
भोपाल। सीहोर की रेखा जायसवाल स्थानीय गैस एजेंसी में 450 रुपए में सिलेंडर लेने पहुंची तो उन्हें जवाब मिला कि गैस कनेक्शन उनके पति के नाम पर है, इसलिए सस्ते में गैस नहीं मिलेगी। दरअसल, यह समस्या अकेले रेखा की नहीं है बल्कि प्रदेश की करीब 25 लाख लाड़ली बहनों को 450 रुपए में रसोई गैस योजना का लाभ मिलना मुश्किल में है। इसकी मुख्य वजह इन बहनों के नाम से रसोई गैस के कनेक्शन नहीं हैं। ये बहनें खाद्य विभाग और तेल कंपनियों के पास गैस कनेक्शन ट्रांसफर के लिए प्रतिदिन चक्कर लगा रही हैं।
प्रदेश में करीब एक करोड़ 4 लाख महिलाओं को 450 रुपए में रसोई गैस मिलने की पात्रता है। लेकिन इनमें 89 लाख उज्ज्वला गैस कनेक्शनधारी महिलाएं और करीब 15 लाख लाड़ली बहनों के नाम से गैस कनेक्शन हैं। शेष करीब 25 लाख बहनों के पतियों के नाम पर कनेक्शन हैं। वहीं प्रति माह करीब तीन लाख लाड़ली बहनें और 23 लाख के करीब उज्ज्वला योजना में महिलाएं टंकियां रिफिल कराती हैं। इसके लिए सरकार को प्रतिमाह करीब 25 करोड़ का अतिरिक्त भार आता है।
कनेक्शन ट्रांसफर पर लगाया प्रतिबंध
प्रदेश में जितनी लाड़ली बहनों के पतियों के नाम से गैस कनेक्शन है, अब उन कनेक्शनों को बहनों के नाम पर ट्रांसफर करने से विभाग ने मना कर दिया है। इससे इस योजना से 25 लाख बहनों को लाभ मिलना मुश्किल हो रहा है। सरकार को इन बहनों के लाभ देने के लिए बीच का रास्ता निकालना पड़ेगा।
उज्ज्वला पोर्टल हुआ बंद
केंद्र सरकार का उज्ज्वला पोर्टल मार्च में बंद हो गया है। इससे अलग से गैस कनेक्शन मुश्किल है। केंद्र जब कभी पोर्टल खोलेगा, तब नए कनेक्शन होंगे।
कंपनियों से कहा है-गैस कनेक्शन ट्रांसफर नहीं करें
गैस कनेक्शन ट्रांसफर नहीं होंगे। इसके लिए कंपनियों और विभाग को आवेदन लेने से मना किया गया है। 450 रुपए में कनेक्शन देने का लाभ सिर्फ उन बहनों को मिलेगा जिनके नाम से गैस कनेक्शन हैं। -गोविंद सिंह राजपूत, मंत्री, खाद्य, नागरिक एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग