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Chandra Grahan 2022: कार्तिक पूर्णिमा पर लगेगा साल का आखिरी चंद्र ग्रहण, जानें मोक्ष काल और सूतक काल

इस साल का दूसरा और आखिरी चंद्र ग्रहण 8 नवंबर को लगेगा। कार्तिक माह की अमावस्या यानी दिवाली के त्योहार पर सूर्य ग्रहण का साया रहा, वहीं कार्तिक माह की पूर्णिमा यानी देव दिवाली के दिन चंद्र ग्रहण का साया रहेगा। पंचांग के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा दो दिन 7 और 8 नवंबर 2022 को है। ऐसे में इस बार देव दिवाली चंद्र ग्रहण के साये में मनाई जाएगी। आइए जानते हैं कार्तिक पूर्णिमा पर लगने वाले चंद्र ग्रहण के बार में…

कब लगेगा चंद्र गहण ?

कार्तिक पूर्णिमा यानी 08 नवंबर के दिन चंद्र ग्रहण लगेगा। इसकी शुरुआत यानी स्पर्शकाल भारतीय समयानुसार भारत में शाम 5:35 बजे से शुरू होगा और ग्रहण का मध्य 6:19 बजे और मोक्ष शाम 7:26 बजे होगा। इस ग्रहण का सूतक काल ग्रहण से 12 घंटे पहले शुरू होगा और अगले दिन तक चलेगा।

कब शुरू होगा सूतक ?

इस बार चंद्र ग्रहण भारत में भी दिखाई देगा। ऐसे में भारत में चंद्र ग्रहण का सूतक सुबह 08 बजकर 10 मिनट पर होगा। भारत में सूतक काल का समापन 06 बजकर 20 मिनट पर होगा। हालांकि चंद्र ग्रहण का पूर्णतः मोक्ष शाम 07 बजकर 27 मिनट पर हो रहा है। ऐसे में इस दिन पूरे पृथ्वी पर सूतक काल का समापन 07 बजकर 27 मिनट के बाद होगा।

कहां-कहां दिखेगा चंद्र ग्रहण ?

08 नवंबर को लगने वाला चंद्र ग्रहण भारत सहित दुनिया के पूर्वी यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, उत्तरी अमेरिका, एशिया, दक्षिणी अमेरिका, पेसिफिक, अटलांटिक और हिंद महासागर में देखने को मिलेगा।

क्या होता है चंद्र ग्रहण ?

जब पृथ्वी अपनी धुरी पर परिक्रमा करते हुए चंद्रमा और सूर्य के बीच में आ जाती है तो चंद्रमा पर पृथ्वी की छाया पड़ती है, जिससे चंद्रमा पूरी तरह ढक जाता है। वहीं चंद्रमा पृथ्वी की परिक्रमा करता है ऐसे में वह पृथ्वी के छाया में ज्यादा देर नहीं रुकता है और कुछ समय के बाद पृथ्वी की छाया से बाहर आ जाता है। जितनी देर तक चंद्रमा पृथ्वी की छाया में रहता है उस स्थिति को हम चंद्र ग्रहण के नाम से जानते हैं।

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कार्तिक पूर्णिमा 2022

पंचांग के अनुसार देव दिवाली हर साल कार्तिक पूर्णिमा को मनाई जाती है। मान्यता है कि इस दिन देवी-देवता धरती पर आकर दिवाली मनाते हैं। कार्तिक पूर्णिमा को लाखों की संख्या में भक्त गण गंगा स्नान करते हैं और दान देते हैं। इस बार चंद्र ग्रहण और देव दिवाली एक ही दिन होने के कारण कार्तिक पूर्णिमा के स्नान का महत्व और बढ़ गया है।

(नोट: यहां दी गई सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। हम मान्यता और जानकारी की पुष्टि नहीं करते हैं।)

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