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11 सहकारी बैंक बंद होने की कगार पर, सरकार से मांगे 1,600 करोड़

इधर घाटे में चल रहे बैंकों के लाइसेंस निरस्त करने नाबार्ड की धमकी

पुष्पेंद्र सिंह-भोपाल। प्रदेश के 11 जिला सहकारी केंद्रीय बैंक बंद होने की कगार पर पहुंच गए हैं। ये सभी बैंक करोड़ों के घाटे में चल रहे हैं। वहीं राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) ने धमकी दी है कि आर्थिक स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो रिजर्व बैंक से ऐसे बैंकों के लाइसेंस निरस्त करने की सिफारिश की जाएगी। इस पर अपेक्स बैंक ने सरकार द्वारा अंश पूंजी के नाम पर किए गए एक हजार करोड़ और उपार्जन के बकाया 600 करोड़ की डिमांड कर दी है।

नाबार्ड मुख्यालय मुंबई ने प्रदेश के मुख्य सचिव को लिखे पत्र में कहा है कि जिला सहकारी केंद्रीय बैंक सीधी की आर्थिक हालत चिंताजनक है। वित्तीय स्थिति में सुधार के उपाय शुरू नहीं होते तो भारतीय रिजर्व बैंक को लाइसेंस रद्द करने की सिफारिश की जा सकती है। पत्र की जानकारी वित्त विभाग ने एसीएस सहकारिता विभाग को दी है।

15 साल से घाटे से उबारने के प्रयास

सहकारिता विभाग पिछले 15 साल से सहकारी बैंकों को घाटे से उबारने का प्रयास कर रहा है। विभाग के मंत्री बैठकें करके नए-नए उपाय खोजने के निर्देश दे रहे हैं, बावजूद बैंक की माली हालत लगातार खराब हो रही है।

नाबार्ड ने ये लिखा : सीधी बैंक 546 करोड़ के घाटे में

नाबार्ड ने वित्त विभाग को भेज पत्र में लिखा है कि जिला सहकारी केंद्रीय बैंक मर्यादित सीधी 546.96 रुपए करोड़ के घाटे में है। बैंक की कार्यप्रणाली में कई कमियां हैं। बैंक का सीआरएआर 31 मार्च 2022 को (-)15.90 प्रतिशत से घटकर 31 मार्च 2023 को (-) 122.61 प्रतिशत हो गया, जबकि आरबीआई द्वारा निर्धारित न्यूनतम आवश्यकता 9 प्रतिशत है।

हालात ये भी : शिवपुरी बैंक में हो चुका 100 करोड़ का घोटाला

मध्य प्रदेश के शिवपुरी के जिला सहकारी बैंक में करीब 2 साल पहले 100 करोड़ रुपए का घोटाला हुआ था। यहां पर पदस्थ एक चपरासी ने कैशियर की भूमिका निभाते हुए 100 करोड़ रुपए के घोटाले को अंजाम दिया। इस घोटाले की अभी जांच चल रही है और कुछ लोगों की गिरफ्तारी हुई है। इसके अलावा सहकारी बैंकों में नियुक्तियों को लेकर भी गड़बड़ी सामने आ चुकी है।

घाटे में जाने का कारण

मानव संसाधन पॉलसी में खामियां, बाबुओं को शाखा प्रबंधक बनाया गया है, कर्मचारियों की बड़ी कमी है। सरकार से मिलने वाली राशि हमेशा अटकी रहती है जैसे कि उपार्जन के नाम पर छह सौ करोड़ फंसे हैं।

अंशपूंजी का इतना प्रावधान

राज्य सरकार ने वित्तीय वर्ष 2024-25 में सहकारी बैंकों को घाटे से उबारने के लिए एक हजार करोड़ रुपए की अंश पूंजी देने का प्रावधान किया है, लेकिन यह राशि सात माह बाद भी नहीं मिली है। अपेक्स बैंक ने शासन को डिमांड प्रस्ताव भेजा है।

इन 11 बैंकों पर लाइसेंस निरस्त होने की तलवार

जिला सहकारी केंद्रीय बैंक रीवा, सतना, सागर, छतरपुर, ग्वालियर, भिंड, मुरैना, गुना, दतिया, शिवपुरी और जबलपुर। हर बैंक औसतन सौ करोड़ से अधिक के घाटे में है।

शासन को भेजा है प्रपोजल

सरकार ने इस साल एक हजार करोड़ रुपए अंश पूंजी के तौर पर देने का प्रावधान किया है। इसे लेने के लिए प्रपोजल शासन को भेज दिया है। उपार्जन का भी 600 करोड़ मिलना है। नाबार्ड ने घाटे में चल रहे बैंकों का लाइसेंस निरस्त करने रिजर्व बैंक को पत्र लिखा है। – मनोज कुमार गुप्ता, महाप्रबंधक, अपेक्स बैंक

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