनसे निकलने के उपायों पर काम न किया जाए तो यह दूसरी स्वास्थ्य समस्याओं के कारण बनते हैं। यही वजह है कि अब इस बारे में चर्चाएं तेज होने लगी हैं और लोग अपनेअ पने शौक के मुताबिक इससे निकलने के लिए सेल्फ केयर के तरीके तलाशने लगे हैं जो कि तनाव के समय उनकी मदद कर सकें। शहर में लगातार ऐसी वर्कशॉप व आयोजन होते हैं, जिसमें मेंटल हेल्थ व स्ट्रेस को लेकर चर्चाओं का दौर शुरू हो चुका है।
अकेले सीखने की बजाए ग्रुप एक्टिविटी पसंद कर रहे लोग
यूएस के नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी की रिपोर्ट के मुताबिक, अब तक कई रिसर्च में यह बात सामने आ चुकी है कि दोस्तों के साथ ग्रुप में एक्सरसाइज करने से लोगों की मेंटल हेल्थ बेहतर हो सकती है और स्ट्रेस लेवल में काफी कमी आ सकती है। लोग अब अकेले किसी एक्टिविटी को सीखने की बजाए ग्रुप में करना पसंद कर रहे हैं, जहां उन्हें दोस्तों का साथ मिले न मिले नए लोग भी मिल जाएं तो भी बेहतर महसूस होता है। -डॉ. शिखा रस्तोगी, साइकोलॉजिस्ट
रेखांकन कला से बढ़ती है भावों की अभिव्यक्ति व एकाग्रता
रेखांकन एक कला तो है ही साथ ही यह मन को शांत व चित्त को एकाग्र बनाने में मदद करती है। गेफ्राइट, पेंसिल, चारकोल, मार्कर, स्याही, वैक्स कलर आदि से इसे किया जाता है। कैनवास पर जब रेखाएं बनाते हैं तो मन के बहुत सारे भावों की अभिव्यक्ति उन लकीरों में हो जाती है। मैं साइकॉलोजी पढ़ने वाले स्टूडेंट्स के साथ इस विषय पर भी काम करती हूं क्योंकि यह उनकी पढ़ाई का हिस्सा है। -रेखा भटनागर, वरिष्ठ रेखांकन कलाकार