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बांग्लादेश में शेख हसीना का इस्तीफा, छोड़ा देश : आर्मी बोली- अंतरिम सरकार बनाएंगे, हालात सुधारने का मौका दीजिए; PM हाउस में घुसे प्रदर्शनकारी

ढाका। बांग्लादेश में आरक्षण विरोधी आंदोलन सोमवार को और तेज हो गया। हजारों प्रदर्शनकारी प्रधानमंत्री आवास में घुस गए। करीब 4 लाख लोग सड़कों पर हैं। इस बीच सेना के अल्टीमेटम के बाद पीएम शेख हसीना ने इस्तीफा दे दिया। सेना प्रमुख जनरल वकार-उज-जमान ने इसकी पुष्टि की। उन्होंने बताया कि अब सेना अंतरिम सरकार बनाएगी।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, प्रधानमंत्री ढाका पैलेस को छोड़कर किसी सुरक्षित जगह शिफ्ट हो गई हैं। पीएम हसीना के साथ उनकी बहन रेहाना के भी देश छोड़ने की बात सामने आ रही है। दावा किया जा रहा है कि, वे मिलिट्री हेलिकॉप्टर से भारत पहुंच गई हैं। बताया जा रहा है कि, शेख हसीना के घर पर धावा बोलने के बाद इस्तीफा देने के लिए 45 मिनट का समय दिया गया था। जिसके बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया। सोमवार को 2:30 बजे शेख हसीना को लेकर सैन्य हेलीकॉप्टर बंगभवन से रवाना हुआ।

बांग्लादेश में सेना बनाएगी अंतरिम सरकार

सेना प्रमुख जनरल वकार-उज-जमान ने कहा कि, पीएम शेख हसीना ने इस्तीफा दे दिया है। अब हम अंतरिम सरकार का गठन करके शासन करेंगे, हमारे देश का नुकसान हो रहा है। संपत्ति का नुकसान हो रहा है। मुझे दायित्व दीजिए, मैं सब संभाल लूंगा। जो हत्या हुई उस पर न्याय होगा। बांग्लादेश के आर्मी चीफ ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की।

आपकी जो मांग है उसे हम पूरा करेंगे। देश में शांति वापस लाएंगे। तोड़फोड़-आगजनी मारपीट से दूर रहिए। आप लोग हमारे साथ चलेंगे तो हम स्थिति बदल देंगे। मारपीट हिंसा अराजकता संघर्ष से दूर रहिए। हमने आज सभी पार्टी नेताओं से बात की है।

शेख हसीना ने छोड़ा ढाका

रविवार को हुईं 100 मौतें

इस बीच राजधानी ढाका सहित देशभर में सेना तैनात कर दी गई है। कर्फ्यू लागू है। इससे पहले सत्तारूढ़ अवामी लीग और मुख्य विपक्षी पार्टी बीएनपी के शीर्ष नेतृत्व के बीच सेना हेडक्वार्टर में बड़ी बैठक हो रही है। इससे पहले देशव्यापी कर्फ्यू को दरकिनार कर हजारों की संख्या में प्रदर्शनकारी लॉन्ग मार्च के लिए ढाका के शाहबाग चौराहे पर इकट्ठा हुए थे। वहीं, एक दिन पहले रविवार (4 अगस्त) को हुई हिंसा में 100 से अधिक लोगों की मौत हो गई।

आंदोलन में तीन हफ्तों में 300 से ज्यादा मौतें

रविवार को 100 लोगों की मौत हुई थी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बीते तीन हफ्तों में यहां हिंसा में 300 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।

छात्रों का ढाका तक लॉन्ग मार्च

एंटी डिस्क्रिमिनेशन स्टूडेंट मूवमेंट ने सोमवार को एक दिन के लॉन्ग मार्च का आह्वान किया था। इस लॉन्ग मार्च के मद्देनजर बड़ी संख्या में सुरक्षाकर्मी और बख्तरबंद गाड़ियों को सड़कों पर गश्ती करते देखा गया।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस प्रोटेस्ट के समन्वयक आसिफ महमूद ने कहा कि इस सरकार ने कई छात्रों का कत्ल किया है। अब समय आ गया है कि सरकार को अपने कर्मों का हिसाब देना होगा। एक अन्य छात्र ने कहा कि, हमें कोई भी मार्च करने से नहीं रोक सकता। मैं सेना के अपने भाइयों से कहना चाहता हूं कि तानाशाहों का साथ नहीं दें, या तो आप लोगों का साथ दें या फिर निष्पक्ष रहें। इसके साथ ही सरकार को 24 घंटे का अल्टीमेटम भी दिया गया है कि सरकार इस तय अवधि के भीतर बंद की गई सभी यूनिवर्सिटीज को दोबारा खोल दे।

