Aditi Rawat
31 Oct 2025
Hemant Nagle
31 Oct 2025
Manisha Dhanwani
31 Oct 2025
जबलपुर। जबलपुर मेडिकल कॉलेज के कैंसर इंस्टीट्यूट के लिए भारत सरकार से वर्ष 2016 में मिले 84 करोड़ रुपए की राशि के खर्च का ब्यौरा पेश करने हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को एक और मोहलत दी है। मंगलवार को एक जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत व जस्टिस विवेक जैन की डिवीजन बेंच ने अगली सुनवाई अप्रैल माह के पहले सप्ताह में करने के निर्देश दिए हैं। यह जनहित याचिका जबलपुर के अधिवक्ता विकास महावर की ओर से वर्ष 2023 में दायर की गई थी।
आवेदक का आरोप है कि जबलपुर मेडिकल कॉलेज के कैंसर इंस्टीट्यूट में काफी अनियमितताएं हैं। वहां पर संसाधन न होने के कारण कैंसर पीड़ितों को पर्याप्त इलाज नहीं मिल पा रहा, जो उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। पूर्व में हाईकोर्ट ने सरकार को खर्च का ब्यौरा पेश करने को कहा था। मामले पर मंगलवार को आगे हुई सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता जान्हवी पंडित ने युगलपीठ को बताया कि इस मामले पर जवाब लगभग तैयार है। जो जल्द ही दाखिल कर दिया जाएगा।
इस जनहित याचिका में पीपुल्स समाचार पत्र द्वारा कैंसर इंस्टीट्यूट की बदहाली के संबंध में प्रकाशित खबरों को आधार बनाया गया है। 22 नवंबर 2023 के अंक में ‘कैंसर मरीज बेड के इंतजार में, इधर वार्ड को लैब में बदलने की तैयारी’ और 5 दिसंबर 2023 के अंक में ‘कैंसर मरीजों की उम्मीद पर चला फरमान का हथौड़ा’ शीर्षक से प्रकाशित खबरों में इंस्टीट्यूट में व्याप्त बदहाली को उजागर किया गया था।
विदिशा जिले के एक बस संचालक ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर आरोप लगाया कि रिश्वत न देने पर भोपाल क्राइम ब्रांच के टीआई और एसआई साबिर खान ने उस पर तीन झूठे मामले दर्ज कर दिए। पिछले 4-5 वर्षों से पुलिस वालों की कथित प्रताड़ना से त्रस्त याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट की शरण ली। उसके आरोपों को गंभीरता से लेते हुए जस्टिस विवेक अग्रवाल की एकलपीठ ने याचिकाकर्ता को कहा है कि वो इन आरोपों की शिकायत भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के प्रावधानों के तहत लोकायुक्त में करे। इस निर्देश के साथ अदालत ने याचिका का निराकरण कर दिया। विदिशा के महेन्द्र यादव की ओर से दायर इस याचिका में भोपाल क्राइम ब्रांच के टीआई और एसआई के खिलाफ संगीन आरोप लगाए गए थे। आरोप था कि रिश्वत की मांग पूरी न होने पर दोनों ही अधिकारी उसके व्यवसाय को बर्बाद करने पर आमादा हैं। इतना ही नहीं उस पर एनडीपीएस के झूठे मामले में क्राइम ब्रांच में दर्ज किए। याचिका में पुलिस अफसरों के खिलाफ चाही गई राहत के मद्देनजर अदालत ने याचिका का निराकरण करते हुए उसे विशेष पुलिस स्थापना में शिकायत करने की स्वतंत्रता दी।
एक अहम फैसले में हाईकोर्ट ने कहा है कि एसटी-एससी मामलों में एक बार अपील खारिज होने के बाद दोबारा जमानत के लिए अर्जी दाखिल नहीं हो सकती है। चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत व जस्टिस विवेक जैन की डिवीजन बेंच ने एकलपीठ के दो विरोधाभासी फैसलों के मद्देनजर यह व्यवस्था दी। ये मामले रेफ्रेंस के रूप में डिवीजन बेंच को भेजे गए थे। ऐसा इसलिए, क्योंकि हाईकोर्ट की एकलपीठ ने 5 दिसंबर 2017 को फैसले में कहा था कि एक बार अपील खारिज होने के बाद आरोपी दोबारा जमानत के लिए अर्जी दायर कर सकता है। वहीं 9 सितंबर 2024 को दूसरी एकलपीठ का मानना था कि अपील खारिज होने के बाद आरोपी दोबारा जमानत अर्जी दाखिल नहीं कर सकता।