
संतोष चौधरी भोपाल। भोपाल मास्टर प्लान-2031 के संशोधित ड्राफ्ट पर 3 हजार से अधिक दावेआ पत्तियां और सुझाव टीएंडसीपी को मिले हैं। इनमें से करीब 40 प्रतिशत दावेआ पत्तियां बाघ भ्रमण क्षेत्र, केरवा और कलियासोत डैम के बॉटनिकल गार्डन, बडे तालाब के कैचमेंट और सतगढ़ी के जंगल को बचाने को लेकर हैं।
इन क्षेत्रों में एक दशक में अवैध निर्माण तेजी से बढ़ा है। बाघ भ्रमण क्षेत्र चंदनपुरा, खुदागंज, केरवा, मेंडोरा-मेंडोरी के अलावा बड़े तालाब के कैचमेंट वाले इलाकों बिसनखेड़ी, सूरज नगर आदि में नियमों को ताक पर रख रिसॉर्ट, मैरिज हॉल, रेस्टोरेंट, फॉर्म हाउस आदि बन गए हैं। यहां देर रात तक पार्टियां, व्यावसायिक गतिविधियों के साथ 24 घंटे रेत-गिट्टियों से भरे डंपर गुजरते हैं। इससे वन्य प्राणियों का जीवन प्रभावित हो रहा है। इन क्षेत्रों में निजी जमीन भी हैं, जिन पर नियमों की अनदेखी कर निर्माण कर लिए गए हैं। बड़े तालाब के कैचमेंट एरिया में कुछ ऐसे स्थान भी हैं, जहां अब निर्माण कर लिया गया है। जबकि, पूर्व में इन स्थानों पर निर्माण की अनुमति नहीं दी गई थी।
लो डेंसिटी एरिया में बनी आलीशान कोठियां
बाघ भ्रमण क्षेत्र मेंडोरी में लो डेंसिटी एरिया में ब्यूरोक्रेट्स के लिए विस्परिंग पॉम नाम से कैंपस है। इसका एफएआर 0.06 है। यानी एक हजार वर्गमीटर में 60 वर्ग मीटर (660 वर्गफीट) निर्माण का प्रावधान है। लेकिन, सूत्रों ने बताया कि गलत तरीके से अनुमति लेकर यहां कोठियां बनी हैं, जो अतिक्रमण के दायरे में है। यहां सीआई होम्स के मालिक राकेश मलिक और राजेश पारदासानी द्वारा फार्म हाउस की प्लॉटिंग की जा रही है।
बिग बी को नहीं दी थी अनुमति, अब वहां निर्माण
12 साल पहले फिल्म अभिनेता अमिताभ बच्चन ने सेवनिया गौड़ में बडे तालाब के कैचमेंट की जमीन पर फार्म हाउस बनाने की अनुमति मांगी थी। 31 दिसंबर 2011 को टीएंडसीपी ने यह कहते हुए निर्माण की अनुमति नहीं दी कि उनके पास 0.185 हेक्टेयर जमीन है, जबकि कैचमेंट में गतिविधियों के लिए जमीन का न्यूनतम क्षेत्रफल 20 हेक्टेयर होना चाहिए। अब यहां कई पूर्व मंत्री, पूर्व विधायक, आईएएस, आईपीएस के निर्माण हो गए हैं।
कमेटी ने की थी अतिक्रमण की पहचान
पर्यावरणविद् सुभाष सी पांडे की याचिका पर एनजीटी ने 2022 में सरकारी विभागों और विशेषज्ञों की एक कमेटी बनाई थी। इसने अपनी रिपोर्ट में केरवा- कलियासोत में 50 से अधिक अवैध निर्माण चिह्नित किए थे। इन पर कोई कार्रवाई तो नहीं हुई, उल्टे बीते एक साल में यहां और कई निर्माण हो गए।
कैचमेंट एरिया में ये हुए निर्माण कार्य
- एक रिटायर्ड आईएएस अधिकारी की प्रॉपर्टी चंदनपुरा के पीएसपी में है। उनके राजस्व खसरे के 12 नंबर कॉलम में जंगल था। एसडीएम टीटी नगर को जंगल हटाने के लिए आवेदन दिया। कमिश्नर कार्यालय ने कॉलम से जंगल विलोपित कर दिया।
- एमपी टूरिज्म कॉर्पोरेशन की यूनिट ‘केरवा पिकनिक स्पॉट’ बॉटनिकल गॉर्डन की भूमि पर बना है।
- संस्कार वैली स्कूल के पहले चरण में भारतीय वन अधिनियम 1980 का पालन किया गया, लेकिन दूसरे चरण के निर्माण में नियम को ताक पर रखा गया। यह टीएंडसीपी के नियमों का भी उल्लंघन है।
- जागरण लेक सिटी भी अतिक्रमण में शामिल है। यहां भारतीय वन अधिनियम 1980 के नियमों का पालन नहीं किया गया।
- सिद्धांता अस्पताल के संचालक ने एफटीएल की 5,000 वर्ग फीट जमीन को मिट्टी से पाटकर वहां रिसॉर्ट बना लिया है।
- व्हाइट आर्चेड, ग्रीन वैली कैफे, इम्पीरिया फार्म नर्सरी, नेचुरल कॉरल, 32 डिग्री इन, रॉकयार्ड स्ट्राम ग्रेमिग, सांवरिया गार्डन, कंट्री साइड विंडो और भूमिका बिल्डर्स ने भी अतिक्रमण कर रखा है।
ये हैं नियम
- डैम और बडे तालाब के एफटीएल में कोई निर्माण नहीं होना चाहिए।
- एफटीएल के बाद 33 मीटर (100 फीट) ग्रीन बेल्ट के लिए आरक्षित है। यहां सघन वन रोपण के अलावा कुछ नहीं किया जा सकता।
- केरवा और कलियासोत डैम के बॉटनिकल गार्डन के उपयोग वाली 20 हेक्टेयर भूमि पर भोपाल विकास योजना-2005 के तहत निर्देशित निर्माण कार्य ही हो सकते हैं, चाहे वह जमीन प्राइवेट ही क्यों न हो।
इनका कहना है
केरवा-कलियासोत, बडे तालाब के कैचमेंट में होटल, रेस्टोरेंट, मैरिज हॉल बन गए हैं। इनका सीवेज डैम और तालाब में मिल रहा है। इसका एनजीटी में प्रकरण चल रहा है। चार साल पहले कई रेस्टोरेंट और रिसोर्ट को प्रशासन ने हटाया था। अब ये फिर से खुल गए हैं। – राशिद नूर, एनजीटी याचिकाकर्ता
हम निर्माण की अनुमति प्रावधानों के अनुसार देते हैं, जबकि बिल्डिंग परमिशन नगर निगम जारी करता है। कहीं गलत काम हुआ है, तो बताइए, हम दिखवा लेंगे। – मुकेश चंद गुप्ता, आयुक्त, टाउन एंड कंट्री प्लानिंग