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कौन होते हैं DGMO और क्या है इनका काम! भारत-पाकिस्तान सीजफायर के पीछे इनकी अहम भूमिका

नई दिल्ली। भारत और पाकिस्तान के बीच बीते दिनों चले सैन्य संघर्ष के बाद अब दोनों देशों ने सीजफायर यानी युद्धविराम पर सहमति जता दी है। यह सहमति दोनों देशों के DGMO (Director General of Military Operations) के बीच हुई बातचीत के बाद संभव हो सकी। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि DGMO कौन होते हैं, उनका क्या काम होता है और इस तरह की संकटपूर्ण स्थितियों में उनकी भूमिका कितनी महत्वपूर्ण होती है।

DGMO का काम क्या है

DGMO यानी महानिदेशक सैन्य अभियोजन भारतीय सेना का एक उच्च पद होता है, जो सभी सैन्य अभियानों की जिम्मेदारी संभालता है। इस समय भारत के DGMO लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई हैं। सीमा पर तैनात सैनिकों से लेकर युद्ध क्षेत्र में चल रहे सभी अभियानों की कमान और दिशा-निर्देश इन्हीं के हाथों में होते हैं। किसी भी सैन्य संघर्ष की स्थिति में DGMO ही वो अधिकारी होते हैं जो सबसे पहले मैदान की रणनीति तय करते हैं।

सभी सैन्य अभियानों की जिम्मेदारी DGMO के पास

DGMO का कार्य सिर्फ जमीनी स्तर की कमान तक सीमित नहीं होता, बल्कि वे आतंकवाद विरोधी अभियानों, सीमा प्रबंधन और शांति स्थापना जैसे मिशनों के लिए रणनीति भी बनाते हैं। वे यह सुनिश्चित करते हैं कि सेना की तीनों शाखाएं थल सेना, वायुसेना और नौसेना आपसी समन्वय के साथ काम करें। वे सुरक्षा एजेंसियों और खुफिया तंत्र के बीच भी एक सेतु का कार्य करते हैं।

सेना, एजेंसियों और सरकार के बीच समन्वयक का काम

DGMO के पास सारी सैन्य और खुफिया जानकारियां सबसे पहले पहुंचती हैं। इन सूचनाओं के आधार पर ही वे योजना बनाते हैं और आगे की रणनीति तय करते हैं। इसके लिए उन्हें RAW, IB और NIA जैसी एजेंसियों के साथ निरंतर संपर्क में रहना होता है। वहीं, प्रधानमंत्री कार्यालय और रक्षा मंत्रालय के उच्च अधिकारियों को भी समय-समय पर उनकी रिपोर्ट दी जाती है।

सीजफायर वार्ता में DGMO का सीधा हस्तक्षेप

भारत-पाकिस्तान के बीच हुई हालिया सीजफायर वार्ता में दोनों देशों के DGMO ने सीधा संवाद स्थापित किया। यह संवाद हॉटलाइन के माध्यम से हुआ, जिसे सीमावर्ती क्षेत्रों में होने वाले किसी भी तनावपूर्ण स्थिति के समाधान के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसी बातचीत के बाद सीमा पर गोलीबारी रोकने और सैन्य कार्रवाई पर विराम लगाने पर सहमति बनी।

चाहे युद्ध की शुरुआत हो या उसे रोकने की रणनीति, DGMO हर स्तर पर सक्रिय रहते हैं। संघर्ष की स्थिति में वे मोर्चे पर तैनात अधिकारियों से लेकर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार तक से समन्वय करते हैं। इसीलिए भारत-पाकिस्तान के बीच युद्धविराम जैसी पहल में उनकी भूमिका सबसे अहम मानी जाती है।

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