
भोपाल। प्रदेश में इस समय 10 लाख से ज्यादा आवारा पशु सड़कों पर हैं। पशुपालन विभाग के आंकड़े बता रहे कि 2,114 गोशालाओं में 3.15 लाख गोवंश को ही आश्रय दिया जा रहा है। सीएम गोसेवा योजना के तहत 1289 गोशाला प्रदेश में संचालित हैं, इनमें 1.27 लाख पशु हैं। वहीं स्वयं सेवी संस्थाओं द्वारा संचालित 627 गोशालाओं में 1.99 पशुओं को आश्रय मिला है। वहीं अन्य गोशालाएं पंचायत स्तर पर भी संचालित हैं। इतने पशु सड़कों पर होने के बावजूद विभाग अब तक इनके संरक्षण के लिए कारगर योजना नहीं बना सका है।
पशुपालन विभाग ने वर्ष 2019 में पशुओं की गणना कराई थी। तब, प्रदेश में कुल पशुधन 4.6 करोड़ से ज्यादा था। इनमें आठ लाख से ज्यादा आवारा पशु थे। पांच साल में यह संख्या बढ़कर दस लाख से ज्यादा हो गई है। आवारा पशुओं को ‘घर’ देने के लिए वर्ष 2018 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने गोशालाएं बढ़ाने योजना बनाई थी। तत्कालीन पशुपालन मंत्री लाखन सिंह यादव ने दावा किया था कि 18 माह में प्रदेश आवारा पशुओं से मुक्त हो जाएगा।
शहर से गांव खदेड़ते हैं मवेशी, ग्रामीण फिर वहीं भेज देते हैं
शहर नगरपालिका जब मवेशियों से परेशान हो जाती हैं तो इन्हें गांवों की तरफ खदेड़ देती हैं और वहां से गांव वाले शहर की तरफ…। कुछ इसी तरह के हाल सीहोर जिले के हैं। यहां के आलमपुरा गांव में आवारा मवेशियों से किसान परेशान हैं। किसानों ने बताया कि गाय, बैल व बछड़े बड़ी संख्या में हमारी मूंग व प्याज की फसल को नुकसान पहुंचा रहे हैं।
आवारा पशु न दिखें, जुर्माना भी तय किया गया था
नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने आवारा पशुओं पर नियंत्रण करने मॉनिटरिंग कमेटियां बनाई। निकायों को निर्देश जारी हुए कि-आवारा पशु सार्वजनिक मार्गों और स्थानों पर विचरण करते हुए न पाएं जाएं। दो साल पहले नगरपालिका विधि संसोधन अध्यादेश के तहत ये आदेश जारी किए गए थे कि आवारा पशु मिलने पर पशु मालिक पर 1 हजार रुपए तक का जुर्माना लगेगा।
इस कारण छोड़ते हैं मवेशी
- खेती में काम आने वाले पशुओं का काम बंद होना।
- पशुओं के लिए चारे और पानी की समुचित व्यवस्था नहीं होना।
- प्रदेश में पर्याप्त गोशालाएं नहीं होने से पशु सड़कों पर बैठते हैं।
- पशुपालक गायों का दूध बंद होते ही आवारा छोड़ देते हैं।
अब योजना का इंतजार
फरवरी माह में कैबिनेट बैठक में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा था कि बारिश में प्रमुख सड़कों और राजमार्गों पर गोमाता के दुर्घटनाग्रस्त होने से बचाने के लिए कारगर उपाय किए जाएं। यदि गोमाता मृत्यु का शिकार होती है तो उनके सम्मानजनक दाह संस्कार की व्यवस्था होना चाहिए। इसके लिए आवश्यक बजट आवंटन किया जाएगा। अब इसी के लिए योजना का इंतजार है।
प्रदेश में निराश्रित पशुओं को सरंक्षण देने के लिए विभाग ने प्रारंभिक योजना पर काम शुरू कर दिया है। चुनाव के कारण कुछ देर हुई है। जल्द ही मुख्यमंत्री के साथ बैठक करते हुए विस्तृत चर्चा की जाएगी। योजना बजट सत्र में लाने के प्रयास हैं तथा इसके अलग बजट की मांग करंगे। लखन पटेल,मंत्री पशुपालन
पशु संगणना 2019 के अनुसार जिलेवार पशुधन
कुल पशुधन 4.06 करोड़
आवारा पशु 8.53 लाख
आवारा कुत्ते 10.09 लाख
यहां सबसे अधिक आवारा पशु
जिले पशु (लाख में) आवारा
रीवा 12.53 82,485
टीकमगढ़ 10.28 61,860
सतना 11.41 61,626
राजगढ़ 9.30 59,466
छतरपुर 11.71 56,063
सागर 11.56 49,819
यहां सबसे कम
अलिराजपुर 9.35 87
झाबुआ 9.91 426
बड़वानी 10.11 510
मंडला 6.95 572
डिंडोरी 5.91 813
स्त्रोत: पशुपालन विभाग