हसीना सरकार के नेताओं का दावा

आरक्षण के विरोध में शुरू हुआ प्रदर्शन पूरी तरह से हिंसा में तब्दील हो चुका है। इस बीच शेख हसीना सरकार के नेताओं ने दावा किया कि, स्टूडेंट्स के इस प्रोटेस्ट को कट्टरपंथी जमात-ए-इस्लामी संगठन और पूर्व प्रधानमंत्री खालिद जिया की पार्टी बीएनपी की स्टूडेंट इकाई बांग्लादेश इस्लामी छात्र शिबिर ने किया है।

दरअसल शेख हसीना सरकार ने हाल ही में जमात-ए-इस्लामी, इसकी छात्र शाखा और इससे जुड़े अन्य संगठनों पर प्रतिबंध लगा दिया था। कहा जा रहा है कि सरकार की इस कार्रवाई के बाद ये संगठन शेख हसीना सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतर आए हैं।

पुलिस स्टेशन पर हमला, 13 पुलिसकर्मियों की मौत

ढाका ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, सिराजगंज शहर में प्रदर्शनकारियों ने 4 अगस्त 2024 को पुलिस स्टेशन पर हमला कर दिया। उन्होंने पुलिसकर्मियों को मारने के साथ ही वहां आग लगा दी। इस हमले में 13 पुलिसकर्मियों की मौत हो गई। रिपोर्ट के मुताबिक, प्रदर्शनकारियों ने देश भर में कई पुलिस स्टेशनों पर हमला किया। हमले में 300 से ज्यादा पुलिसकर्मी घायल हुए हैं।

PM ने प्रदर्शनकारियों को बताया था आतंकी

नेशनल कमेटी ऑन सिक्योरिटी अफेयर्स की बैठक में PM हसीना ने कहा था कि, विरोध के नाम पर देश भर में “तोड़फोड़” करने वाले लोग छात्र नहीं बल्कि आतंकी हैं। मैं देशवासियों से अपील करती हूं कि वे इन आतंकियों को रोकने के लिए एकजुट हो जाएं। इस बैठक में बांग्लादेश की तीनों सेनाओं के चीफ, पुलिस चीफ और टॉप सिक्योरिटी अफसर भी शामिल हुए थे।

इसी साल जनवरी में शेख हसीना लगातार चौथी बार बांग्लादेश की प्रधानमंत्री बनी हैं। हालांकि, इस चुनाव का प्रमुख दल विपक्षी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) ने बहिष्कार किया था। चुनाव नतीजे आने के बाद देशभर में हिंसा और प्रदर्शन शुरू हो गए थे।

आरक्षण है आंदोलन की वजह

छात्रों ने पिछले महीने बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में कोटा प्रणाली को लेकर प्रदर्शन शुरू किया था। वे लगातार इस आरक्षण को खत्म करने की मांग कर रहे हैं। जिसके चलते पहले भी व्यापक रूप से हिंसा भड़क चुकी है और अब तक करीब 200 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। रविवार (4 अगस्त) को हुई इस हिंसा में प्रदर्शनकारियों ने कार्यालयों और प्रतिष्ठानों पर भी हमला किया। राजधानी ढाका में स्थित शाहबाग चौराहे पर प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच संघर्ष हुआ। इसके अलावा वहां मौजूद गाड़ियों में आग लगा दी गई। प्रदर्शनकारियों ने प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे की मांग की और आरक्षण में सुधार को लेकर हाल में हुए विरोध प्रदर्शनों में मारे गए लोगों के लिए न्याय की मांग करते हुए नारे भी लगाए।

क्या है सरकारी नौकरियों में कोटा सिस्टम

बांग्लादेश में 1971 के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के परिवारों के लिए सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत का आरक्षण तय किया गया था। बांग्लादेश की सरकार ने 2018 में अलग-अलग कैटेगरी को मिलने वाला 56 प्रतिशत आरक्षण खत्म कर दिया था, लेकिन इस साल 5 जून को वहां के हाईकोर्ट ने सरकार के फैसले को पलटते हुए दोबारा आरक्षण लागू कर दिया था। इसके बाद पूरे देश में हिंसक प्रदर्शन शुरू हो गए थे। बढ़ते हिंसा प्रदर्शन को देखते हुए कोर्ट ने 21 जुलाई को आरक्षण की सीमा 56 प्रतिशत से घटाकर 7 प्रतिशत कर दी। इसमें से स्वतंत्रता सेनानियों के परिवार वालों को 5 प्रतिशत आरक्षण तय किया था जो पहले 30 प्रतिशत था। बाकी 2 प्रतिशत आरक्षण एथनिक माइनॉरिटी, ट्रांसजेंडर और दिव्यांगों के लिए तय किया गया था।

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