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देश में 40 साल से ज्यादा उम्र वाले लोगों को लगाया जाए बूस्टर डोज, INSACOG के वैज्ञानिकों ने की सिफारिश

नई दिल्ली। कोरोना वायरस के नए वेरिएंट ऑमिक्रोन के खतरे के बीच भारत में भी बूस्टर डोज लगाए जाने का प्रस्ताव रखा गया है। भारतीय SARS-CoV-2 जेनेटिक्स कंसोर्टियम या INSACOG ने कहा कि 40 साल से अधिक उम्र के लोगों को बूस्टर डोज लगाई जाए। इसमें फोकस उन पर रखा जाए, जिन्हें खतरा ज्यादा है। लोकसभा में कोरोना महामारी की स्थिति पर चर्चा के दौरान सांसदों ने कोविड के टीकों की बूस्टर खुराक की मांग की थी।

बूस्टर डोज क्यों है जरूरी?

माइक्रो वायरोलॉजी विभाग के विशेषज्ञ ने बताया कि जिन लोगों को सेकेंड डोज लिए 6 से 9 महीने हो गए हैं उन्हें बूस्टर डोज देना चाहिए, क्योंकि 6 से 9 महीने में एंटीबॉडी फॉल पर होती है। यही वजह है कि इन्फ्लुएंजा वैक्सीन जो हम लोग लेते हैं उसका भी एक साल में डोज दिया जाता है।

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बंगाल में बूस्टर डोज परीक्षण की तैयारी

पश्चिम बंगाल सरकार जल्द ही कोरोना के बूस्टर डोज का परीक्षण करने की योजना बना रही है। स्वास्थ्य विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक कई अस्पतालों और मेडिकल लैबों में इसका परीक्षण भी शुरू कर दिया गया है। जिसके लिए अभी तक छह अस्पताल आगे आए हैं। इसमें स्कूल ऑफ ट्रॉपिकल मेडिसिन, कॉलेज ऑफ मेडिसिन और सगोर दत्ता अस्पताल, निल रतन सरकार मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल तीन सरकारी चिकित्सा सुविधाएं हैं, जिन्होंने इस संबंध में रुचि दिखाई है।

बूस्टर डोज पर पॉलिसी

देश की कोविड टास्क फोर्स के चेयरमैन के अनुसार सरकार गंभीर रोगियों और कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों के लिए वैक्सीन की एडिशनल डोज (बूस्टर डोज) पर नई पॉलिसी लाने जा रही है। नेशनल टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप (NTAG) इस पॉलिसी को 2 हफ्ते में तैयार करेगा। NTAG देश के 44 करोड़ बच्चों के वैक्सीनेशन के लिए भी नई पॉलिसी लाने जा रहा है।

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