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राज्य संग्रहालय में उर्दू अकादमी का अलंकरण समारोह का आयोजन

राज्य संग्रहालय में सोमवार को मप्र उर्दू अकादमी द्वारा अलंकरण समारोह का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर विशेष रूप से उपस्थित थी। साथ ही विशेष अतिथि के रूप में मप्र साहित्य अकादमी के निदेशक डॉ. विकास दवे मौजूद रहें। इस अवसर पर मप्र उर्दू अकादमी द्वारा प्रदेशभर में होने वाले सिलसिला एवं तलाशे जौहर समय सारिणी का विमोचन मंत्री द्वारा किया गया।

कार्यक्रम में मंत्री उषा ठाकुर ने कहा कि सभी पुरस्कार पाने वाले साहित्यकारों की जो अथक और अहर्निश साधना है। यह पुरस्कार उसी बात का द्योतक होता है कि किसी व्यक्ति ने अपने उस शोध कार्य में अपने उस साहित्य के सृजन में अपने जीवन भर के अनुभवों एवं अनुभूतियों को डाला। वह समाज के लिए और देश के लिए प्रेरक बन सकें। इस उद्देश्य को लेकर ही मप्र शासन और संस्कृति विभाग आगे बढ़ रहा है।

कार्यक्रम के प्रारंभ में अकादमी की निदेशक डॉ नुसरत मेहदी ने अलंकरण समारोह की जानकारी दी, साथ ही कहा कि अकादमी द्वारा पहले व्यक्ति विशेष को उसकी साहित्यिक सेवाओं के आधार पर पुरस्कार दिए जाते थे। वर्ष 2021- 22 से मप्र उर्दू अकादमी द्वारा उर्दू भाषा एवं साहित्य से संबंधित विभिन्न विधाओं पर आधारित प्रकाशित पुस्तकों पर अखिल भारतीय एवं प्रादेशिक पुरस्कार दिए जाने का सिलसिला शुरू किया गया है। इसका लाभ यह हुआ कि उर्दू साहित्य की लुप्त होती हुई अनेक विधाओं पर कार्य शुरू हुआ है।

‘रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ…’

इस अवसर पर सुप्रसिद्ध गजल गायक मोहम्मद अय्यूब गफूर ने अहमद फराज की गजल रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ… से प्रस्तुति की शुरुआत की। इसके बाद फैयाज हाशमी की गजल आज जाने की जिद ना करो… सुनाई। इसी क्रम में शकील बदायूनी की गजल ऐ मोहब्बत तेरे अंजाम पे रोना आया… को पेश किया। वहीं शैरी भोपाली की गजल उनकी तलब का जज्बा बेदार हो गया है…, कैफ भोपाली की गजल कौन आएगा यहां कोई न आया होगा… की प्रस्तुति दी।

वास्तव में कृतियों पर पुरस्कार दिया जाना चाहिए

डॉ. विकास दवे ने कहा कि वास्तव में कृतियों पर पुरस्कार दिया जाना श्रेयस्कर है, अकादमियों के पास एक ठोस आधार हो जाता है और विलुप्त होती हुई विधाओं पर पुन: काम होने लगता है।

12 रचनाकारों को प्रादेशिक पुरस्कार से सम्मानित किया गया

कार्यक्रम के दौरान प्रादेशिक पुरस्कार से रशीद अंजुम भोपाल, प्रो. आफाक हुसैन सिद्दीकी भोपाल, खालिदा सिद्दीकी भोपाल, शऊर आशना बुरहानपुर, डॉ. आजम भोपाल, अशोक मिजाज बद्र सागर, रफीक रीवानी रीवा, महेन्द्र अग्रवाल शिवपुरी, डॉ. वासिफ खान यार बुरहानपुर, रियाज आलम मोहम्मदी जबलपुर को ‘तजल्लियाते बज्मे सना‘ पर, जमील अहमद जमील जबलपुर एवं रूशदा जमील भोपाल को सम्मानित किया गया।

छह रचनाकारों की कृतियों पर अखिल भारतीय पुरस्कार

अखिल भारतीय पुरस्कार से डॉ. शफी हिदायत कुरैशी दतिया, आरिफ अजीज भोपाल, रेनू बहल चंडीगढ़, रख्शन्दा मेहदी दिल्ली, रिजवान-उल-हक दिल्ली, बद्र वास्ती, भोपाल को सम्मानित किया गया।

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